मोदी केबिनेट का इलेक्ट्रोनिक्स क्षेत्र के इंजीनियर्स और कंपनियों के लिए बड़ा निर्णय

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सुभाष चौधरी 

नई दिल्ली : प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केबिनेट की बैठक में आज आत्म  निर्भर भारत योजना के तहत भारत में सेमीकंडक्टर एवं डिस्प्ले मैनेजमेंट का इको सिस्टम स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण योजना को मंजूर किया गया। इस योजना के तहत 6 वर्षों में 76000 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे. इससे अगले 6 वर्षों में भारत में 1 लाख 66 हजार करोड़ का प्रत्यक्ष निवेश होने का अनुमान है । इससे लगभग 1 लाख 33000 से अधिक लोगों को रोजगार मिलेंगे.

 

यह जानकारी केन्द्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने आज पत्रकार वार्ता में दी. उन्होंने बताया कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमिटी ऑन इकोनोमिक अफेयर्स की बैठक में इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में देश को आत्म निर्भर बनाने के लिए बेहद अहम् निर्णय लिया गया. बैठक में सेमीकंडक्टर चिप्स का डिजाइन, फेब्रिकेशन पैकेजिंग और टेस्टिंग यानी कंप्लीट इकोसिस्टम डेवलप हो सके ऐसा फैसला लिया गया. उनके अनुसार इसके माध्यम से अगले 6 वर्षों में भारत में 1 लाख 66 हजार करोड़ का प्रत्यक्ष निवेश होने का अनुमान है. इससे लगभग 1 लाख 33000 से अधिक लोगों को रोजगार मिलेंगे.

इस योजना के तहत लगभग 9.50 लाख करोड़ के चिप से लेकर वेफर तक का प्रोडक्शन होने के आसार हैं । इसमें 5 लाख 14000 करोड़ से अधिक का एक्सपोर्ट भी होने का अनुमान है।

 

पत्रकार वार्ता में मौजूद केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि जीवन के हर क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक्स का बहुत महत्वपूर्ण है. उन्होंने बताया कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है जिससे देश में सेमीकंडक्टर चिप्स का डिजाइन, फेब्रिकेशन, पैकेजिंग और टेस्टिंग कंप्लीट इकोसिस्टम डेवलप हो सकेगा . इस योजना के लिए 76 हजार करोड़ रुपये खर्च करने को मंजूरी दी है जो लगभग 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर है.  उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग की पिछले 7 इयर्स की जर्नी में आज हम 75 बिलियन डॉलर इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग पर पहुंच चुके हैं। उन्होंने कहा कि जिस रफ्तार से हम चल रहे हैं अगले 6 साल में यह संख्या 300 बिलियन डॉलर के पास पहुंच जायगी .

 

उन्होंने कहा कि अभी इस इलेकट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में इकोसिस्टम में जिन चीजों की आवश्यकता होती है उस फाइनल असेंबली से पहले पूरी वैल्यू चैन में चार महत्वपूर्ण पीसेज हैं। सबसे इंपॉर्टेंट है सेमीकंडक्टर और दूसरा है चिप्स। देश इमं पिछले 7 वर्षों में इतनी प्रोग्रेस हुई है कि आज दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट भारत में है.

 

इसका जो सबसे इंपॉर्टेंट पहलू था सेमीकंडक्टर चिप्स का उसके उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए आज प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट ने अपनी संस्तुति दी है।

 

केंद्रीय मंत्री ने पत्रकार वार्ता में एक सेमीकंडक्टर चिप्स और  वेपर डिस्प्ले करते हुए बताया कि जिस देश ने आज इसे बनाना नहीं सीखा वह देश आने वाले समय में बिल्कुल पीछे रह जाएगा. उन्होंने कहा कि जिस देश ने सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग पर कंट्रोल नहीं किया या  उसकी गुणवत्ता पर कामयाबी हासिल नहीं की हो वह देश भविष्य में आगे नहीं बढ़ सकता। उन्होंने कहा कि उसके डिजाइन पर उसके आरएनडी डेवलपमेंट पर अगर ध्यान नहीं दिया तो वह पिछड़ जाएगा.

 

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि बेहद तेज गति से इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटिंग और  वीएलएसआई आगे बढ़ रही है. इसलिए इस फील्ड में हमारे देश को आगे आना बेहद जरूरी है।

 

उन्होंने कहा कि सेमीकंडक्टर चिप की पूरी पैकेजिंग होकर मोबाइल में, कैमरे में ,जेट में, रेलवे की इंजन में, बिजली के सामान यानी पंखे, लाइट में, कूलर में, यानी आम उपयोग में आने वाली वस्तुओं में लगाया जाता है. इससे बनाए गए सर्किट प्रोडक्ट में लगाए जाते हैं।

 

उन्होंने कहा कि इस पूरी वैल्यू चैन के लिए सबसे पहले सिलीकान सेमीकंडक्टर फैब जोकि चिप बनाने में उपयोग में आता है दूसरा डिस्प्ले की प्रोडक्शन में तीसरा कंपाउंड सेमीकंडक्टर चौथा सेमीकंडक्टर की पैकेजिंग को डिवेलप करने का निर्णय लिया गया है।

 

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि दुनिया भर के सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री /इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री में भारत के इंजीनियर ने झंडा गाड़ा हुआ है . इस क्षेत्र में लगभग 20% इंजीनियर दुनिया में काम करने वाले भारत के हैं ।

 

उन्होंने कहा कि दुनिया में हम अपने इंजीनियर की संख्या को कैसे और अधिक आगे बढ़ाएं इसमें और अधिक कैसे मजबूत हो इसके लिए भी आज कैबिनेट ने निर्णय लिया है। यह भी निर्णय लिया गया है कि 85,000 हाई क्वालिटी क्वालिफाइड इंजीनियर/ वेल ट्रेंड इंजीनियर के लिए एक प्रोग्राम बनाया गया है . इसे c2s का नाम दिया गया है यानी चिप टू स्टार्ट अप।

 

इसमें 85000 बीटेक, एमटेक और पीएचडी इंजीनियर को तैयार किया जाएगा। देश में पूरा का पूरा इकोसिस्टम हाई क्वालिटी जॉब्स के साथ वेल ट्रेंड एक टैलेंटेड पूल तैयार हो ऐसी अगले 20 साल तक की कल्पना के तहत यह योजना स्वीकृत की गई है।

श्री वैष्णव ने बताया कि 2 साल के अंदर कम से कम 20 ऐसी यूनिट स्थापित की जाएगी।  उन्होंने कहा कि सेमीकंडक्टर चिप के अंदर जो ब्रेन लगाया जाता है वह डिजाइनर का ब्रेन होता है।

दुनिया के बेस्ट ऑफ द डिजाइनर सेमीकंडक्टर क्षेत्र में भारत में है। अब  डिजाइनर को अपना खुद का स्टार्टअप स्थापित करने का मौका मिले इसके लिए इन्नोवेटिव डिजाइंस बनाने का सोचे तो उन्हें एक मौका मिले इसके लिए भी इसी इकोसिस्टम वाली योजना में प्रावधान किया गया है।

 

 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि डिजाइन हाउस के लिए एक बिल्कुल नई योजना हम लेकर आए हैं जिसका नाम है डी एल आई। इसे डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव का नाम दिया गया है।

 

उन्होंने कहा कि डिजाइन के लिए सबसे पहला खर्च होता है सॉफ्टवेयर टूल्स, दूसरा कंप्यूटिंग पावर, तीसरा उसके लिए आवश्यक रॉ मैटेरियल जैसे चिप्स या फिर डिजाइन किए हुए वेस्ट हो जाते हैं। चौथा खर्चा है डिजाइन की वैलिडेशन और टेस्टिंग और पांचवां है आईपीआर इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स अगर आपको पेटेंट में रजिस्टर कराना है तो उसका खर्च होता है। और इसके बाद फिर उसके लिए एक्चुअल फेब्रिकेशन का एक्सपेंडिचर होता है।

 

केंद्रीय मंत्री ने पत्रकार वार्ता में यह स्पष्ट किया कि डिजाइन मैनेजमेंट के कुल खर्च का 50% केंद्र सरकार वहन करेगी. यह पैसा डी एल आई  योजना से दिया जाएगा।

 

 

इसके बाद इस डिजाइन को जब किसी प्रोडक्ट के निर्माता को बेचा जाता है इसकी कीमत पर भी केंद्र सरकार डिज़ाइनर हाउसेस को इंसेंटिव देगी. अगले 5 वर्षों तक यह 6 परसेंट से शुरू होकर क्रमबद्ध तरीके से चार परसेंट तक दिया जाएगा।

 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत लघु उद्योग और मध्यम दर्जे की उद्योगों के लिए खास ध्यान रखा गया है. सेमीकंडक्टर और सिलिकॉन उत्पादन की दृष्टि से कम से कम 20 लघु और मध्यम दर्जे की यूनिट स्थापित की जाएगी।

 

 

उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत 35000 हाई क्वालिटी डायरेक्ट एंप्लॉयमेंट जनरेट होगा जबकि अप्रत्यक्ष तौर पर एक लाख से अधिक लोगों के लिए रोजगार की संभावनाएं पैदा होंगी। इस योजना के माध्यम से हम रणनीतिक दृष्टि से भी दुनिया में अपनी अलग पहचान बनायेंगे।

 

अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आज कैबिनेट में एक और महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से देश में डिजिटलाइजेशन को जिस तेज गति से आगे बढ़ाया गया उसके कारण देश में बड़े पैमाने पर डिजिटल पेमेंट का तरीका अपनाया।

 

उन्होंने कहा कि डिजिटल पेमेंट मोड को और अधिक प्रमोट करने की दृष्टि से भारत सरकार द्वारा लांच किए गए रूपे को और अधिक आगे बढ़ाने के लिए मर्चेंट डिस्काउंट रेट यानी मेन टू मर्चेंट वाला रेट रुपे डेबिट कार्ड और यूपीआई पेमेंट के लिए केंद्र सरकार रीइंबर्स करेगी।

 

उन्होंने कहा कि इस योजना के लिए अगले 1 वर्ष में ₹1300 करोड़ खर्च करने का प्रावधान किया गया है। इससे अधिक से अधिक लोग डिजिटल पेमेंट को अपनाएंगे।

 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले नवंबर माह में रिकॉर्ड डिजिटल ट्रांजैक्शन हुए हैं. उन्होंने कहा कि 1 माह के दौरान ही 423 करोड़ ट्रांजैक्शन डिजिटल मोड से हुए हैं। इससे 7 लाख 56000 करोड़ रूपये की लेन-देन हुई है।

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