अनुराग ठाकुर की BCCI से क्यों हुयी छुट्टी ?

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उच्चतम न्ययालय का ऐतिहासिक निर्णय

नई दिल्ली : दुनिया के सबसे अमीर बोर्ड , भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड  के 88 साल के इतिहास में सोमवार को उच्चतम न्ययालय के ऐतिहासिक निर्णय ने नया अध्याय लिख दिया।  सर्वोच्च न्यायलय द्वारा गठित लोढ़ा कमिटी द्वारा सुझाए गए सुधार की सिफारिशें नहीं मानने पर सुप्रीम कार्ट ने बोर्ड के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और सेक्रेटरी अजय शिर्के को हटा दिया। इस बड़े फैसले के पीछे सबसे बड़ी भूमिका पूर्व चीफ जस्टिस आर एम लोढ़ा की ही रही।

 

उल्लेखनीय है कि जस्टिस लोढ़ा की अगुआई में अदालत के आदेश पर जनवरी 2015 में कमेटी गठित हुयी थी। कमेटी ने सक्रियता व पारदर्शिता का साथ अपनी सिफारिशों अदालत के समक्ष रखीं और उसका यह असर रहा कि दो IPL टीमें बैन कर दी गईं। हैवी वेट राजनेता व क्रिकेट किम दुनिया पर हावी रहने वाले पूर्व केंद्रय मंत्री शरद पवार को इस गाइड लाइन के तहत स्टेट एसोसिएशन की पोस्ट से हटना पड़ा और अब बोर्ड प्रेसिडेंट और सेक्रेटरी की कुर्सी पर बैठे अड़ियल रुख अपनाने वाले नेता व पदाधिकारी पट गाज गिरी।  

 

लगभग 8 हजार करोड़ रुपए की औकात वाले इस बोर्ड में सुधार के लिए जस्टिस लोढ़ा ने सर्वोच्च न्यायलय के निर्देशन में पूरी कोशिश की। कहा जाता है कि बीसीसीआई दुनिया का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड है। यह बात बोर्ड की गत 31 मार्च 2016 की बैलेंस शीट से स्पष्ट होती है. इससे पता चलता है कि बिसिसिआइ 7,847 करोड़ रुपए की संपत्ति का मालिक है। ध्यान देने वाली बात यह है कि लगभग 3576 करोड़ रुपए का कैश इस बोर्ड के पास है। गत वर्ष बोर्ड की आय 2,981 करोड़ रुपए दर्शाई गयी है।

 

इस बोर्ड के लिए विवादों से घिरे रहना आम बात बन गे थी। बुकीज, खिलाड़ियों और फ्रेंचाइजी मेंबर्स के बीच सांठगांठ का खुलासा मई 2013 में सामने आया। इस मामले पर अक्टूबर 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस मुकुल मुद्गल की अध्यक्षता में कमेटी गठित की। इस कमेटी ने अपनी जाँच रिपोर्ट में चेन्नई सुपरकिंग्स और राजस्थान रॉयल्स को दोषी माना। यहाँ से ही बिसिसिआई में संरचनात्मक रिफार्म की पटकथा लिखनी शुरू ही गयी।

 

चेन्नई सुपरकिंग्स और राजस्थान रॉयल्स समेत आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग के दोषियों के खिलाफ सजा तय करने के लिए देश की सर्वोच्च अदालत ने जनवरी 2015 में जस्टिस आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में कमेटी बनाई। जस्टिस लोढ़ा ने इस जिम्मेदारी को संभाला और तभी BCCI के गुरुघंटालों को बड़ा झटका लगा।

 

हालाँकि जस्टिस लोढ़ा को इन मठाधीशों को हिलाने में लगभग छह माह लग गए। इस क्रम में जुलाई 2015 में ही चेन्नई सुपरकिंग्स और राजस्थान रॉयल्स की फ्रेंचाइजी को दो साल के लिए बैन कर दिया गया था। CSK के CEO गुरुनाथ मयप्पन और राजस्थान रॉयल के ओनर राज कुंद्रा पर क्रिकेट से जुड़ी एक्टिविटी में हिस्सा लेने पर रोक लगा दी गयी। स्पॉट फिक्सिंग मामले में सजा तय करने के बाद जस्टिस लोढ़ा ने फिर 6 महीने का वक्त लिया और जनवरी 2016 में बीसीसीआई में आमूल-चूल बदलाव की माकूल सिफारिश की। इस सिफारिश में बीसीसीआई में ऊंचे पद पर बैठे लोगों पर तथात्मक अंगुलियाँ उठाई गयीं। आपस में ही हर बार मेली कुश्ती कर कुर्सी  बदल बदल कर बोर्ड पर कुंडली मार कर बैठने वाले कुनबे अब निशाने पर आये और इनका कंट्रोल पूरी तरह खत्म होने का संकेत मिलने लगा।

 

उल्लेखनीय है कि जस्टिस लोढ़ा ने उन हर बिन्दुओं पर बारीकी से ध्यान दिया जिसके सहारे बोर्ड के लोग अपना सिक्का जमाये बैठे थे। उन्होंने साफ शब्दों में सिफारिश की कि एक स्टेट का एक वोट होगा। इससे पहले महाराष्ट्र, गुजरात जैसे स्टेट में तीन-तीन क्रिकेट एसोसिएशन थे। उन सभी के वोट अलग अलग होते थे ।  यह भी कहा गया कि सभी पदाधिकारियों की अवधी तय होगी। कोई मंत्री बीसीसीआई में पोस्ट नहीं ले सकेगा साथ ही  70 साल से ज्यादा उम्र का कोई भी शख्स बोर्ड में कोई जिम्मेदारी नहीं संभाल सकेगा।

 

लेकिन इन सिफारिशों के प्रति बोर्ड में बैठे लोगों का रवैया बेहद नकारात्मक रहा। अक्टूबर में बीसीसीआई ने स्पेशल जनरल मीटिंग बुलाई और यह फैसला ले लिया कि बोर्ड पदाधिकारी के लिए मैक्सिमम 70 साल की उम्र और वन स्टेट-वन वोट जैसी सिफारिशें नहीं मानी जा सकतीं। बोर्ड के अपेक्स काउंसिल और IPL गवर्निंग काउंसिल में कैग के प्रतिनिधि को रखने जैसी कुछ सिफारिशें मानने पर सहमती दी।

इसके बाद जस्टिस लोढ़ा ने नवंबर में सुप्रीम कोर्ट को सौंपी सिफारिशों में कहा कि अगर बोर्ड सुधार के सुझाव मानने को राजी नहीं है तो सभी पदाधिकारियों को बर्खास्त कर देना चाहिए।

 

इसी सिफारिश को मानते हुए सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने अध्यक्ष अनुराग ठाकुर व सचिव शिर्के  को पद से हटा दिया। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एमपी शाह और जस्टिस अरिजित पसायत की कमेटी ने कहा था कि देश में हर साल 30 हजार करोड़ की सट्टेबाजी क्रिकेट में होती है, जबकि सट्टेबाजी गैरकानूनी है।

 

जस्टिस लोढ़ा का मानना था कि सट्टेबाजी वैध करने से ब्लैकमनी हटेगी। बोर्ड का रेवेन्यू बढ़ेगा, लेकिन इसके लिए कानून बनाने होंगे, जिसमें सट्टेबाजी से जुड़े हर शख्स के पास लाइसेंस होना जरूरी करना होगा।

 

 सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि बीसीसीआई पब्लिक फंक्शन का काम करती है और क्रिकेट की पूरी मोनोपोली इसके हाथ में है। जस्टिस लोढ़ा का मानना था कि ऐसा है तो इसके लिए हर राज्य बराबर है। फिर वोटिंग के हक में गैर-बराबरी क्यों? छोटे-बड़े का फर्क क्यों हो? हर राज्य को बराबर वोटिंग का हक होना चाहिए। जैसे ऑस्ट्रेलिया में क्रिकेट का बहुत चार्म है। वहां छह राज्य हैं। सबको बराबर हक है।

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