कांग्रेस का कृषि कानून पर ‘खेती का खून तीन काले कानून’ बुकलेट जारी, राहुल गांधी का मोदी सरकार पर हमला

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कांग्रेस का कृषि कानून पर 'खेती का खून तीन काले कानून' बुकलेट जारी, राहुल गांधी का मोदी सरकार पर हमला 2
राहुल गाँधी पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष कांग्रेस पार्टी प्रेस वार्ता में पत्रकारों से बात करते हुए . साथ में कांग्रेस पार्टी के मिडिया प्रमुख रणदीप सुरजेवाला

सुभाष चौधरी

नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लागू किये गए तीन कृषि कानूनों की आलोचना करते हुए पर आज ‘खेती का खून तीन काले कानून’ बुकलेट जारी किया । कांग्रेस मुख्यलय में आयोजित पार्टी की प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा हर इंडस्ट्री में चार-पांच लोगों का एकाधिकार बढ़ रहा है, मतलब इस देश के चार-पांच नए मालिक हैं। आज तक खेती में एकाधिकार नहीं हुआ। नरेंद्र मोदी चार-पांच लोगों के हाथों में खेती का पूरा ढांचा देने जा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इस देश के 4-5 नए मालिक है। आज तक खेती में एकाधिकार नहीं था। आज तक हिंदुस्तान के खेतों का फायदा किसानों, मजदूरों, मिडिल क्लास और गरीबों को जाता था.

उन्होंने कहा कि कैसे एक पूरा ढांचा था जो इन लोगों की रक्षा करता था। उसमें मंडियाँ और आवश्यक वस्तु अधिनियम शामिल था, लीगल सिस्टम शामिल था। ये तीन कानून खेती में एक बार फिर से आज़ादी से पहले वाली हालत करने जा रहे हैं.4-5 लोगों के हाथ में पूरे कृषि हिंदुस्तान की खेती का ढांचा नरेंद्र मोदी जी दे रहे हैं। इसलिए किसान बाहर सड़कों पर खड़े हैं .

कांग्रेस नेता ने कहा कि हमारे मिडिल क्लास भाइयों और युवाओं को समझना होगा कि किसान अपनी रक्षा नहीं कर रहे हैं बल्कि वो आपकी और आपके भोजन की रक्षा कर रहे हैं.हम सभी को किसानों को अपना पूरा का पूरा समर्थन देना है। ये हिंदुस्तान की सच्चाई है .

राहुल गांधी ने कहा कि सरकार और उनका अहंकार समझता है कि किसानों को थकाया जा सकता है, उन्हें बेवकूफ बनाया जा सकता है। किसानों को ना तो थकाया जा सकता है, ना उन्हें बेवकूफ बनाया जा सकता है . प्रधानमंत्री से ज्यादा समझ हिंदुस्तान के किसान को है कि क्या हो रहा है क्या नहीं हो रहा है। यही सच्चाई है और इसका एक ही उपाय है कि इन तीन काले क़ानूनों को वापस लेना पड़ेगा.

उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को भटकाने की कोशिश कर रही है। सरकार किसानों से कह रही है कि, बात करिए हमसे। 9-10 बार की बातचीत हो चुकी है लेकिन सरकार इसे घसीटते जा रही है.

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