नई दिल्ली : लोकसभा में कोविड-19 से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा में भारतीय जनता पार्टी के झारखंड गोड्डा से सांसद निशिकांत दुबे भी शामिल हुए. डॉक्टर दुबे ने चर्चा के आरंभ में ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा सांसदों को दिए गए सुझाव की याद दिलाई. उन्होंने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ने इस चर्चा को सार्थक बनाने की दृष्टि से सभी सांसदों से कोविड-19 महामारी के दौरान किए गए उपायों एवं लोगों को मदद करने की दृष्टि से उनके इनोवेटिव प्रयासों को साझा करने का सुझाव दिया था लेकिन यहां मानवता से संबंधित इस विषय का भी विपक्ष ने राजनीतिकरण कर दिया।
उन्होंने कहा कि सैकड़ों वर्षो में यह पहली घटना थी जब देश और दुनिया में वसुधैव कुटुंबकम का श्लोक झूठा साबित हुआ क्योंकि कोरोना संक्रमण काल में समाज के सभी वर्गों में कोरोना संक्रमित लोगों से कोई भी मिलने तक को तैयार नहीं थे। भाजपा सांसद ने कहा कि यहां तक कि न पिता अपने संक्रमित पुत्र से मिलने का साहस जुटा पाते थे और ना ही पुत्र अपने संक्रमित पिता से ,परिवार का चाहे कितना भी कोई करीबी रिश्तेदार हो कोई भी संक्रमित व्यक्ति से ना तो मिलने का साहस जुटा पा रहे थे और ना ही उनकी मदद करने की सोच पा रहे थे। उन्होंने कहा कि इस विषम परिस्थिति में आज केवल और केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सफल नेतृत्व के कारण ही हम सही जगह पहुंच पाए हैं।
भाजपा सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने कोरोना के आरंभिक काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ताली बजाने, कैंडल जलाने जैसे आह्वान करने की सराहना करते हुए कहा कि यह आह्वान एकजुटता का संदेश देने और हम भारतीयों की संवेदनशीलता को प्रदर्शित करने के लिए किया गया था लेकिन कांग्रेस पार्टी केवल आलोचना में विश्वास रखती है।
डॉक्टर दुबे ने चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता एवं कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी द्वारा सदन में सत्ता पक्ष के सांसदों की अनुपस्थिति को लेकर उठाए गए सवाल का जवाब देते हुए उन्हें यूपीए शासनकाल के दौरान उत्पन्न स्थिति की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि यूपीए शासन के दौरान तब प्रणब मुखर्जी केंद्र में मंत्री थे और लोकसभा में पेंशन संबंधी महत्वपूर्ण बिल लेकर आए थे। चर्चा के दौरान जब बिल पारित कराने का समय आया तब उन्होंने अपने पीछे मुड़कर देखा तो कांग्रेस के सांसदों की लगभग सभी सीटें खाली थी और सदन का कोरम नियम तक पूरा नहीं था. ऐसे में उनकी चिंता बढ़ गई थी क्योंकि अगर विपक्ष मत विभाजन का मांग कर देता तो फिर बिल को पारित कराना असंभव था.
डॉक्टर दुबे ने जोर देते हुए कहा कि तब भारतीय जनता पार्टी की नेता सुषमा स्वराज ने उन्हें यह कहकर श्री मुखर्जी के पास भेजा कि उन्हें जाकर आप आश्वस्त करें कि यह बिल देश हित में है और विपक्ष यानी भाजपा के सदन में मौजूद सांसद उन्हें बिल पारित कराने में पूरा सहयोग करेंगे. उन्होंने कहा कि तब भाजपा सांसदों ने उक्त बिल को पारित कराने में पूरा सहयोग दिया. डॉक्टर दुबे ने इस प्रकार के सवाल खड़े करने को लेकर विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी की तीव्र आलोचना की और कहा कि उन्हें इस तरह के सवाल नहीं खड़े करने चाहिए।
डॉक्टर दुबे ने विपक्ष द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली पर सवाल खड़े करने को लेकर भी कांग्रेस पार्टी पर करारा प्रहार किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के नेता व पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी कभी आलू से सोना निकालते हैं तो कभी कोविड-19 महामारी काल में भी विदेश भ्रमण पर निकल जाते हैं. इससे उनकी देश की समस्याओं के निराकरण के प्रति किस प्रकार की गंभीरता है उसका प्रदर्शन होता है. इस पर विपक्ष खासकर कांग्रेस के सांसदों ने भाजपा सांसद के इस बयान का विरोध करते हुए हंगामा किया. सभापति के मान मनोव्वल के बाद कांग्रेस सांसद शांत हुए।
डॉ निशिकांत दुबे ने जोर देते हुए कहा कि यह हम सब को समझना चाहिए कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है इसमें केंद्र सरकार केवल मदद करती है. संवैधानिक रूप से मृत्यु और जन्म प्रमाण पत्र को लेकर राज्य सरकार निर्णय लेती है. इसलिए राज्यों के द्वारा कोविड-19 संक्रमण से हुई मौतों के आंकड़े पर केंद्र सरकार कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
भाजपा सांसद ने सवाल खड़ा किया कि जब राज्य सरकार अपने दिए आंकड़े में ही दावे करती है कि ऑक्सीजन की कमी के कारण से किसी की मृत्यु नहीं हुई है तो फिर इसमें केंद्र सरकार कहां तक जिम्मेदार है. उन्होंने वेस्ट बंगाल ,उड़ीसा, तमिलनाडु ,तेलंगाना, केरल और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों की सरकारों द्वारा जारी किए गए आंकड़े की चर्चा करते हुए कहा कि इन सरकारों ने ऑक्सीजन की कमी के कारण कोई भी मौत होना नहीं स्वीकारा है. ऐसे में केंद्र सरकार के पास उन आंकड़ों को मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
उन्होंने कहा कि इसके लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराना अतार्किक और तथ्यों से पढ़े हैं जबकि इसे राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि इसके लिए कंपनसेशन की मांग की जाती है जब की मौत के कारणों पर राज्य सरकारों द्वारा दिए गए आंकड़े पर विपक्ष को खुद ही विश्वास नहीं है।
भाजपा सांसद ने दावा किया कि कोविड-19 संक्रमण से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विभिन्न पक्षों के साथ जिनमें कैबिनेट के मंत्री, अधिकारी, राज्यों के मुख्यमंत्री और अधिकारियों के साथ जितनी बार बैठकें की गई उतनी बैठक पिछले 50 – 60सालों में किसी प्रधानमंत्री ने नहीं की होगी। उन्होंने अपने भाषण में झारखंड राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की इस बात के लिए तीव्र आलोचना की कि प्रधानमंत्री ने जिस तरह से मुख्यमंत्रियों को बैठक में सुझाव देने के लिए आमंत्रित किया बावजूद इसके उन्होंने यह कहते हुए आरोप लगाया कि उनके मन की बात कहने का मौका नहीं मिला. उन्होंने कहा कि इस प्रकार की राजनीतिक बयानबाजी से राज्य का भला नहीं हो सकता।
भाजपा सांसद ने कहा कि इस परिस्थिति में सभी ने एक दूसरे की मदद की. 130 करोड़ की जनसंख्या वाले देश में वैज्ञानिक ने महत्वपूर्ण योगदान दिया. प्रधानमंत्री ने फ्रंट से लीड किया और स्वास्थ्य विभाग के मंत्री मनसुख मंडविया ने भी अपना सराहनीय योगदान दिया।
देश के दूसरे राज्यों में काम करने वाले झारखंड राज्य के मजदूरों की सहायता के मामले में भाजपा सांसद ने एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले, तेलंगाना के सांसद, तमिलनाडु के सांसद, पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर, यहां तक कि तेलंगाना के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की भी इस बात के लिए जमकर प्रशंसा की कि उन्होंने सभी प्रवासी मजदूरों की खुलकर मदद की। उन्होंने इस बात को दोहराया कि इस विषम परिस्थिति में पार्टी लाइन से अलग हटकर सांसदों ने जिस प्रकार एक दूसरे की मदद की वह पहलू भी सदन में हो रही इस चर्चा में अवश्य सामने लाया जाना चाहिए।
भाजपा नेता ने कहा कि यह समय एक दूसरे पर ब्लेम करने का नहीं बल्कि साथ मिलकर इनोवेटिव तरीके से काम करने का है. उन्होंने आश्वस्त किया कि वैक्सीन की कोई कमी नहीं है. उन्होंने सवाल किया कि क्या हम राजनीतिज्ञों का भी यह दायित्व नहीं बनता कि हम अपने अपने क्षेत्र में लोगों को समय पर वैक्सीन की डोज लेने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या हम सबको मिलकर इसके लिए इनीशिएटिव नहीं लेनी चाहिए जबकि सभी क्षेत्रों में कोविड-19 संक्रमण के दौरान मृत्यु को प्राप्त हुए माता पिता के उन बच्चों की जिम्मेदारी भी आगे बढ़ कर लेनी चाहिए।
उन्होंने भारत और अमेरिका में कोविड-19 संक्रमण से उत्पन्न हालात की तुलना करते हुए कहा कि हाल ही में उन्होंने अमेरिका की यात्रा की है. उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि अमेरिका में शायद कोई ऐसा लेन है जहां घर बिक्री नहीं है. उनका कहना था कि अमेरिका जैसे देश में भी इस कदर बेरोजगारी सिर चढ़कर बोल रही है कि लोगों को हालात से बाहर आने के लिए अपने मकान बेचने पर रहे। भाजपा नेता ने दावा किया कि इसके बावजूद भारत में विकास दर दुनिया के अन्य देशों से अधिक है. यहां आईटी प्रोफेशनल्स की कमी हो गई है क्योंकि उनके लिए नौकरी की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
डॉ निशिकांत दुबे ने कहा कि भारत जैसे विशाल देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शी सोच का ही नतीजा है कि यहां भूखे किसी को नहीं मरने दिया गया. उन्होंने अपने भाषण में रूजवेल्ट की थ्योरी का जिक्र करते हुए कहा कि क्या आज मनरेगा जैसी योजनाओं का उपयोग और बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए नहीं किया जा सकता. उन्होंने सदन के सदस्यों के सामने सवाल रखा कि क्या मनरेगा संबंधी कानून को अब पुनः परिभाषित करने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि रोजवेल की प्लांटेशन थ्योरी के कारण ही प्रकृति को बचाया जा सका. उनका कहना था कि मनरेगा में भ्रष्टाचार चरम पर है उसमें संशोधन की जरूरत है।
कोविड-19 से उत्पन्न हालात पर चर्चा के दौरान भाजपा सांसद ने महागाई का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा कि पेट्रोल और डीजल के मामले में राज्य सरकारें ज्यादा टैक्स वसूल रही है जबकि केंद्र सरकार का शेयर कम है .ऐसे में राज्य सरकारों को अपने शेयर का टैक्स कम करके जनता को राहत देने की बात सोचनी चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया कि राज्य सरकारों को अपना टैक्स कम करने के लिए इसे अब जीएसटी के अंतर्गत लाने का निर्णय लेना चाहिए।