सुभाष चौधरी
नई दिल्ली : लोक सभा में कोरोना की स्थिति पर हो रही चर्चा में कांग्रेस पार्टी संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने अपने भाषण के आरम्भ में संसद में सत्ता पक्ष के सांसदों की गैरहाजिरी का सवाल खड़ा कर कोरम पूरा नहीं होने का मामला उछाल दिया. इससे सत्ता पक्ष में हड़बड़ी देखने को मिली. यहाँ तक कि जिस मंत्रालय के विषय पर चर्चा हो रही थी उस स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के केबिनेट मंत्री मनसुख मंडाविया भी सदन में उस समय मौजूद नहीं थे. यह सवाल उठाते ही सत्ता पक्ष कि किरकिरी हुई और कई मंत्री जिनमें मनसुख मंडाविया और जल संसाधन मंत्री शेखावत शामिल हैं तत्काल सदन में पहुँच गये. हालांकि चर्चा के वक्त स्वास्थ्य राज्य मंत्री डॉ भारती पंवार मौजूद थीं लेकिन भाजपा की तरफ अधिकतर सांसदों की सीट खाली थी.
दूसरी तरफ उस वक्त विपक्ष ख़ास कर कांग्रेस की बेंच भी एक दो सांसदों को छोड़ कर खाली थी. जब सत्ता पक्ष ने उनकी और इशारा किया तो विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने तर्क दिया कि उनके सदस्य, संसद परिसर में बाहर धरना व प्रदर्शन में व्यस्त हैं. जाहिर है इस अति गंभीर मामले की चर्चा के प्रति दोनों पक्षों की गैरजिम्मेदारी को दर्शाता है.
जब सत्ता पक्ष के सांसदों ने श्री चौधरी पर सवाल खडा किया तो उन्होंने कहा कि इसकी जिम्मेदारी सत्ता पक्ष की है. उन्होंने कहा कि जो भारतीय जनता पार्टी दिन रात विपक्ष सहित पूरे दश को ज्ञान सिखाती रहती है उनके सांसदों का कोरोना पर हो रही चर्चा में नदारद रहना, वो कितने गंभीर हैं इसको दर्शाता है.
उनके इस बात का जवाब भारतीय जतना पार्टी के झारखंड गोड्डा से लोक सभा सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने दिया. उन्होंने अपने भाषण के आरम्भ में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के उठाये सवालों का जवाब देने के क्रम में यूपीए शासन काल के एक वाकये की याद दिलाई . उन्होंने कहा कि तब प्रणव मुखर्जी केंद्र में मंत्री थे और संसद में पेंशन सम्बन्धी महत्वपूर्ण बिल आया था. लेकिन उस समय चर्चा के दौरान जब मत विभाजन की स्थिति आने की आशंका बनी तो प्रणव मुखर्जी ने जब अपने पीछे मुड़ कर देखा तो वे यह देख कर बड़े परेशान हो गए कि ट्रेजरी बेंच यानी कांग्रेस (सत्ता पक्ष ) के सांसदों की पूरी की पूरी सीट खाली थी. तब भी हाउस का कोरम पूरा नहीं था. डॉ दुबे ने बताया कि उस समय यह स्थिति देख कर तब भाजपा नेता सुषमा स्वराज ने डॉ दुबे को कहा कि वे जाकर श्री मुखर्जी को आश्वस्त कर दें कि उन्हें घबराने की बात नहीं है. पेंशन सम्बन्धी बिल देश हित में है इसलिए सत्ता पक्ष के सांसद नहीं भी हैं तो कोई बात नहीं विपक्ष के सभी सांसद इस बिल को पारित कराने में मदद करेंगे और उस वक्त विपक्ष की मदद से वह बिल पारित किया गया.
यह घटना उल्लेख कर भाजपा सांसद डॉ दुबे ने यह जताने की कोशिश की कि अधीर रंजन चौधरी को संसदीय परम्पराओं की संवेदनशीलता का खयाल रखना चाहिए न कि कोरम पूरा नहीं होने की कमी को उजागर कर एक दूसरे की टांग खिचाई करनी चाहिए.
इस मामले में डॉ दुबे ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की कोरोना महामारी से लड़ने की गंभीरता और कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी की ऐसे समय में भी देश से बहार रहने की उनकी परम्परा की तुलना करने की कोशिश की. इस पर सदन में कांग्रेस पार्टी के सांसदों ने भाजपा सांसद का विरोध किया और हंगामा होने लगा.
दोनों पक्षों के बीच इस मामले को लेकर जो भी वाद प्रतिवाद हुआ हो वह तो इसका एक पहलू है लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि कोरोना महामारी जिससे देश को असीमित जन हानि और धन हानि झेलनी पड़ी उसको लेकर भी सत्ता पक्ष और विपक्ष कितना गंभीर है यह बड़ा सवाल आज सदन की बैठक के दौरान खड़ा होता मिला. आज भी कोरोना के नए वेरिएंट को लेकर जिस कदर खतरे के काले बादल दुनिया के साथ भारत पर भी मंडरा रहे हैं उस मुद्दे पर चर्चा के प्रति दोनों पक्षों की ओर से कोताही बरतना देश के लिए चिंता का विषय है. उम्मीद की जा सकती है कि आम जनता राजनेताओं की इस संवेदनहीनता का संज्ञान लेगी और भविष्य में उसी अनुरूप अपना निर्णय लेगी.