जानिये क्यों ?
नई दिल्ली: अगर आप को काले धन को सफ़ेद करने की केंद्र सरकार की ओर से जारी की गयी स्कीम की समाप्ति के ठीक बाद पीएम मोदी के भाषण याद नहीं हों तो दोबारा से इसे याद करने की कोशिश कीजिये. उस भाषण में उन्होंने साफ़ कहा था कि हमने काले धन को देश की मुख्या धरा में लाने का लोगों को मौक़ा दिया है और इसका लाभ नहीं उठाने वालों को बाद में पछताना पड़ेगा. और पिछले दो सप्ताह से उनके कहे वाक्य पर अमल होने लगा है. क्योंकि पीएम द्वारा की गयी नोटबंदी का मकसद काले धन की धरपकड़ और उस पर लगाम लगाना है.
ऐसे में यदि आपके पास भी ऐसा कुछ है तो आप भी इस दायरे में आ सकते हैं. अगर किसी व्यक्ति द्वारा जमा कराये गए आईटी रिटर्न में किसी तथ्य को लेकर आयकर विभाग को सन्देह होता है तो विभागीय अधिकारी अपने शक से संबंधित सभी सबूत व दस्तावेज जुटाने में लग जाता है. स्पष्ट रूप से यह बात समझ लें कि यदि कोई व्यक्ति आईटी रिटर्न फाइल नहीं कर रहा है तो वह अब आईटी विभाग के रडार पर है. उसकी गतिविधियों पर विभाग की पूरी नजर है.
बताया जाता है कि इन्ही कोशिश के तहत ही आयकर विभाग ने ऐसे अतिरिक्त 67.54 लाख लोगों की पहचान की है, जिन्होंने वर्ष 2014-15 में रिटर्न जमा नहीं कराया है. चर्चा यह है कि आयकर विभाग मानता है कि उन लोगों ने इस वित्त वर्ष के दौरान अधिक पैसों की लेनदेन की लेकिन न तो आयकर रिटर्न जमा किया और न ही इसका खुलासा किया.
गौरतलब है की रिटर्न जमा नहीं कराने वालों का पता लगाने वाली निगरानी प्रणाली केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने शुरू की थी जो लगातार कम कर रही है और बड़ी तेजी से ऐसे लोगों की पहचान करने में सक्षम है. यह प्रणाली संभावित देनदारियों वाले रिटर्न जमा नहीं करने वाले लोगों की पहचान कर चुकी है.
मिडिया रिपोर्ट के अनुसार सीबीडीटी ने दावा किया है कि आयकर विभाग ने 67.54 लाख ऐसे लोगों की पहचान की है, जिन्होंने वित्त वर्ष 2014-15 में ऊंचे मूल्य के लेनदेन किए है लेकिन आकलन वर्ष 2015-16 के लिए आईटी रिटर्न जमा नहीं कराया.
विभाग ने दावा किया है कि सीबीडीटी के निदेशालय ने इस आंकड़ों का विश्लेषण किया है और ऐसे रिटर्न न जमा कराने वाले लोगों की पहचान कर ली गयी है. यह सारी जानकारी एआईआर , सीआईबी तथा टीडीएस-टीसीएस डाटाबेस में उपलब्ध है. अब सरकार की यह कोशिश है कि देश के सभी करदाता अपनी वास्तविक आय की घोषणा करे और उसके अनुसार कर भी जमा कराये. ऐसा नहीं करने वालों की अब खैर नहीं.
अभी हाल में की जिस तरह की बड़ी बड़ी मछलियों पर आईटी विभाग ने धावा बोला है उससे संकेत सपष्ट है कि मोदी सरकार किसी को भी राहत नहीं देने वाली है चाहे वह अधिकारी, राजनेता या फिर उद्यमी ही क्यों न हों.