गोरखपुर से योगी आदित्यनाथ ने कैसे की ऐतिहासिक जीत दर्ज : राजनीतिक विश्लेषकों का आकलन क्यों हुआ फेल

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सुभाष चौधरी

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के चुनावी परिणाम के कारण देश ही नहीं दुनिया के लिए भी अब कौतूहल का विषय बन गए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मामले में देश के अधिकतर मीडिया हाउस एवं चुनाव विश्लेषकों का विश्लेषण पूरी तरह धूल धूसरित हो गया। योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा चुनाव 2022 में गोरखपुर सदर सीट से चुनाव लड़ कर 103390 वोट के अंतर से अपनी जीत दर्ज करअब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। उन्हें कुल 66.18 प्रतिशत वोट मिले जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी सुभावती उपेंद्र दत्त शुक्ला को केवल 24.84 % वोट ही मिले। यहाँ न सपा का भावनात्मक कार्ड चला और न ही एम् वाई का कोई समीकरण काम कर्ता दिखा . योगी की आंधी में सब हवा हो गये जबकि अखिलेश यादव की जनसभा में जुटने वाली भारी भीड़ केवल तमाशा साबित हुई. चुनावी इतिहास के अब तक के सारे रिकॉर्ड टूट गए जबकि टीवी और अखबारी विश्लेषकों को अब मुंह छिपाने की जगह नहीं मिल रही है .

इस सीट से विजयी हुए योगी आदित्यनाथ को कुल 165499 वोट मिले जबकि सुभावती को कुल 62109 वोट प्राप्त हुए हैं । चौंकाने वाली बात यह है कि योगी आदित्यनाथ ने लगभग 8:00 बजे सुबह से शुरू हुई गिनती के पहले राउंड से ही लगातार 35 राउंड तक कभी भी समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार को मत प्रतिशत में अपने आसपास भी फटकने नहीं दिया। यानी लगातार दोगुना मतों से भी अधिक बढ़त बनाए रहे। इससे गोरखपुर की जनता में उनकी कितनी मजबूत पैठ है इस बात का अंदाजा आसानी लगाया जा सकता है. और यह तो तब हुआ जब सपा ने उनके विरुद्ध सुभावती शुक्ला को उतार कर भावनात्मक कार्ड के साथ साथ ब्राह्मण कार्ड भी खेलने की कोशिश की. सपा प्रमुख अखिलेश यादव का हर दाव फेल हुआ. न तो मुस्लिम एम् वाई का फार्मूला कामयाब हुआ और न ही इस इलाके के योगी आदित्यनाथ के धुर विरोधी हरि शंकर तिवारी के सहारे वे ब्राह्मण को ही सपा के पक्ष में कर पाए. लोगों ने लगभग एकतरफा मतदान किया जो योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता का स्पष्ट प्रमाण है .

मतदान के ट्रेंड बताते हैं कि योगी आदित्यनाथ को सभी समुदायों के मतदातों का भरपूर समर्थन मिला. निषाद समाज सहित बनिया , ब्राह्मण, दलित, राजपूत, कायस्थ यहाँ तक कि मुस्लिमों ने भी इनके पक्ष में खुल कर मतदान किया. सभी वर्गों  की महिलाओं ने इनकी जीत के अंतर को बढाने में महती भूमिका अदा की. कांग्रेस पार्टी और सपा दोनों ने ब्राहमण प्रत्याशी उतारे. लेकिन योगी ने ब्राह्मण विरोधी होने की धारणा को धराशायी कर दिया.

 

भीम आर्मी के चंद्रशेखर को मतदाताओं ने नाकारा

 

दलित राजनीति करने के नाम पर पिछले दो-तीन वर्षों में आधारहीन हौवा खड़ा करने वाले चंद्रशेखर जिन्होंने अपनी अलग पार्टी आजाद समाज पार्टी काशीराम के नाम से गठित की है को केबल 3.06 प्रतिशत वोट मिले यानी उन्हें कुल 7640 वोट ही मिले। अक्सर विवादित बोल बोलने चंद्रशेखर के बारे में न जाने इतनी बड़ी बड़ी बातें बड़े-बड़े पत्रकार भी बोला करते थे लेकिन इस चुनाव में योगी आदित्यनाथ के सामने लाकर उन्हें भी अपनी राजनीतिक औकात का अंदाजा अच्छी तरह लग गया।

 

बसपा दृश्य से गायब

 

इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी ने मुस्लिम उम्मीदवार ख्वाजा शमसुद्दीन को मैदान में उतारा था उन्हें भी कुल 7940  यानी 3.21% वोट मिले।

 

कांग्रेस पार्टी कुल मतदान का 1.15% तक सीमित रही

 

यहां यह जानना भी दिलचस्प होगा कि देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी अखिल भारतीय कांग्रेस की प्रत्याशी डॉक्टर चेतना पांडे को केबल 2842 वोट मिले जो कुल मतदान का 1.15% ही है। जाहिर है बाबा के सामने समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार को छोड़कर कांग्रेस पार्टी सहित लगभग सभी उम्मीदवारों की जमानत जप्त हो गई। इस सीट से योगी आदित्यनाथ के खिलाफ 12 उम्मीदवार मैदान में उन्हें हराने को उतरे थे लेकिन 8 उम्मीदवार तो 1000 वोट भी हासिल करने में नाकामयाब रहे जबकि इनमें से अधिकतर तो 500 का आंकड़ा भी नहीं छू सके।

 

मतदाताओं ने नोटा का बटन भी दबाया

 

गोरखपुर सदर सीट पर मतदाताओं ने नोटा का बटन भी दबाया है। यहां 1187 मतदाताओं ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित सभी 13 उम्मीदवारों को नापसंद किया । यहां निर्वाचन आयोग के अनुसार कुल 250067 मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया था। इनमें पोस्टल वोट्स की संख्या 2794  है जबकि ईवीएम से किये गए मतदान की संख्या 247273।

 

राउंड वाइज गिनती में योगी ने सपा को कभी पास भी नहीं आने दिया

 

गोरखपुर सदर सीट पर अगर राउंड वाइज गिनती के दौरान प्राप्त मतों की चर्चा की जाए तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को फर्स्ट राउंड में 5540 वोट मिले जबकि समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी सुभावती को केबल 1076 वोट ही मिले । सेकंड राउंड में भाजपा प्रत्याशी आदित्यनाथ को 5348 वोट मिले जबकि सपा उम्मीदवार को केवल 1404 मत ही मिले।

 

दोनों ही उम्मीदवारों के बीच का अंतर फर्स्ट राउंड की गिनती से ही लगातार बढ़ता चला गया। तीसरे राउंड में भाजपा को 5681 तो सपा को केवल 1818, चौथे राउंड में भाजपा को 4652 वोट तो सपा को 2330 वोट, पांचवें राउंड में भाजपा को 6660 वोट तो सपा को 1367 वोट मिले।

छठे राउंड में भाजपा को 4904 वोट तो सपा को 2427 वोट इसी तरह सातवें राउंड में भाजपा को 5848 वोट तो सपा को केवल 1935 वोट आठवें राउंड में भाजपा को 4678 वोट तो सपा को 2275 वोट। यह क्रम आगे भी जारी रहा और नौवें राउंड में भाजपा को 4516 वोट तो सपा को 1795 वोट दसवें राउंड में भाजपा को 3573 वोट तो सपा को 9401 वोट, 11 वे राउंड में भाजपा को 4186 वोट तो सपा को 1096 वोट, 12वे राउंड में भाजपा को 4724 वोट तो सपा को 1702 वोट ही मिले।

 

इस तरह योगी आदित्यनाथ का पताका सपा को पीछे छोड़ते हुए लगातार आगे बढ़ता चला गया और 13 वें राउंड में भाजपा को 5492 वोट तो सपा को 1209 वोट 14 वे राउंड में भाजपा को 4494 वोट तो सपा को 2249 वोट, 15 वे राउंड में भाजपा को 6468 वोट तो सपा को 1300 वोट, 16 वे राउंड में भाजपा को 3746 वोट तो सपा को 3612 वोट और 17 वें में राउंड में भाजपा को 4846 वोट तो सपा उम्मीदवार को 1962 वोट ही हासिल हुए।

 

इस तरह भाजपा और सपा के बीच जीत का अंतर लगातार बढ़ता चला गया और सपा प्रत्याशी की उम्मीद है धूमिल होती चली गई। 18वे राउंड में भी यही क्रम जारी रहा और भाजपा को 3976 वोट मिले जबकि सपा को 2901 वोट 19 वे राउंड में भाजपा को 3512 वोट तो सपा को 3804 वोट, 20 वें राउंड में भाजपा को 4192 वोट तो सपा को 1693 वोट, 21 वे राउंड में भाजपा को 5026 वोट तो सपा को 1109 वोट, 22 वे राउंड में भाजपा को 4758 वोट जबकि सपा को 1711 वोट भी मिले।

 

मतगणना के 23 वे राउंड में भाजपा को 4344 वोट सपा को 2275 वोट, 24 वे राउंड में भाजपा को 4772 वोट सपा को 2333 वोट ,25 वे राउंड में भाजपा को 4674 वोट सपा को 908 वोट,  26 वे राउंड में भाजपा को 5751 वोट सपा को 1526 वोट, 27 वे राउंड में भाजपा को 4248 वोट सपा को 2112 वोट, जबकि  28 वे राउंड में योगी आदित्यनाथ को 3032 वोट और सपा प्रत्याशी सुभावती को केवल 1105 वोट ही मिले।

 

गिनती के अंतिम चरण में भी जीत का अंतर लगातार बढ़ता चला गया. 29 वे राउंड में योगी आदित्यनाथ को 4758 वोट जबकि सपा प्रत्याशी को 1064 वोट, 30 वें राउंड में भाजपा को 5198 वोट तो सपा को 1669 वोट, 31 वे राउंड में भाजपा को 5511 वोट तो सपा को 1504 वोट , 32 वे राउंड में भाजपा को 5518 वोट तो सपा को 1355 वोट, 33 वे राउंड में भाजपा को 5309 वोट तो सपा को 1868 वोट, 34 वे राउंड में भाजपा को 3026 बोर्ड तो सपा को 634 वोट और  अंतिम यानी 35 वे राउंड में भाजपा को 3026 वोट तो सपा को केवल 634 वोट ही मिले।

 

पोस्टल वोट्स में भी सपा पीछे रही

 

योगी आदित्यनाथ को पोस्टल वोट्स में से 1329 मत मिले जबकि सपा प्रत्याशी को 1213 मत प्राप्त हुए।

 

कौन थे उपेंद्र दत्त शुक्ला ?

 

उल्लेखनीय तथ्य यह है कि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ को पराजित करने की दृष्टि से उनके खिलाफ उनके ही कभी बेहद करीबी रहे उपेंद्र दत्त शुक्ल की पत्नी को सपा उम्मीदवार के रूप में मैदान में अचानक उतारने की घोषणा कर दी थी। उपेंद्र दत्त शुक्ल को योगी आदित्यनाथ का उत्तराधिकारी माना जाता था जिन्हें मुख्यमंत्री बहुत पसंद करते थे।

 

सुभावती शुक्‍ला ने अपने दोनों बेटों के साथ सपा जॉइन की थी और उनके पार्टी में शामिल होते ही यह सपा की ओर से यह ऐलान कर दिया गया था। दूसरी तरफ भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आजाद भी गोरखपुर सीट से सीएम योगी आदित्‍यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने पहुँच गए. ऐसा माना जा रहा था कि अखिलेश यादव सीएम योगी के खिलाफ खड़े चंद्रशेखर को समर्थन देने का ऐलान कर सकते हैं, लेकिन सपा अध्‍यक्ष ने अपना प्रत्‍याशी उतारकर सबको चौंका दिया था । ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों को ऐसा बटेर हाथ लग गया था जिससे उन्हें लगने लगा था कि योगी आदित्यनाथ की सीट फंस गई.

 

उल्लेखनीय है कि उपेंद्र दत्‍त शुक्‍ला का डेढ़ साल पहले ब्रेन हैमरेज से निधन हो गया था, वह गोरखपुर में बीजेपी संगठन पर मजबूत पकड़ रखते थे। सीएम योगी आदित्‍यनाथ का उन पर इतना भरोसा था कि उन्‍होंने इस्‍तीफे के बाद गोरखपुर से उपेंद्र दत्‍त शुक्‍ला को टिकट देकर उन्‍हें उत्‍तराधिकारी के तौर पर सम्‍मानित किया था और उन्‍हीं की पत्‍नी को सपा ने टिकट देकर सीएम योगी आदित्‍यनाथ के खिलाफ मैदान में उतार दिया था ।

 

उपेंद्र दत्‍त शुक्‍ला गोरखपुर क्षेत्र में पार्टी का ब्राह्मण चेहरा थे। वह पार्टी के प्रदेश उपाध्‍यक्ष और गोरखपुर के क्षेत्रीय अध्‍यक्ष जैसे महत्‍वूपर्ण पदों पर भी रहे । उपेंद्र दत्‍त शुक्‍ला का मई 2020 में ब्रेन हैमरेज से निधन हो गया था। उनके असमय निधन से योगी आदित्‍यनाथ काफी दुखी थे.

 

उपेंद्र दत्‍त शुक्‍ला कौड़राम विधानसभा सीट से तीन बार चुनाव लड़े थे, लेकिन वह तीनों बार हर गए थे। यूपी का सीएम बनने के बाद योगी आदित्‍यनाथ ने गोरखपुर सांसद के पद से इस्‍तीफा दे दिया था। इसके बाद 2018 में यहां उपचुनाव कराए गए थे। इस उपचुनाव में उपेंद्र दत्‍त शुक्‍ला को सीएम योगी ने अपने उत्‍तराधिकारी के तौर पर चुना था, लेकिन उपेंद्र दत्‍त शुक्‍ला यहां से भी चुनाव हार गए थे। उन्‍हें प्रवीण निषाद ने हरा दिया था।

 

गोरखपुर सदर सीट का इतिहास

 

जिस गोरखपुर सदर सीट से योगी आदित्यनाथ ने भाजपा का परचम जोरदार तरीके से लहराया है उस सीट पर  1951 से 1967 तक मुस्लिम नेता ही जीतते रहे हैं । 1967 के चुनाव में जनसंघ के यू प्रताप ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी । 1969 में कांग्रेस के रामलाल भाई यहां से जीते थे । 1974 में जनसंघ ने दोबारा यहां लहर चलाई और अवधेश कुमार को जीत मिली थी । 1977 में जनता पार्टी के अवधेश श्रीवास्‍तव को सीट से विजय मिली थी । 1980 और 85 में पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्‍त्री के बेटे सुनील शास्‍त्री इस सीट पर विधायक रहे । इसके बाद से गोरखपुर सीट गोरखनाथ मठ के प्रभाव में चली गई। 1989 से अब तक गोरखपुर सदर सीट पर जितने भी चुनाव हुए उनमें वही प्रत्‍याशी जीता जिसे मठ का समर्थन प्राप्‍त हुआ। 1989 से 2017 तक 8 विधानसभा चुनावों में गोरखपुर सदर सीट पर 7 बार भाजपा ने कब्‍जा जमाया, जबकि एक बार हिंदू महासभा के प्रत्याशी ने भी यहां से जीत दर्ज की ।

 

गोरखपुर सदर सीट का जातीय समीकरण

 

गोरखपुर सदर सीट पर निषाद समाज बहुतायत में है । यहां पर निषाद/केवट/मल्‍लाह वोटरों की संख्‍या 40 हजार से भी अधिक है । इस सीट पर 30 हजार दलित मतदाता जबकि 20 से 25 हजार बनिया और जायसवाल हैं. इस सीट पर ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या भी 30 हजार के आसपास है और राजपूत मतदाता 20 से 25 हजार की सीमा में हैं. कायस्‍थ समाज की संख्‍या भी गोरखपुर सदर सीट पर अच्छी खासी है।

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