फरीदाबाद में एस्कॉर्ट कंपनी ऑक्सीजन सहित 150 बेड की सुविधा जल्द मुहैया कराएगी : संजीव कौशल

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चंडीगढ़, 23 अप्रैल : हरियाणा के वित्तायुक्त और राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बताया कि फरीदाबाद में एस्कॉर्ट कंपनी द्वारा 100 से 150 बेड की सुविधा ऑक्सीजन सहित जल्द ही मुहैया करवाई जाएगी । सेना ने भी डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ को तैनात करने का ऑफर दिया है, जैसे ही, इन डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की तैनाती होगी, तो इन्हें संबंधित जिलों में जल्द ही तैनात किया जाएगा।


यह जानकारी आज उन्होंने फरीदाबाद जिला के अधिकारियों के साथ कोविड-19 की स्थिति व जिले में मरीजों के लिए की जा रही सुविधाओं का जायजा लेने के लिए आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान दी।


श्री संजीव कौशल ने कहा कि जिलाधिकारियों को अपने जिले में लगातार कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग पर बल देना चाहिए और इस कार्य को फरीदाबाद में बढ़ाना चाहिए क्योंकि इसी की मदद से हम भयानक बीमारी को नियंत्रित करने में सफल हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि हर माइक्रो कंटेनमेंट जोन की स्थापना के लिए एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाए ताकि वे इस बीमारी के संबंध में पूरी निगरानी रख सकें।


एसीएस ने ऑक्सीजन की आपूर्ति के संबंध में जिलाधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि फरीदाबाद जिले में चाहे प्राइवेट हॉस्पिटल हो या गवर्नमेंट हॉस्पिटल हो, उनके साथ समन्वय स्थापित करके एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति की जाए। इस नोडल अधिकारी को प्रत्येक निजी अस्पताल व सरकारी अस्पताल में जरूरत अनुसार ऑक्सीजन की आपूर्ति व कमी की जानकारी रखनी होगी तथा इस संबंध में निजी व सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों के साथ पूर्ण समन्वय स्थापित करते हुए उन्हें पूरी जानकारी भी मुहैया करवानी होगी। यदि किसी हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की कमी आती है तो हॉस्पिटल के डॉक्टर इस नोडल अधिकारी के साथ संपर्क स्थापित करके अपने अस्पताल में ऑक्सीजन के संबंध में जानकारी या आपूर्ति ले सकते हैं।

उन्होंने कहा कि इन नोडल अधिकारियों को अपने जिले में तीन दिन की ऑक्सीजन की पूर्ति को बनाए रखना अनिवार्य होगा और राज्य में ऑक्सीजन के आबंटन की जानकारी भी अपने पास रखनी होगी। यह जानकारी निजी व सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों व प्रबंधकों के साथ सांझा करनी होगी।
फरीदाबाद की उपायुक्त गरिमा मित्तल ने बताया कि फरीदाबाद जिले में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है और निजी व सरकारी अस्पतालों के लिए नोडल अधिकारियों को नियुक्त कर दिया गया है । ऑक्सीजन की जरूरत की जानकारी तथा इसकी नियमित व्यवस्था हेतु इन्हें दिशा निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं।


श्री संजीव कौशल ने कहा कि इस संबंध में लोगों को जागरूक किया जाए और इसके लिए सोशल मीडिया तथा प्रिंट मीडिया इत्यादि के माध्यम से लोगों को पूरी तरह से जागरूक रखें ताकि किसी भी प्रकार की कोई पैनिक या हड़बड़ाहट की स्थिति पैदा न हो।


वित्तायुक्त ने जिलाधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि ज्यादातर कोविड-19 मरीजों को अस्पताल की जरूरत नहीं होती, उन्हें माइक्रो कंटेनमेंट जोन में ही रहने और होम आइसोलेशन में रहने के लिए प्रेरित किया जाए। वह घर पर ही डॉक्टर से बात करके अपना इलाज कर सकते हैं और इसके लिए नियमित तौर पर एक डॉक्टर की ड्यूटी लगाई जाए। चिकित्सक ऐसे मरीजों के साथ लगातार संपर्क बनाए रखें और उन्हें समय-समय पर सलाह या परामर्श देते रहें ।

श्री कौशल ने डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की जरूरत के संबंध में कहा कि संबंधित जिला के उपायुक्त इसके लिए प्राधिकृत होंगे। यदि जरूरत पड़ती है तो डॉक्टर और पैरामेडिक्स की नियुक्ति अपने स्तर पर कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सिविल सर्जन तथा निजी अस्पतालों के डॉक्टरों की एक कमेटी बनाई जाए, जो क्रिटिकल मरीजों के दाखिला के संबंध में निर्णय ले सके कि किस हॉस्पिटल में किस स्तर के क्रिटिकल मरीज को दाखिल करना है। इसके अतिरिक्त आईएमए के डॉक्टरों के साथ भी नियमित संपर्क बनाए रखें और अपने जिले की जानकारी सांझा करते रहें ।


उन्होंने जिलाधिकारियों से कहा कि जिले में टेस्टिंग को बढ़ाया जाए ताकि ज्यादा से ज्यादा कोविड-19 मरीजों का पता करके उन्हें कंटेन करने में देरी ना हो सके। यदि ऐसे मरीज समय पर कंटेन हो जाते हैं तो इस बीमारी के संक्रमण की चैन को रोकने में हम सफल हो पाएंगे। उन्होंने जिलाधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि वे स्थानीय विधायकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करके उनसे भी जिले की स्थिति बारे में चर्चा करें क्योंकि लोगों को जागरूक करने के लिए उनकी सेवाएं चर्चा करने के उपरांत ली जा सकती हैं।
वित्तायुक्त ने जिलाधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि वे अपने जिले के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में लगातार स्वच्छता पर ध्यान दें और नियमित तौर पर सैनिटाइजेशन करवाते रहें। इसके अलावा, आरडब्लूए से संपर्क कर होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों को एसओपी और दिशानिर्देशों का सही से लागू करवाने में भी मदद ली जा सकती है।

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