किसान आंदोलन को समर्थन देने का सिलसिला आज भी जारी रहा
गुडग़ांव, 6 दिसम्बर : किसानों के आंदोलन को दिन-प्रतिदिन समर्थन मिलता जा रहा है। हालांकि 5 दौर की वार्ता हो चुकी हैं, लेकिन सभी वार्ताएं अभी तक बेनतीजा साबित हुई हैं। आगामी 9 दिसम्बर को किसानों के विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों से केंद्र सरकार की फिर से वार्ता होगी। दिल्ली बॉर्डर पर धरना दे रहे किसानों के उत्साह में किसी प्रकार की कोई कमी नहीं देखी जा रही है। आंदोलन को लेकर सभी उत्साहित हैं।
रविवार को किसानों के समर्थन में अखिल भारतीय संघर्ष समन्वय समिति को गुडग़ांव जिले के सैकड़ों किसानों, श्रमिकों ने मिनी सचिवालय पर भूख हड़ताल कर अपना समर्थन दिया। दिनभर चली भूख हड़ताल कर प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की और महामहिम राष्ट्रपति के नाम प्रशासनिक अधिकारी को ज्ञापन भी सौंपा।
वरिष्ठ श्रमिक नेता कुलदीप जांघू का कहना है कि केंद्र सरकार ने जो 3 कृषि कानून पास किए हैं उनका तभी से किसान विरोध करते आ रहे हैं और सरकार इन कानूनों को किसानों पर जबरदस्ती थोपना चाह रही है, ताकि कारपोरेट घरानों को इन कानूनों का लाभ मिल सके। उनका कहना है कि मिनी सचिवालय पर दिए गए धरने की अध्यक्षता राजेश ठाकरान ने की।
केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए वक्ताओं ने कहा कि कारपोरेट घरानों के दबाव में आकर ही इस प्रकार के कानून बनाए जा रहे हैं। इन कानूनों का कृषि व्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। कॉन्ट्रेेक्ट फार्मिंग में किसान अदालत का दरवाजा भी नहीं खटखटा पाएंगे। डा. प्रेमपाल ने कहा कि ठंड के इस मौसम में शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे किसानों पर पानी की बौछार करना व आंसू गैस के गोले दागना सरकार की हताशा को प्रदर्शित करती है।
किसान मजदूर की संयुक्त समिति ने ज्ञापन में मांगें रखी हैं कि थोपे गए विधेयक को निरस्त किया जाए व आंदोलन के चलते जो किसान शहीद हुए हैं, उनके परिजनों को एक करोड़ रुपए की धनराशि व सरकारी नौकरी दी जाए तथा किसानों पर बनाए गए झूठे मामलों को वापिस लिया जाए। भूख हड़ताल में श्रमिक नेता हरी सिंह चौहान, जयप्रकाश त्यागी, राजेश श्योराण, वीरेंद्र सिंह, वेदप्रकाश, रवि कुमार त्यागी, पीटीआई एसोसिएशन से महेश कुमार, रविंद्र कुमार, दीपक, संपत सिंह, महेंद्र कपूर, भीम सिंह, अजीत सिंह, अनिल पंवार, जसपाल राणा, गंभीर सिंह, श्रीभगवान आदि शामिल रहे।