ई-श्रम पोर्टल को बनाया जाए आसान, तभी इस अभियान का उद्देश्य हो पाएगा सफल
गुडग़ांव, 5 सितम्बर : कोरोना महामारी के प्रकोप से पिछले डेढ वर्ष से जहां हर वर्ग प्रभावित हुआ है, वहीं असंगठित क्षेत्र के कामगार भी
इससे प्रभावित हुए बिना नहीं रहे हैं। कोरोना काल में जब सबकुछ बंद था तो इन असंगठित क्षेत्र के कामगारों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इनके सामने भूखों मरने की नौबत आ चुकी थी। प्रवासी श्रमिकों को विभिन्न समस्याओं का सामना भी करना पड़ा था। हालांकि केंद्र व प्रदेश सरकारों ने इन कामगारों को भोजन व आर्थिक सुविधाएं भी उपलब्ध कराने को लेकर कई कदम भी उठाए थे लेकिन इस सबके बावजूद भी ये कामगार आज तक उबर नहीं पाए हैं।
हालांकि कुछ क्षेत्रों में निर्माण कार्य आदि भी शुरु हो चुके हैं लेकिन जो सुविधाएं उनको मिलनी चाहिए थी वह नहीं मिल पा रही हैं। प्रदेश सरकारों ने कामगारों के लिए कल्याण कोष की व्यवस्था भी की हुई है लेकिन कल्याण कोष से कुछ सहायता लेने के लिए बहुत सारी औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ती हैं जो इन कामगारों की हिम्मत से बाहर हैं। श्रमिक संगठन समय-समय पर मांग करते रहे हैं कि इन औपचारिकताओं को कुछ शिथिल किया जाए ताकि कल्याण कोष का लाभ असंगठित क्षेत्र के कामगारों को भी मिल सके। जानकारों का कहना है कि कामगारों की बेहतरी के लिए केंद्र सरकार ने देर में ही सही इन कामगारों के बंदीकरण के ई-श्रम पोर्टल की शुरुआत की है।
राष्ट्रीय स्तर पर इन कामगारों का डाटाबेस तैयार करने और इन्हें विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोडऩे के लिए ई-श्रम पोर्टल के माध्यम से यह कदम उठाया है। उनका कहना है कि इसके तहत आधार और बैंक खाते का ब्योरा भरकर पोर्टल पर पंजीकरण करने के बाद कामगारों को 12 अंकों का ई श्रम कार्ड दिया जाएगा जोकि देश के विभिन्न प्रदेशों में मान्य होगा।
उनका यह भी कहना है कि प्रदेश में कोरोना की पहली लहर आई थी तो उसी दौरान प्रवासी श्रमिकों की घर वापिसी की पृष्टभूमि में गत वर्ष ही संसद की स्थायी समिति ने असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का राष्ट्रीय डाटाबेस तैयार करने की सिफारिश की थी। लेकिन उस समय इस पर कोई कार्यवाही नहीं हो सकी थी। हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने भी इन कामगारों की समस्याओं का समाधान कराने के लिए केंद्र सरकार से आग्रह भी किया था। उनका कहना है कि देश में पहली बार असंगठित निर्माण कार्यों, अप्रवासी व घरेलू काम में जुटे लोगों तथा रेहड़ी-पटरी
पर कारोबार करने वालों के पंजीकरण की प्रक्रिया केंद्र सरकार ने शुरु कर दी है। इन जानकारों का कहना है कि कृषि क्षेत्र के मजदूरों को भी इसमें शामिल किया जाना चाहिए। 93 प्रतिशत श्रमिक असंगठित क्षेत्र में ही कार्यरत हैं। उनका यह भी कहना है कि नोटबंदी व कोरोना की दोनों लहरों से देश का असंगठित क्षेत्र सबसे प्रभावित हुआ है।
हालांकि इस दौरान केंद्र सरकार ने रेहड़ी-पटरी वालों को सुविधाएं भी अवश्य दी थी। लेकिन उनकी जितनी सहायता की जानी चाहिए थी, वह नहीं हो सकी थी। जानकारों का यह भी कहना है कि असंगठित क्षेत्र के कामगारों की सीधीआर्थिक मदद के साथ इनका कौशल निखारने के अभियान के बारे में भी सरकार को सोचना होगा। उन्होंने सरकार से यह भी आग्रह किया है कि ई-श्रम पोर्टल पर श्रमिकों के पंजीकरण
की प्रक्रिया को आसान बनाया जाए, तभी इस अभियान का उद्देश्य सफल हो पाएगा। सरकार को असंगठित क्षेत्र की बेहतरी के लिए भी समय-समय पर कदम उठाते रहने चाहिए।