कांग्रेस पार्टी संसद के मानसून सत्र में सरकार को चुनौती देगी

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18 जुलाई से शुरू होंगे संसद मानसून सत्र

देश में व्याप्त महंगाई,  सांप्रदायिक तनाव, बैंक निजीकरण, भ्रष्टाचार और सरकारी एजेंसियों के दुरूपयोग का मुदा उठाया जाएगा 

नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी 18 जुलाई से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र में सरकार को घेरने की तैयारी में है. पार्टी  की अध्यक्ष सोनिया गाँधी की अध्यक्षता  में आयोजित वरिष्ठ नेताओं की बैठक में देश में व्याप्त महंगाई, अग्निपथ योजना, बेरोजगारी, संघीय ढाँचे पर प्रहार,  सांप्रदायिक तनाव, बैंक निजीकरण, भ्रष्टाचार और सरकारी एजेंसियों के दुरूपयोग जैसे मुद्दों को संसद में उठाने का निर्णय लिया है. यह खुलासा कांग्रेस मुख्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में किया गया. उन्होंने कहा कि देश की आर्थिक बदहाली , घृणा पैदा करने वाले भाषण, और अल्पसंख्यकों पर अन्याय का मामला भी दोनों सदनों में चर्चा करेंगे.

प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि हमें जरूरी और महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए। हम रसोई गैस की बढ़ती कीमतों, महंगाई, अग्निवीर, बेरोजगारी और संघीय ढांचे से छेड़छाड़ आदि मुद्दे सदन में उठाएंगे .1969 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया गया था। उस वक्त इंदिरा गांधी ने गरीबों के आर्थिक विकास के लिए बैंक खोले थे। लेकिन आज ये सरकार उन सभी का निजीकरण करना चाहती है .

श्री खरगे को कहा कि आज दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं एवं पदाधिकारियों की बैठक हुई। बैठक में ‘भारत जोड़ो’ अभियान के सफल क्रियान्वयन हेतु चर्चा भी की गई। उन्होंने कहा कि लोकसभा स्पीकर ने सदन की बैठक के लिए आल पार्टी मीटिंग बुलाई है. उक्त मीटिंग के बाद विपक्ष के नेताओं की भी एक बैठक आयोजित की जायेगी जिसमें इन मुद्दों पर सरकार से जवाब लेने की रणनीति पर विचार किया जाएगा.

इस अवसर पर लोक सभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि जब तक देश में मोदी जी हैं, देश में मुद्दों की कमी नहीं हो सकती। मोदी जी हैं, तो मुद्दा भी मुमकिन है. उन्होंने कहा कि देश में व्य्पात साम्प्रदायिक तनाव आज ज्वलंत मुद्दा है. उन्होंने कहा कि हमारे लिए चिंता का विषय यह है कि सदन के अन्दर कितने मुद्दे को उजागर करने कि अनुमति मिलेगी ? क्योंकि देश में आज मुद्दों की कमी नहीं है. देश में चरों तरफ परेशानी ही परेशानी है. पंजाब, उत्तर पूर्व , गुजरात सहित कई राज्यों में कहीं तनाव तो कहीं बाढ़ की भीषण स्थिति है. कहीं  चीन का विषय तो कहीं श्रीलंका का विषय है. देश में समस्या ही समस्या ही है.

राज्यसभा सदस्य शक्ति सिंह गोहिल ने  पत्करकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी मिलने के बाद आज तक किसी भी सदन में जुमलाजीवी और जुमलेबाज जैसै शब्दों को असंसदीय घोषित नहीं किया गया है। जब देश में कांग्रेस की सरकार थी तब भाजपा द्वारा हमारे खिलाफ इस प्रकार के सारे शब्दों का प्रयोग किया जाता था.

शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और वह विपक्ष के नेता थे तो इसी तरह उस राज्य में भी लोकतंत्र का गला घोटने की कोशिश की गई थी. इसके हम सब प्रत्यक्षदर्शी रहे हैं .उन्होंने याद दिलाया कि लोकसभा के प्रथम स्पीकर मावलंकर जी गुजरात से आते थे. उन्होंने विधायकों और मंत्रियों को संसदीय प्रशिक्षण प्रशिक्षण देने के लिए मावलंकर ब्यूरो की स्थापना की थी. उसके लिए उन्होंने स्वयं अपने पास से पैसे दिए और फिर सरकार का भी आर्थिक योगदान मिलता था. उसमें विधायकों और मंत्रियों को प्रशिक्षण दिया जाता था लेकिन नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री काल में मावलंकर ब्यूरो को बंद कर दिया गया।

उन्होंने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री रहते हुए लोकतंत्र का गला घोट दिया। उन्होंने कहा कि संविधान में आंदोलन करना मौलिक अधिकार है. लेकिन वह आंदोलनजीवी शब्द का उपयोग करते हैं और लोगों का मजाक बनाते हैं। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जुमला देना जायज नहीं है। उन्होंने कहा की जुमलेबाजी सही नहीं है जिसको देश के वर्तमान गृहमंत्री ने स्वयं ही कहा है कि ऐसी जुमलेबाजी तो वह चुनाव के समय करते हैं संसद में नहीं।

उन्होंने कहा कि देश के दोनों ही सदन के साथ-साथ सभी राज्यों की विधानसभाओं व विधान परिषद में जुमलेबाज शब्द को  असंसदीय शब्द नहीं कहा है। उन्होंने कहा कि भ्रष्ट शब्द कभी भी असंसदीय नहीं माना गया. यहां तक कि झूठ बोलने की बात करना या नौटंकी करने की उपमा देना भी वर्तमान सत्ताधारी पार्टी जब विपक्ष में थी तो यही लोग इसका उपयोग बारंबार करते रहे। उन्होंने कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ ये लोग इन सभी शब्दों का जमकर उपयोग करते रहे हैं।

उन्होंने कहा कि गुजरात में वाइब्रेंट गुजरात के समय जब कांग्रेस पार्टी ने इनकी सरकार की कारगुजारीयों को उजागर करना शुरू किया और पूरे विवरण के साथ इनकी भागीदारी को सामने रखा गया तो तत्कालीन भाजपा सरकार ने भागीदारी शब्द को भी असंसदीय घोषित कर दिया। उन्होंने कहा की वर्तमान शासन काल देश के इतिहास में काले अक्षरों में लिखा जाएगा।

शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि उनकी पार्टी राज्य सभा के सभापति और लोकसभा के अध्यक्ष से आग्रह करेंगे कि संसदीय और और संसदीय शब्दों की नियमावली तय करना उनका अधिकार है और सदन के पीठासीन अधिकारी के रूप में सदस्यों के अधिकारों की रक्षा करना उनका कर्तव्य है . उन्होंने कहा कि हम उनके ध्यान में लाएंगे कि इस पर विचार करें।

उन्होंने कहा कि असंसदीय शब्दों के नाम पर जिस तरह से गुंडागर्दी की जा रही है. उन्होंने कहा कि देश में जिस तरह से भ्रष्टाचार चल रहा है हम सदन में इसको उजागर करते रहे हैं. जिन शब्दों में हम सदन में बात करते थे आज उन्हें असंसदीय बता कर सांसदों के मुंह पर ताला ठोकना सही नहीं है.

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