नई दिल्ली। भारतीय शराब के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के तहत काम करने वाले कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए-एपीडा) ने लंदन शराब मेले, 2022 में दस शराब निर्यातकों की भागीदारी को सुगम बनाया।
लंदन शराब मेले का आयोजन 7 – 9 जून के दौरान किया गया, जिसे दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण शराब व्यापार आयोजनों में से एक माना जाता है।
लंदन शराब मेले में भाग लेने वाले भारतीय निर्यातकों में रेसवेरा वाइन, सुला वाइनयार्ड, गुड ड्रॉप वाइन सेलर, हिल ज़िल वाइन, केएलसी वाइन, सोमा वाइन विलेज, ग्रोवर ज़म्पा वाइनयार्ड, प्लेटॉक्स विंटर्स, एएसएवी वाइनयार्ड और फ्रेटेली वाइनयार्ड हैं।
भारत दुनिया में मादक पेय पदार्थों के लिए तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। यहां अनाज आधारित मादक पेय पदार्थों के उत्पादन के लिए 33,919 किलो लीटर प्रति वर्ष की लाइसेंस क्षमता वाली 12 संयुक्त उद्यम कंपनियां हैं। भारत सरकार से लाइसेंस के तहत लगभग 56 इकाइयां बीयर का उत्पादन कर रही हैं।
भारत ने 2020-21 के दौरान दुनिया को 2.47 लाख मीट्रिक टन मादक उत्पादों का निर्यात किया है जिससे 322.12 मिलियन अमरीकी डॉलर की कमाई हुई। 2020-21 में भारतीय मादक उत्पादों के निर्यात संयुक्त अरब अमीरात, घाना, सिंगापुर, कांगो और कैमरून आदि देशों में किए गए।
शराब निर्माण के लिए महाराष्ट्र एक अहम राज्य बन गया है क्योंकि इस राज्य में शराब बनाने की 35 से अधिक फैक्ट्री हैं। महाराष्ट्र में शराब उत्पादन के लिए लगभग 1,500 एकड़ जमीन पर अंगूर की खेती की जाती है। शराब निर्माण को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने शराब बनाने के व्यवसाय को लघु उद्योग घोषित कर रखा है और उत्पाद शुल्क में रियायतें भी दी हैं।
भारत के मादक पेय उत्पादों जैसे माल्ट से बनी बीयर, वाइन, व्हाइट वाइन, ब्रांडी, व्हिस्की, रम, जिन आदि की मांग वैश्विक बाजार में कई गुना बढ़ गई है।
एपीडा ने भारतीय शराब की गुणवत्ता के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए विभिन्न अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों में कई कार्यशालाएं और शराब स्वाद कार्यक्रम आयोजित किए हैं।
भारत का शराब उद्योग 2010 से 2017 के दौरान 14 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ा है, जिससे यह देश में मादक पेय के तहत सबसे तेजी से बढ़ने वाला उद्योग बन गया है।