गुरुग्राम नगर निगम, चुनाव सम्बन्धी याचिका पर हुई सुनवाई
दो माह में पूरे करने होंगे परिसिमन के काम
अगले एक माह में पूरी करनी होगी चुनावी प्रक्रिया
गुरुग्राम : पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार को अगले तीन माह के अन्दर गुरुग्राम नगर निगम चुनाव, कराने का आदेश दिया हैं. इस सम्बन्ध में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने दो माह में वार्ड बंदी का काम समाप्त कर अगले एक माह में नियमानुसार चुनाव कराने का निर्देश दिया है. इस आदेश से अब गुरुग्राम में नगर निगम चुनाव का रास्ता साफ हो गया है. इस आदेश पर अमल करते हुए सरकार को मार्च 2017 के दूसरे सप्ताह तक चुनाव की प्रक्रिया पूरी करनी होगी.
किसने दायर की थी याचिका ?
गुरुग्राम के बादशाहपुर निवासी राजेश यादव ने एडवोकेट सुरेन्द्र दारिया के माध्यम से पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर निगम चुनाव करवाने की गुहार लगाई थी. इस मामले की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने राज्य चुनाव आयोग, मंडल आयुक्त, गुड़गांव, निदेशक, शहरी स्थानीय निकाय, उपायुक्त गुड़गांव व आयुक्त, नगर निगम गुड़गांव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था व इसकी सुनवाई के लिए 8 दिसंबर 2016 की तारीख तय की थी।
क्या कहा था याचिका में ?
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में न्यायाधीश अजय कुमार मित्तल एवं न्यायाधीश रमेन्द्र जैन की बेंच में सुनवाई के दौरान याचिका कर्ता की ओर से वकील एस के दारिया ने पक्ष रखा जबकि हरियाणा सरकार का पक्ष रखने के लिए अतिरिक्त ए जी शुभ्रा सिंह मौजूद थीं.
बताया जाता है कि याचिका कर्ता के वकील ने अदालत के समक्ष बताया कि गुरुग्राम नगर निगम के निगम पार्षदों का कार्यकाल 20 जून 2016 को समाप्त हो गया लेकिन सरकार ने नए चुनाव के लिए वार्डबंदी भी पूरी नहीं की . इससे नगर निगम क्षेत्र के लोग जनप्रतिनिधी नहीं होने के कारण अपने क्षेत्रों के विकास कार्यों के लिए दर दर भटकने को मजबूर हो रहे हैं. याचिका में कहा गया था कि निगम सदन के अस्तित्व में नहीं होने के चलते निगम अधिकारियों की जवाबदेही भी तय नहीं होती है इससे निगम में अराजकता का माहौल बन गया है.
पहला कदम क्या था ?
याचिकाकर्ता राजेश यादव व हरियाणा सरकार का पक्ष सुनने के बाद उच्च न्यायालय ने सरकार को दो महीने के अंदर निगम चुनाव से संबंधित वार्डबंदी आदि सभी औपचारिकताएं पूरी करने व उसके बाद एक महीने के अंदर निगम चुनाव कराए जाने का आदेश दिया है.
उल्लेखनीय है कि बादशाहपुर निवासी राजेश यादव ने सबसे पहले 4 मार्च 2016 को सीएम विंडो में नगर निगम चुनाव सम्बन्धी विषय को उठाया. इस मामले में नगर निगम के डीटीपी ने उन्हें 5 मार्च को अपने कार्यालय में बुला कर यह कह कर मामले की इतिश्री कर दी कि निगम के वार्ड बंदी का काम शुरू कर दिया गया है. उनकी इस शिकायत को निस्तारित बता दिया गया. लेकिन अगले कई माह तक इस सम्बन्ध में कोई कदम नहीं उठाए जाने के बाद उन्होंने अदालत की राह पकड़ी.
अदालत का दरवाजा कब खटखटाया ?
बताया जाता है कि राजेश यादव ने अंततः 28 अगस्त को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में इस सम्बन्ध में याचिका दायर की. उन्होंने याचिका में निगम चुनाव करवाने की गुहार लगाई थी. याचिका पर पहली सुनवाई के लिए अदालत ने 5 सितम्बर की तारीख मुक़र्रर की. इस दिन न्यायाधीश अजय कुमार मित्तल एवं न्यायाधीश रमेन्द्र जैन की बेंच ने हरियाणा सरकार सहित सभी सम्बंधित पक्षों को नोटिस जारी कर अपना जवाब 18 अक्टूबर तक दाखिल करने को कहा. इस बीच जब सरकार व निगम को इस याचिका की भनक लगी और उन्हें नोटिस भी मिल गया तो सरकार ने आनन् फानन में वार्ड बंदी/परिसीमन के लिए छह सदस्यीय एडहोक समिति गठित कर अदालत में यह दिखाने की कोशिश की कि इस मामले में काम चल रहा है.
कौन कौन हैं परिसीमन समिति में ?
गौरतलब है कि इस समिति में गुरुग्राम के भाजपा विधायक, निगम के पूर्व मेयर विमल यादव, भाजपा नेत्री गार्गी कक्कर, डेरी डेवलपमेंट अथोरिटी के चेयरमैन जी एल शर्मा, भाजपा नेता अनिल यादव, और पिछले पांच वर्षों तक ततकालीन मेयर विमल यादव के समर्थक रहे पूर्व पार्षद दिलीप साहनी को नामित किया गया है. हालाँकि समिति को 15 अक्तूबर तक ही वार्ड का काम समाप्त करना था लेकिन कहा जाता है कि इस अवधि तक समिति ने कोई काम नहीं किया.
सरकार ने क्या कहा ?
इधर 18 अक्टूबर को सरकार ने जवाब दाखिल करने का और समय माँग लिया, जिस पर अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 8 दिसंबर की तारीख तय की. खबर है की इस दिन हरियाणा सरकार ने अपने जवाब में परिसीमन के लिए दो माह का वक्त मांगा. अदालत ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद अपना निर्णय दिया. इस निर्णय में स्पष्ट रूप से दो महीने के अंदर निगम चुनाव से संबंधित वार्डबंदी आदि सभी औपचारिकताएं पूरी करने व उसके बाद एक महीने के अंदर निगम चुनाव कराए जाने का आदेश दिया गया है.
संभावित प्रत्याशियों में क्यों है आशंका ?
सरकारी हलके में अब निगम के वार्ड परिसीमन कराने को लेकर हलचल तेज है. जबकि दूसरी तरफ चुनाव लड़ने के इच्छुक स्थानीय नेता भी सक्रिय हो गए हैं. हालाँकि पूर्व पार्षदों एवं नए भावी उम्मीदवारों में अपने वार्ड को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है क्योंकि खबर है कि इस बार वार्डों की संख्य कम की जायेगी. ऐसे में कौन कौन से वार्ड टूटेंगे और नए वार्डों की क्या सीमा होगी ? कौन कौन से आवासीय क्षेत्र, किस नए वार्ड में जोड़े जायेंगे यह अभी कयासों के घेरे में है. इसलिए चुनाव लड़ने की चाहत रखने वाले संभावित उम्मीदवार पशोपेश में हैं. उन्हें अभी इस बात का अंदाजा नहीं है कि वे आखिर कहाँ से अपना चुनावी अभियान शुरू करें.
नये प्रत्याशियों व पूर्व पार्षदों में होड़
अब सारा दारोमदार इस बात पर निर्भर करेगा कि परिसिमन के लिए गठित समिति वार्ड बंदी का काम कितनी शीघ्रता से करती है. नये प्रत्याशियों व पूर्व पार्षदों में इस बात की भी होड़ लगी हुयी है कि अपने मतलब का वार्ड कैसे निर्माण करा लिया जाये. सभी अपने अपने आकाओं के दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं और परिसीमन समिति के सदस्यों को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि किस वार्ड की क्या सीमा होनी चाहिए.
समिति पर भी सवाल ?
दूसरी तरफ निगम की राजनीति करने वाले नेताओं में इस बात को लेकर बेहद नाराजगी है कि परिसीमन समिति में विधायक से लेकर सभी सदस्य एक ही पार्टी भाजपा से सम्बन्ध रखने वाले हैं. ऐसे में वार्ड बंदी के निर्णय की पारदर्शिता आशंका के घेरे में है. चर्चा इस बात की भी है कि इस समिति को 15 अक्तूबर तक इस काम को पूरा कर लेना था लेकिन अब तक इसके लिए आवश्यक प्रक्रिया भी नहीं अपनाई गयी है. गौरतलब है कि परिसीमन का ड्राफ्ट तैयार कर लोगों के बीच प्रकाशित कर इसके लिए सुझाव व आपातियाँ दर्ज कराने का समय भी दिया जाना आवश्यक है. लेकिन गुरुग्राम नगर निगम क्षेत्र की जनता अब तक इस बात की प्रतीक्षा में है.
क्या कहते हैं राजेश यादव ?
इस बारे में सामाजिक कार्यकर्ता राजेश यादव ने बताया कि उच्च न्यायालय के आदेश के बाद अगले तीन महीने के भीतर निगम चुनाव कराने का रास्ता साफ हो गया है. उन्होंने कहा कि पार्षद विहीन होने के कारण नगर निगम के अधिकारी निरंकुश हो रहे हैं व क्षेत्र के तमाम वार्डों में विकास कार्य ठप्प हो गए हैं. निगम क्षेत्र के लोग अपने छोटे छोटे काम के लिए भी दर दर की ठोकरें खा रहे हैं. अब निगम चुनाव होने पर लोगों को उनका जनप्रतिनिधि मिलेगा और निगम क्षेत्र में विकास कार्य पटरी पर आ जाएंगे.
लोगों में उम्मीद की किरण
अब तीन माह में चुनाव कराने के उच्च न्यायालय के स्पष्ट आदेश की खबर मिलने पर क्षेत्र के लोगों में उम्मीद की किरण जगी है. धर्मबीर डागर, ब्रहम प्रकाश, अशोक यादव, मनोज यादव, प्रदीप यादव, विरेन्द्र यादव, अमित यादव, भीष्म यादव आदि ने अदालत के आदेश का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि उच्च न्यायालय के आदेश पर अमल करते हुए सरकार, निगम चुनाव जल्द से जल्द संपन्न कराएगी ताकि क्षेत्र में विकास को तीव्र गति मिल सके.