नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष एवं उच्चतम न्यायालय के न्यायधीश न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने किया आरम्भ
सभी को सुलभ न्याय प्राप्त करने में सहायक सूचनापरक पोस्टर भी लांच
गुरुग्राम, 1 अगस्त राष्ट्रीय विधिक सेवाएं प्राधिकरण(नालसा) के कार्यकारी अध्यक्ष एवं उच्चतम न्यायालय के न्यायधीश न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने आज हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण(हालसा) के गुरूग्राम से प्रदेशव्यापी एक वर्षीय ‘सभी को न्याय दिलाने में कानूनी सेवाओं की गुणवत्ता अहम है ‘अभियान का शुभारंभ किया। न्यायमूर्ति ललित ने इस मौके पर सभी को सुलभ न्याय प्राप्त करने मे सहायक सुविधाओं और सूचनापरक पोस्टर भी लांच किए। इनमें समर्पित वीडियो कान्फ्रेंसिंग सुविधा , लीगल ऐड काउंसल व लीगल ऐड प्राप्तकर्ता के लिए वीडियो कंसल्टेशन सुविधा, प्रदेश के 18 विधिक सेवाएं प्राधिकरण के फ्रंट ऑफिस कार्यालयों में किड्स जोन, आम जनता को प्री-अरेस्ट, अरेस्ट व रिमांड स्टेज के दौरान प्राप्त अधिकारों की जागरूकता के लिए 8 प्रकार के सूचनापरक पोस्टर शामिल हैं। इसके अलावा, जुविनाइल जस्टिस(केयर एंड प्रोटेक्शन)एक्ट पर आधारित एक शॉर्ट फिल्म तथा लोगों को प्री-अरेस्ट तथा अरेस्ट के दौरान प्राप्त अधिकारों के बारे में एनीमेटिड फिल्म भी रिलीज की।
इस राज्यस्तरीय कार्यक्रम में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश तथा हरियाणा विधिक सेवाएं प्राधिकरण के पैट्रन इन चीफ न्यायमूर्ति रविशंकर झा, गुरूग्राम सैशंस डिवीजन के एडमिनीस्ट्रेटिव जज उच्च न्यायालय के न्यायधीश न्यायमूर्ति जसवंत सिंह, हालसा के कार्यकारी अध्यक्ष एवं उच्च न्यायालय के न्यायधीश न्यायमूर्ति राजन गुप्ता, पंजाब विधिक सेवाएं प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष एवं उच्च न्यायालय के न्यायधीश न्यायमूर्ति अजय तिवारी, उच्च न्यायालय की विधिक सेवाएं कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए जी मसीह, हरियाणा सरकार के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव अरोड़ा , नालसा के सदस्य सचिव अशोक जैन तथा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल संजीव बेरी भी उपस्थित थे। इनके अलावा, नालसा के निदेशक पुनीत सहगल, हालसा के सदस्य सचिव प्रमोद गोयल के अलावा प्रदेश के विभिन्न जिलों के न्यायायिक अधिकारी, पैनल अधिवक्ता, पैरा लीगल वालंटियर , बार एसोसिएशन के सदस्य तथा पुलिस अधिकारियों व जिला प्रशासन के अधिकारीगण उपस्थित रहे।
इस मौके पर संबोधित करते हुए नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष एवं उच्चतम न्यायालय के न्यायधीश न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने आमजनता को उनके कानूनी अधिकारों विशेषकर प्री-अरेस्ट , अरेस्ट और रिमांड स्टेज के दौरान प्राप्त अधिकारों के बारे में जागरूक करने तथा सभी को न्याय दिलाने में सहायक अन्य 6 कार्यक्रम वर्चुअल प्लैटफार्म के माध्यम से शुरू करने के लिए हालसा की प्रशंसा की। साथ ही उन्होंने कहा कि नई सुविधाएं सृजित करने में राज्य सरकार का सहयोग भी सराहनीय है। उन्होंने कहा कि इस मामले में हरियाणा ने पहल की है और देश की अन्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण को भी हरियाणा द्वारा शुरू की गई पहल का अनुसरण करना चाहिए। उन्होंने हालसा द्वारा शुरू किए गए एक वर्षीय अभियान, जिसमें आमजनता को उनके कानूनी अधिकारों के बारे में जागरूक किया जाएगा, की भी सराहना की। साथ ही न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि आज लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि के अवसर पर सभी को सुलभ न्याय दिलाने की दिशा में हरियाणा ने कई पहल शुरू की हैं।
उन्होंने बताया कि लोकमान्य तिलक पर तत्कालीन सरकार ने राजद्रोह का केस चलाया था और उस समय लोकमान्य तिलक ने खुद कोर्ट के सामने अपने केस की पैरवी की थी, जिसके लिए उनकी मांग पर न्यायधीशों की लाइब्रेरी खोल दी गई थी। उन्होंने कहा कि जब उस समय भी एक व्यक्ति को अपने बचाव में केस की पैरवी करने के लिए पूरे अवसर दिए गए थे , तो अब ऐसा क्यों नही किया जा सकता। न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि व्यक्ति को अरेस्ट होने के बाद कानूनी सहायता प्राप्त करने का तो पता है , लेकिन उसे प्री-अरेस्ट , अरेस्ट तथा रिमांड के दौरान प्राप्त अधिकारों का भी पता होना चाहिए ताकि वह कानूनी प्रावधानों का लाभ ले सके।
इस संबंध में पुलिस थानों में सूचनापरक पोस्टर सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित हों। उन्होंने कहा कि नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष का कार्यभार संभालने के बाद उन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों में रिजनल कान्फ्रेंस की और उनमें सभी को सुलभ न्याय दिलाने के संबंध में जो अच्छे विचार या सुझाव आए, वे लागू करने के लिए प्रत्येक विधिक सेवाएं प्राधिकरण को भेजे गए। इसमें एक प्रमुख सुझाव यह था कि आमजनता को प्राप्त अधिकारों के बारे में हर पुलिस स्टेशन में सार्वजनिक रूप से बोर्ड लगा हो। दूसरा सुझाव आया था कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति को 24 घंटे में मैजिस्ट्रेट के सामने प्रस्तुत किया जाए , उस समय मैजिस्ट्रेट प्रो-एक्टिव होकर उससे पूछे कि क्या उसे अच्छे अधिवक्ता की सेवाएं मिल रही हैं , यदि नही तो डीएलएसए उसे ये सेवाएं उपलब्ध करवाए क्योंकि इस देश का नागरिक होने के नाते उसे स्वयं को बेगुनाह साबित करने के पूरे अवसर मिलने चाहिए। तीसरा सुझाव आया था कि एफआईआर में ही लीगल एड संबंधी उल्लेख हो। इन सभी पहलुओं को लागू करने में हरियाणा अग्रणी है।
उन्होंने यह भी कहा कि कोविड महामारी के दौरान पूरी दुनिया थम सी गई थी और इससे यह सीख मिली कि हमें सभी को आसानी से न्याय दिलाने के लिए नए तरीके व उपाय करने होंगे और तकनीक का प्रयोग करना पड़ेगा। इस दिशा में भी वीडियो कान्फ्रेंसिंग सुविधा आदि शुरू करके हरियाणा ने अच्छी पहल की है। न्यायमूर्ति ललित ने फ्रंट ऑफिस कार्यालयों में किड्स जोन खोलने के कदम की प्रशंसा करते हुए कहा कि न्याय प्रक्रिया में कई बार हम बच्चे की कस्टडी से संबंधित फैसला सुनाते हैं जिसमें बच्चे को बुलाकर पूछा जाता है कि वह अपने पिता या माता किसके साथ रहना चाहता है। ऐसे मामले में किड्स जोन बच्चे को पर्सनल टच देने तथा उसे सहज रने में सहायक होगा, हालांकि केस में पिता जीते या माता , नुकसान बच्चे का ही होता है।
इससे पहले अपने विचार रखते हुए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति रविशंकर झा ने बताया कि कोविड काल में भी हालसा सक्रिय रहा और इस एक वर्ष में 23 करोड़ रूप्ये से ज्यादा का मुआवजा पीडि़तो में वितरित किया गया जोकि पिछले चार वर्षों की तुलना में अधिक था। इसके अलावा, लगभग 250 टीकाकरण शिविर लगाए गए जिससे जेल स्टाफ, बंदियों, अधिवक्ताओं ,पैरालीगल वालंटियरो आदि में स्वास्थ्य सुरक्षा की भावना आई। उन्होंने कहा कि सभी को सुलभता से न्याय दिलाने के लिए तकनीक के प्रयोग के माध्यम से वीडियो कान्फ्रेंसिंग की सुविधा की जरूरत इस कोविडकाल में महसूस की गई थी। उन्होंने ये भी कहा कि फं्रट ऑफिस कार्यालयो में किड्स जोन खुलने और नई सुविधाएं शुरू होने से कानूनी सेवाओं की गुणवत्ता में और सुधार आएगा। उन्होंने आशा जताई कि आज से न्यायमूर्ति ललित के हाथो शुरू हुए एक वर्षीय अभियान से प्रदेश के ज्यादा से ज्यादा लोगों को फायदा होगा।
कार्यक्रम को हालसा के कार्यकारी अध्यक्ष एवं उच्च न्यायालय के न्यायधीश राजन गुप्ता तथा गुरूग्राम सैशन डिवीजन के एडमिनीस्ट्रेटिव जज जसवंत सिंह ने भी संबोधित किया।
इस राज्यस्तरीय कार्यक्रम के बाद न्यायमूर्ति राजन गुप्ता ने स्थानीय न्यायायिक अधिकारियों के साथ भौंडसी जेल का निरीक्षण किया। इसके बाद वे , भौंडसी पुलिस थाना, साइबर क्राइम सैल तथा सैक्टर-51 पुलिस थाने में भी निरीक्षण के लिए गए।