सुभाष चौधरी
नई दिल्ली : दिल्ली में अरविन्द केजरीवाल सरकार और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के बीच एक बार फिर निर्णय लेने के अधिकार को लेकर जंग छिड़ने के प्रबल आसार बन गए हैं. इस बात के संकेत दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने आज आयोजित प्रेस वार्ता में दी. उन्होंने केंद्र की भाजपा सरकार पर ख़ुफ़िया तरीके से दिल्ली के मुख्यमंत्री और मंत्रियों के अधिकार छीनने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 3 फरवरी को हुई कैबिनेट की बैठक में दिल्ली से संबंधित जीएनसीटीडी एक्ट GNCTD Act में बदलाव कर दिल्ली की चुनी हुई सरकार के अधिकार को कम करने का निर्णय लिया. यह लोकतंत्र के खिलाफ है, संविधान की मूलभूत भावना जिसमें लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार को काम करने की आजादी दी गई है का सरासर उल्लंघन है।
उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने पत्रकार वार्ता में दावा किया कि मोदी कैबिनेट ने दिल्ली की सरकार के अधिकार से संबंधित कानून में संशोधन कर निर्णय लेने का अधिकार मुख्यमंत्री और मंत्रियों से छीन कर लेफ्टिनेंट गवर्नर को दे दिया. इससे दिल्ली के चुने हुए मुख्यमंत्री स्वछंदता से निर्णय नहीं ले सकेंगे. यह अधिकार लेफ्टिनेंट गवर्नर को दे दिया गया जिसके माध्यम से अब केंद्र सरकार के पास ही यह अधिकार सीमित हो गया।
श्री सिसोदिया ने यह कहते हुए गंभीर आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने चुपके से इस कानून में बदलाव किया और दिल्ली की चुनी हुई सरकार को अधिकार विहीन बनाने की कोशिश की। मोदी केबिनेट ने बेहद गोपनीय तरीके से कानून में संशोधन को मंजूरी दी जो लोकतंत्र की आत्मा के खिलाफ है. यह संविधान के भी खिलाफ है. उन्होंने बल देते हुए कहा कि संविधान में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि दिल्ली में चुनी हुई सरकार होगी और उनके पास तीन विषयों जमीन, पुलिस और पब्लिक लॉ ऑर्डर को छोड़कर दिल्ली की चुनी हुई सरकार और दिल्ली की चुनी हुई विधानसभा सभी मसलों पर अपना निर्णय ले सकेगी।
उन्होंने वर्ष 2015 में केंद्र सरकार और दिल्ली की तत्कालीन अरविंद केजरीवाल केजरीवाल सरकार के बीच में अधिकार को लेकर हुए विवाद की याद दिलाते हुए कहा कि तब भी केंद्र सरकार ने कानून की मनमाना परिभाषा तय करते हुए दिल्ली की सरकार को चलाने का सारा अधिकार केंद्र सरकार के पास होने का दावा किया था। उन्होंने कहा कि तब दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट गई और संवैधानिक पीठ ने संविधान में उल्लिखित उन प्रावधानों को और स्पष्ट किया की दिल्ली की चुनी हुई सरकार और विधानसभा के पास तीन विषयों को छोड़कर निर्णय लेने का पूरा अधिकार है।
उनका कहना था कि तब सर्वोच्च अदालत ने साफ कर दिया था कि दिल्ली की सड़कें, बिजली पानी, सीवर, शिक्षा, अस्पताल सभी विषयों पर दिल्ली की सरकार ही निर्णय लेगी। उन्होंने कहा कि तब पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने संविधान के प्रावधानों को स्पष्ट तौर पर परिभाषित कर दिया था। लेफ्टिनेंट गवर्नर के हस्तक्षेप को भी अनावश्यक बताया था और यह कहा गया था कि दिल्ली की सरकार अपने निर्णय की जानकारी केवल लेफ्टिनेंट गवर्नर को देगी. इसके बाद केंद्र सरकार के पास अनावश्यक हस्तक्षेप करने का कोई रास्ता नहीं बचा था।
उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने कहा कि अब वर्तमान केंद्र सरकार ने संविधान के प्रावधानों ,यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ द्वारा की गई व्याख्या को भी दरकिनार करते हुए यह निर्णय लिया की दिल्ली की चुनी हुई सरकार की बजाए लेफ्टिनेंट गवर्नर के पास निर्णय लेने के अधिकार होंगे. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार पिछले दरवाजे से दिल्ली में शासन करना चाहती है।
मनीष सिसोदिया ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी अब तक लगातार तीन बार दिल्ली विधानसभा का चुनाव हार चुकी है. दिल्ली की जनता ने 3 चुनाव में भाजपा को नकारते हुए आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल को चुनकर काम करने का अधिकार दिया जबकि भाजपा की गवर्नेंस को नकार दिया.
उन्होंने कहा कि पिछले दरवाजे से दिल्ली पर शासन करने की केंद्र की मंशा से यह जाहिर होता है कि अब तक केजरीवाल सरकार द्वारा जनहित में लिए गए फैसलों में हस्तक्षेप करने करना चाहती है या उसमें अड़ंगे लगाना चाहती है।
उन्होंने आशंका व्यक्त की कि केंद्र की भाजपा सरकार निजी स्कूलों में फीस की वृद्धि पर रोक लगाने, सरकारी अस्पतालों को दुरुस्त करने, मोहल्ला क्लीनिक स्थापित कराने, दिल्ली की जनता को मुफ्त बिजली देने, सस्ते दरों पर पानी देने जैसी योजनाओं पर रोक लगाना चाहती है। दिल्ली की सरकार चाहती है कि लोगों को परिवहन की व्यवस्था भी मुफ्त मिलनी चाहिए लेकिन केंद्र सरकार इसके विरोध में है। मेट्रो में भी महिलाओं को मुफ्त यात्रा की सुविधा देने के निर्णय को केंद्र ने रोकने की कोशिश की।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की पिछले दरवाजे से दिल्ली पर शासन करने का साजिश रच रही है। यह दिल्ली की जनता की मर्जी के पूरी तरह खिलाफ है।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जिन प्रावधानों को केंद्रीय कैबिनेट ने संशोधित किया है उससे दिल्ली की सरकार के अधिकार को कम कर लेफ्टिनेंट गवर्नर को अधिकार दिए गए हैं. उनसे जब उन प्रावधानों के बारे में स्पष्ट करने को कहा गया तो उपमुख्यमंत्री सिसोदिया ने कहा कि अभी केन्द्रीय केबिनेट के निर्णय का अध्ययन किया जा रहा है शीघ्र ही इसका खुलासा किया जाएगा।