हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने दो अधिकारियों को नोटिस जारी किया

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चंडीगढ़, 2 अक्टूबर : हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने अधिसूचित सेवाएं निर्धारित समय-सीमा में न देने पर दो अलग-अलग मामलों में स्वतः संज्ञान लिया है। इससे यह बात साफ हो गई है कि अधिसूचित सेवाओं की डिलीवरी में अब अधिकारियों या कर्मचारियों की हीला-हवाली नहीं चलेगी।

हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग के मुख्य आयुक्त टी.सी. गुप्ता ने बताया कि एक शिकायत मिलने पर एमएसएमई विभाग के वरिष्ठ लेखाधिकारी एस.के. कौशिक को मुख्य आयुक्त के समक्ष पेश होने के लिए 15 सितंबर को एक स्वतः संज्ञान नोटिस जारी किया गया था। वरिष्ठ लेखाधिकारी एस.के. कौशिक और लेखा अधिकारी उषा रानी 27 सितंबर को मुख्य आयुक्त के समक्ष पेश हुए और बताया कि यह स्कीम एमएसएमई निदेशालय द्वारा डील की जा रही है जबकि नोटिस उद्योग एवं वाणिज्य विभाग को जारी किया गया था।

एस.के. कौशिक ने अपने लिखित जवाब में बताया कि वित्त विभाग द्वारा लगाई गई सीलिंग के चलते 7 दिन की निर्धारित अवधि के अंदर भुगतान नहीं किया जा सका। लेकिन जब उनसे 45 दिन की अधिसूचित अवधि के समक्ष 10 माह से अधिक के विलंब के बारे में पूछा गया तो वह कोई भी जवाब नहीं दे सके।

श्री  गुप्ता ने बताया कि यह एक गंभीर मामला है और इसलिए हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 की सेवा संख्या 130 के तहत समय पर सेवाएं देने में विलंब के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव(वित्त) और निदेशक, एमएसएमई को स्वतः संज्ञान नोटिस जारी किया गया है। साथ ही, उन्हें व्यक्तिगत रूप से या वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से 18 अक्टूबर को दोपहर 12ः30 बजे आयोग के समक्ष पेश होने के निर्देश दिए गए हैं।

मुख्य आयुक्त  टी.सी. गुप्ता ने बताया कि दूसरा मामला पीजीआईएमएस रोहतक का है। रोहतक के उपायुक्त ने 29 सितंबर को एक ई-मेल के माध्यम से बताया कि स्थानीय समाचार-पत्रों में इस आशय की रिपोर्टें छप रही हैं कि पीजीआईएमएस रोहतक के पास कोविड-19 के चलते हुई मौतों की सही जानकारी नहीं है। इसका कारण फाइल गुम होना बताया गया। मौतों का आंकड़ा पहले के 23 के मुकाबले 80 तक होना बताया गया जिसके चलते उपायुक्त रोहतक के पास पीजीआईएमएस, रोहतक द्वारा मृत्यु प्रमाण पत्र जारी न करने के संबंध में शिकायतों की बाढ़ आ गई।

ई-मेल के माध्यम से यह भी बताया गया कि उपायुक्त रोहतक द्वारा पीजीआईएमएस रोहतक के निदेशक कार्यालय के समक्ष कई बार मामला उठाने पर भी न तो इस तरफ कोई ध्यान दिया गया और न ही संबंधित कर्मचारी द्वारा सरल पोर्टल पर जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र अपलोड किए गए। यह भी बताया गया कि यह प्रमाण पत्र देने की अधिसूचित समय-अवधि 21 दिन है, परंतु ऐसे मामले अप्रैल से लंबित हैं। हालांकि, अधिसूचित सेवाओं की सूची में सेवा संख्या 23 के लिए चालू वर्ष के दौरान जन्म या मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए 14 दिन की समय-सीमा निर्धारित की गई है।

 

टी.सी. गुप्ता ने बताया कि अधिसूचित सेवा निर्धारित समय सीमा में देने में विफल रहने पर निदेशक,पीजीआईएमएस रोहतक को स्वतः संज्ञान नोटिस जारी किया गया है और सेवा डिलीवरी में विलंब के लिए कारण बताने को कहा गया है। साथ ही, पीजीआईएमएस रोहतक के निदेशक को इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए 11 अक्टूबर को 11ः30 बजे व्यक्तिगत रूप से या वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोग के समक्ष पेश होने के निर्देश दिए गए हैं।

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