नई दिल्ली। अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में प्राइवेट स्कूलों पर नकेल कसने के एक ओर फरमान जारी कर दिया है। दिल्ली के प्राइवेट स्कूल अब पेरेंट्स को अपनी ही दुकान से किताबे व यूनिफॉर्म खरीदने के लिए बाध्य नही कर सकेंगे। यह जानकारी दिल्ली के उप मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर दी है।
शिक्षा मंत्री सिसोदिया ने कहा है कि हर स्कूल को आसपास की कम से कम 5 दुकानों की सूची जारी करनी होगी जहा से किताबे व ड्रेस खरीदी जा सकेंगी। उन्हों आदेश की प्रति साझा करते हुए कहा है कि इस आदेश की अवहेलना करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। https://t.co/UIpqunhk5q
दिल्ली सरकार द्वारा जारी आदेश में देल्ही राइट ऑफ चिल्ड्रन एक्ट 2011 की धारा 26 का हवाला देते हुए बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा मुहैया कराने की प्रतिबद्धता याद दिलाई गई है।
उल्लेखनीय है कि देश की राजधानी केवल दिल्ली में ही नहीं बल्कि सभी राज्यों में प्राइवेट स्कूलों में वर्षों से यह परंपरा जोरों पर है कि स्कूल प्रबंधन अपने बच्चों को संबंधित वर्गों की किताबें और यूनिफार्म अपने ही अधिकृत स्टाल से लेने को मजबूर करते हैं। इसका कारण यह है कि संबंधित स्कूल की किताबें और यूनिफॉर्म किसी दूसरी दुकानों पर उपलब्ध नहीं कराए जाते हैं ।
ऐसे में बच्चों के अभिभावकों की मजबूरी होती है कि वह स्कूल के अधिकृत स्टाल द्वारा निर्धारित मनमाफिक कीमतों पर ही किताबें और यूनिफार्म खरीदते हैं। इसको लेकर पेरेंट्स एसोसिएशन लगातार आंदोलनरत रहे हैं । अभिभावक विरोध तो जताते हैं लेकिन स्कूल प्रबंधन के आगे उनकी कुछ नहीं चलती है । दिल्ली सरकार द्वारा जारी इस आदेश से संभव है दिल्ली के अभिभावकों को तो राहत अवश्य मिलेगी लेकिन आसपास के राज्यों में यह धंधा आगे भी चलता रहेगा इसकी आशंका प्रबल है।
अधिकतर अभिभावकों का मानना है कि दिल्ली सरकार द्वारा जारी आदेश अब अन्य राज्यों के अभिभाकों के लिए भी अपनी लड़ाई को तेज करने का एक मजबूत आधार बनेगा। खासकर दिल्ली से सटे शहर गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, नोएडा, पानीपत, सोनीपत, रेवाड़ी और रोहतक जैसे शहरों में भी इस मामले को लेकर अभिभावक और स्कूल प्रबंधन के बीच संघर्ष तेज होने के आसार हैं।