नये संसद भवन का शिलान्यास 10 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे, सेन्ट्रल विस्टा का निर्माण होगा शुरू

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सुभाष चन्द्र चौधरी

नई दिल्ली : नरेंद्र मोदी सरकार की बहुप्रतीक्षित और महत्वाकांक्षी योजना “सेंट्रल विस्टा” के निर्माण पर अब जल्द ही काम शुरू होने वाला है। इसके प्रथम चरण में नये संसद भवन निर्माण का शिलान्यास आगामी 10 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इसके लिए आयोजित होने वाले भूमि पूजन कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार कर ली गई है. यह आयोजन गुरुवार दोपहर एक बजे होगा. यह जानकारी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज दी।

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने सेंट्रल विस्टा परियोजना के अंतिम चरण का ऐलान गत नवंबर में ही कर दिया था। इस प्रोजेक्ट पर काम आजादी के 75 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में अगस्त 2022 तक पूरा करने की योजना है इस पर विपक्षी दलों द्वारा सवाल भी खड़े किए गए थे. इसे पैसे का दुरूपयोग बाते गया था. यहां तक कि मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा जहां केंद्र सरकार ने इस प्रोजेक्ट के निर्माण से प्रतिवर्ष कम से कम ₹1000 करोड़ बचाने का दावा किया। राजनीतिक और कानूनी विवादों से लगभग बाहर आ जाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बेहद महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को अब धरातल पर लाने की तैयारी में सरकार जुट गई है।

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का निर्माण राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट तक लगभग 2.9 किलोमीटर लंबे स्ट्रेच पर होगा. साथ ही प्रोजेक्ट के अंतिम चरण में नव भारत उदयन पार्क भी पुराना किला के पास यमुना नदी के तट पर विकसित किया जाएगा।

बताया गया है कि नई संसद भवन के निर्माण पर 900 करोड़ रुपए खर्च होंगे जबकि 3 किलोमीटर की परिधि में बनने वाले केंद्र सरकार के सभी सचिवालय व मंत्रालयों के निर्माण पर लगभग 20,000 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया गया है।

केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि आजादी से पूर्व बने संसद भवन और नॉर्थ ब्लॉक एवं साउथ ब्लॉक जैसे पुराने भवनों को संरक्षित रखा जाएगा जबकि अब एक ही स्थान पर केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों एवं विभागों के कार्यालय अवस्थित होंगे जहां भूमिगत यातायात की सुविधा होगी।

इसके अलावा यमुना नदी के किनारे 20.22 एकड़ में फैला नवभारत उद्यान होगा जिसमें इन्फोटेनमेंट की सुविधा होगी. इनमें स्फियर ऑफ यूनिटी, मिली स्टोंस वॉकवे, जर्नी ऑफ इंडिया, टेक डोम और एम्फी थिएटर जैसी आधुनिक सुविधाएं भी होंगी।

केंद्र सरकार इस प्र्प्जेक्ट के बहाने भारत की समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत, वैज्ञानिक उपलब्धियां और नए भारत की विविधता को भी प्रदर्शित करना चाहती है।

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