यूपी चुनाव परिणाम : भाजपा को 41.29% वोट मिले जबकि सपा 32.06% पर सिमटी

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सुभाष चौधरी 

नई दिल्ली :  उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 के चुनाव परिणाम ने देश में राजनीति की नई इबारत लिख दी है। कई राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय दलो के चुनावी मैदान में उतरने के बावजूद यह चुनाव दो ध्रुवीय बनकर रह गया और सारी पार्टियां मुंह देखती रह गई. हालांकि कुछ को आशिंक  कामयाबी मिली लेकिन सत्ता में मजबूत हस्तक्षेप करने के उनके सपने निराधार साबित हुए। इस चुनाव में कुल 403 सीटों पर हुए मतदान में भारतीय जनता पार्टी सर्वाधिक 41.29% वोट हासिल कर अपने पिछले रिकॉर्ड को तोड़ने में कामयाब रही जबकि समाजवादी पार्टी कई छोटे-छोटे जातिगत आधार वाले दलों के साथ चुनावी गठबंधन करने के बावजूद केबल 32.06% वोट हासिल कर पाई।

चौंकाने वाली बात यह है कि सपा गठबंधन में बाजे गाजे के साथ शामिल हुई आरएलडी को केवल 2.85% वोट मिले जबकि बहुजन समाज पार्टी को सबसे खराब प्रदर्शन करने के बावजूद 12.88% वोट मिले. इस पूरे चुनाव में सबसे अधिक नुकसान में अगर कोई पार्टी रही तो वह मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी है जिनका वोट लगभग 10% तो कम हुआ है साथ ही उनके खाते में केबल एक सीट आई है जो उत्तर प्रदेश ही नहीं देश की राजनीति की नई कहानी को गढ़ने वाली घटना है।

हालांकि इस बात को लेकर चर्चा चुनाव पूर्व और चुनाव के दौरान भी होती रही की बसपा प्रमुख मायावती इस बार विधानसभा चुनाव में लगभग निष्क्रिय रही. इसके कई राजनीतिक कारण भी बताए जाते रहे. लेकिन उनकी निष्क्रियता बसपा के परफॉर्मेंस पर इस कदर हावी हो जाएगी इसका अंदाजा संभवतया किसी भी राजनीतिक पंडित को नहीं था. मजे की बात यह है कि उनकी निष्क्रियता ने अगर किसी को सबसे अधिक फायदा पहुंचाया तो वह है भारतीय जनता पार्टी।

कहना न होगा कि बहुजन समाज पार्टी के अधिकतर समर्थक जिसमें जाटव समाज भी शामिल है किसी भी सूरत में उत्तर प्रदेश में यादव समाज के साथ जाने से पूरी तरह कतराते रहे हैं. इसका प्रमाण पिछले कई चुनावों में मिलता रहा है. यहां तक कि पिछले चुनाव में जब बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच चुनावी गठबंधन हुआ था तब भी दोनों पार्टियों के समर्थकों ने एक दूसरे से अलग मतदान कर इस गठबंधन को नकार दिया था।

इस बार का वोटिंग ट्रेंड यह दर्शाता है कि बहुजन समाज पार्टी के लगभग 10% से अधिक समर्थक बहुतायत में भारतीय जनता पार्टी के पाले में चले गए जबकि कुछ हद तक अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गए।

अक्सर समुदाय विशेष की वकालत करने वाले मुस्लिम नेता असदुद्दीन ओवैसी की लाख कोशिशों के बावजूद मुस्लिम समाज, समाजवादी पार्टी के साथ ही बहुतायत में खड़ा रहा क्योंकि उनकी पार्टी ए आई एम आई एम को केबल .49 प्रतिशत वोट ही मिले।

कांग्रेस पार्टी को इस चुनाव में केवल 2.33 प्रतिशत वोट ही मिले जबकि अन्य 11 पार्टियों को 1% से भी कम मत हासिल हुए .यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इस चुनाव में निर्दलीय को लगभग 6.74% मतदाताओं ने अपना समर्थन दिया जबकि.69 प्रतिशत मतदाताओं ने सभी दलों के प्रत्याशियों को नकारते हुए नोटा का बटन दबाया

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