सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और आईआईटी रुड़की के बीच समझौता

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नयी दिल्ली : सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान (आईआईटी) ने आज एक समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए। इस समझौता ज्ञापन के तहत आईआईटी रुड़की में राजमार्ग अवसंरचना विकास के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास तथा पठन-पाठन एवं प्रशिक्षण पर केन्द्रित एक प्रोफेसर चेयर जारी रखने पर सहमति हुई। इस समझौता ज्ञापन पर मंत्रालय के सड़क विकास महानिदेशक और विशेष सचिव इन्‍द्रेश कुमार पांडेय और आईआईटी रुड़की के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर एवं उप-निदेशक प्रोफेसर मनोरंजन परीदा ने हस्‍ताक्षर किए। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय में सचिव गिरि‍धर अरमाने ने इस कार्यक्रम की अध्‍यक्षता की। 

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और आईआईडी रुड़की के सहयोग से सड़क क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास गतिविधियां सुदृढ़ होंगी और उम्‍मीद की जाती है कि चेयर प्रोफेसर राजमार्ग अवसंरचना विकास के क्षेत्र में अनुसंधान, विकास और पठन-पाठन के कार्य में समन्‍वय करने के लिए नेतृत्‍व प्रदान करेंगे। 

रुड़की स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान (आईआईटी) उच्‍च स्‍तरीय प्रौद्योगिकी शिक्षा, इंजीनियरिंग और बेसिक तथा एप्‍लाइड रिसर्च के क्षेत्र में काम करने वाले राष्‍ट्रीय संस्‍थानों में सर्वोच्‍च संस्‍थान है। अपनी स्‍थापना के समय से ही इस संस्‍थान में देश को कुशल तकनीकी विशेषज्ञ, जानकारी और अनुसंधान उपलब्‍ध कराया है। भारत सरकार का सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय देश भर में राष्‍ट्रीय राजमार्गों के विकास और उनके रखरखाव के लिए जिम्‍मेदार है। दोनों संगठनों ने इस बात पर सहमति जताई कि आईआईटी रुड़की में मंत्रालय की प्रोफेसर चेयर को जारी रखने से निम्‍न क्षेत्रों में नेतृत्‍व उपलब्‍ध कराया जा सकेगा :-

  1. सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के दूत के तौर पर देश भर में राजमार्गों का विकास।
  2. आईआईटी रुड़की और भारतीय अकादमिक क्षेत्र में राजमार्गों के संबंध में नवाचार, अनुसंधान और विकास को प्रोत्‍साहित करना। 
  3. आईआईटी रुड़की और भारतीय अकादमिक क्षेत्र में राजमार्गों के संबंध में अध्‍ययनों की सुविधा देना और राजमार्ग विकास परियोजनाओं के पर्यावरण एवं सामाजिक प्रभावों के अध्‍ययन की सुविधा देना। 
  4. राजमार्ग विकास के लिए योजना, डिजाइन, निर्माण, परिचालन एवं रखरखाव के क्षेत्रों में तकनीकी संवर्द्धन कराना और इसके लिए मानक स्‍तर, दिशा निर्देश, सेमिनार, प्रशिक्षण और यूजर मैनूअल तैयार कराना। 
  5. मंत्रालय, आईआईटी, रुड़की और भारतीय अकादमिक क्षेत्र की सहभागिता में वैज्ञानिक अनुसंधान के जरिए राजमार्गों की व्‍यवहारिक समस्‍याओं का समाधान तलाशना। 
  6. आईआईटीआर एवं राजमार्गों संबंधी अध्‍ययन से जुड़ी अन्‍य शिक्षण संस्‍थाओं में राजमार्ग इंजीनियरिंग तथा अन्‍य संबद्ध पहलुओं से संबंधित संसाधनों का इस्‍तेमाल और उनका विस्‍तार।
  7. कोई भी अन्‍य संबद्ध गतिविधि।

इस अवसर पर अपने संबोधन में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय में सचिव गिरिधर अरमानी ने कहा कि सरकार सहभागिता और मेंटरशिप कार्यक्रमों के जरिए उच्‍च श्रेणी के अनुसंधान का समर्थन करती है। यह समझौता ज्ञापन सरकार और अकादमिक क्षेत्र की भागीदारी की दृष्टि से एक नई उपलब्‍धि‍ कहा जा सकता है जो आईआईटी के संकाय सदस्‍यों और मंत्रालय के तकनीकी अधिकारियों के विकास और उनके लिए नए ज्ञान के अवसर खोलती है और इससे इन संकाय सदस्‍यों और अधिकारियों की आंतरिक क्षमता का विकास होगा, जिसका लाभ समाज तक पहुंचेगा।

मंत्रालय में सड़क विकास महानिदेशक एवं विशेष सचिव इन्‍द्रेश कुमार पांडेय ने कहा कि समझौता ज्ञापन के जरिए इस भागीदारी को औपचारिक बनाने का फैसला मंत्रालय और आईआईटी रुड़की समुदाय दोनों के दीर्घकालिक रिश्‍ते के लिए उपलब्धि है। इसे दोनों के बीच विस्‍तृत मूल्‍यांकन और मूलभूत क्षमताओं की पहचान तथा पूर्ण तालमेल के बाद अंतिम रूप दिया गया है। 

यह सहभागिता केन्‍द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी की उस पहल के तहत बनी है जिसके अनुसार सड़कों/पुलों/सुरंग परियोजनाओं के निर्माण पर आने वाली लागत और समय को कम करने के लिए स्‍वदेशी और आधुनिक प्रौद्योगिकी का विकास जरूरी है। इस उद्देश्‍य की पूर्ति के लिए देश के अनुसंधान केन्‍द्रों और अकादमिक क्षेत्र में उपलब्‍ध विशेषज्ञता का सदुपयोग किया जा रहा है। 

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