बड़े नर्सिंग होम पर आयकर का कसा शिकंजा

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सहरसा में डॉक्टर शंकर कुमार ईशर पर गिरी गाज 

शुरूआती जांच में करीब ढ़ाई करोड़ का नहीं है कोई लेखा–जोखा

सहरसा : कहते हैं की किसी भी तरह से धन कमाकर जमा किया,तो,मोह होगा ही ।धन की तृष्णा में बैंक की जगह घर में ही रूपये जमाकर रखने वाले सहरसा के एक नामी चिकित्सक डॉक्टर शंकर कुमार ईशर नोटबंदी को नहीं झेल सके और करीब ढ़ाई करोड़ रूपये यक ब यक अपने बैंक अकाउंट में जमा कर दिया ।सूखे अकाउंट में एकाएक रुपयों की बाढ़ आ गयी ।अब सवाल है की अचानक इतना रुपया एक साथ आया कहाँ से ?जाहिर तौर पर ब्लैकमनी को व्हाइट करने की एक भगीरथ कोशिश थी लेकिन डॉक्टर ईशर आयकर विभाग के हत्थे चढ़ गये. सहरसा के जाने-माने चिकित्सक डॉ शंकर कुमार ईशर ने अपने एक बैंक खाते में 15 दिनों में 2.30 करोड़ रुपये जमा कर दिये हैं.आयकर विभाग की जांच में जब इनका अकाउंट रडार पर आया,तो सोमवार को टीम इनकी आय के स्रोत की जांच करने पटना से सहरसा पहुंची. 

आयकर विभाग ने बैंक अकाउंट को किया सीज

जांच में यह बात सामने आयी कि जमा रुपये का कोई लेखा-जोखा नहीं है. पूछताछ में डॉक्टर ईशर की घिग्घी बंध गयी और वे आय का स्रोत भी नहीं बता सके.आयकर की टीम ने उनके बैंक अकाउंट को सीज कर लिया है.औपचारिकता पूरी करने के बाद खाते में रखे सभी रुपये को आयकर विभाग ने जब्त कर लिया है.डॉ ईशर सहरसा के गांधी पथ में निजी प्रैक्टिस करते हैं.बताना लाजिमी है की इनकी पत्नी संगीता ठाकुर भी डॉक्टर है ।यही नहीं डॉक्टर शंकर कुमार ईशर के पिता ए.के.ईशर भी इस इलाके के जाने–माने चिकित्सक थे ।इस मामले में अभीतक तस्वीर पूरी तरह से साफ़ हो चुकी है की इनकी इस ब्लैक मनी को आयकर विभाग जब्त कर लेगा. 

 

इसके अलावा आयकर विभाग ने उनकी आय से जुड़े और क्लिनिक के कागजातों को भी जब्त कर लिया है. फिलहाल इनकी जांच चल रही है.आगे इनके रिटर्न दायर करने के मामलों समेत अन्य सभी पहलूओं पर जांच की जायेगी.लेकिन इस मामले के उजागर होते ही सहरसा का पारा ठंढ के इस मौसम में भी काफी गर्म है ।सहरसा में दर्जनों बड़े आलिशान नर्सिंग होम हैं जिसके स्वामी पहले अकड़ कर चलते थे लेकिन अभी भींगी बिल्ली की तरह जुगाड़ टेक्नोलॉजी की तलाश में हैं ।हमने कई चिकित्सक को पसीने से तर और बेहद परेशान हाल देखा है ।हमने कुछ चिकित्सक से गुजारिश भी की कुछ कालेधन हमें भी दीजिये जिससे हम सरकार के नियम–कायदे के सम्पादन से पहले ही कुछ गरीबों की मदद करें ।लेकिन अभीतक किसी डॉक्टर का कलेजा नहीं पसीजा है ।शायद सभी को सरकारी चाबुक का ही इन्तजार है ।

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