शैलजा व सुरजेवाला की बयानबाजी उनकी राजनीतिक अपरिपक्वता : जे पी दलाल

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चंडीगढ़, 12 मई: हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जे पी दलाल ने कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा व रणदीप सिंह सुरजेवाला के हाल ही में सरकार द्वारा जल संरक्षण के लिए शुरू की गई एक अनूठी योजना मेरा पानी मेरी विरासत पर दिए बयान पर जवाब देते हुए कहा कि उनकी इस प्रकार की बयानबाजी केवल उनके राजनीतिक अपरिपक्वता और संदिग्ध मंशा का परिचय देती हैं। उन्होंने कहा कि उनके इस बयान से ऐसा प्रतीत होता है कि वर्तमान सरकार द्वारा जन हित में किए जा रहे कार्यों की प्रगति उन्हें रास नहीं आ रही है, इसीलिए वे जनता को गुमराह करने के लिए ऐसी मनगढ़ंत बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आज जो किसान हितैषी होने का ढ़ोंग कर रही है, उनकी सरकार के कार्यकाल के दौरान किसानों के हित में ऐसी कोई भी योजना नहीं चलाई गई।

 जय प्रकाश दलाल ने प्रदेश के किसानों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हरियाणा के बहादुर किसानों ने कोरोना के इस संकट के समय में बहुत सारी दिक्कतें होने के बावजूद देश व प्रदेश के खाद्यान भण्डार भरने का काम किया है। सारा देश किसानों का ऋणी रहेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार किसान हितैषी सरकार है और सदैव किसानों के हित में कल्याणकारी योजनाएं चला रही है।  कृषि मंत्री आज प्रेस वार्ता के दौरान पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस संकट के समय में सबको साथ मिलकर ही आगे बढऩा है।

        विपक्षी पार्टी के नेताओं को बेवजह राजनीति न करने की सलाह देते हुए श्री जय प्रकाश दलाल ने कहा कि यह घड़ी साथ मिलकर इस महामारी से लडऩे की है न कि राजनीतिक बयानबाजी करने की। लेकिन ऐसा लगता है कि विपक्ष का एकमात्र उद्देश्य सरकार की हर कल्याणकारी नीतियों पर केवल कटाक्ष करना है।

        श्री दलाल ने कांग्रेस नेता कुमारी शैलजा व रणदीप सिंह सुरजेवाला के हाल ही में सरकार द्वारा जल संरक्षण के लिए शुरू की गई एक अनूठी योजना मेरा पानी मेरी विरासत पर दिए बयान पर जवाब देते हुए कहा कि उनकी इस प्रकार की बयानबाजी केवल उनके राजनीतिक अपरिपक्वता और संदिग्ध मंशा का परिचय देती हैं। उनके इस बयान से ऐसा प्रतीत होता है कि वर्तमान सरकार द्वारा जन हित में किए जा रहे कार्यों की प्रगति उन्हें रास नहीं आ रही है, इसीलिए वे जनता को गुमराह करने के लिए ऐसी मनगढ़ंत बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आज जो किसान हितैषी होने का ढ़ोंग कर रही है, उनकी सरकार के कार्यकाल के दौरान किसानों के हित में ऐसी कोई भी योजना नहीं चलाई गई।

        कृषि मंत्री बताया कि सरकार ने एक लाख हेक्टेयर में धान के स्थान पर मक्का / कपास / बाजरा / दलहन की फसल की खेती करने के लिए नई फसल विविधिकरण योजना ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ की शुरुआत की है। इस योजना के अंतर्गत  धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसलों को उगाकर विविधीकरण करने की एवज में किसानों को 7000 रुपये  प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके तहत 8 खंडों जिनमें, फतेहाबाद जिले का रतिया, कैथल जिले का सिवान और गुहला, कुरुक्षेत्र जिले के पिपली, शाहबाद, बाबैन, इस्माइलाबाद और सिरसा जिले का सिरसा खण्ड शामिल है, को चिहिन्त किया गया है, जहां भू-जल स्तर 40 मीटर से ज्यादा नीचे है।

        उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष इन 8 खण्डों में धान का कुल क्षेत्र 2 लाख 6 हजार हेक्टेयर था, इस बार 50 प्रतिशत क्षेत्र अर्थात 1 लाख 3 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में धान के स्थान पर वैकल्पिक फसलों की खेती होगी।

        उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा उच्च उत्पादकता वाले मक्का हाइब्रिड बीज की कंपनियां सूचीबद्ध की जाएंगी और किसान उनसे बीज खरीद सकेंगे। कृषि मंत्री ने बताया कि केवल उन कंपनियों को ही अनुमति दी जाएगी, जिनके बीजों की उत्पादन क्षमता प्रति एकड़ में 25 क्विवंटल से अधिक होगी। इसके लिए कंपनियों द्वारा हर खण्ड में डेमोस्ट्रेशन फार्म तैयार किए जाएंगे

        इन खण्डों के अलावा अन्य खण्डों के किसान भी इस फसल विविधीकरण योजना के तहत लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र होंगे, यदि वे अपने धान के क्षेत्र पर अन्य वैकल्पिक फसलों की खेती करते हैं। ऐसे किसानों को आवेदन करना होगा और विविधकरण करने के लिए पिछले वर्ष के दौरान धान की खेती के बारे में राजस्व रिकॉर्ड का विवरण प्रस्तुत करना होगा, इस शर्त के साथ कि वे किसी भी नए क्षेत्र जहाँ पहले धान नहीं उगाया जाता था, में धान नहीं उगाएंगे।

        उन्होंने बताया कि लक्षित 1 लाख हेक्टेयर भूमि में 10,000 हेक्टेयर बागवानी की फसलों की खेती के लिए आरक्षित रखा गया है। बागवानी को बढ़ावा देने के  लिए बागवानी फसलों के बीजों पर सब्सिडी दी जाएगी।

        उन्होंने बताया कि कोविड-19 महामारी के दौरान भी खरीद प्रक्रिया को सुचारू रुप से चलाने और किसानों को मंडियों में अपनी उपज लाने के लिए अधिक दूरी तय न करनी पड़े, इसके लिए मंडियों की संख्या बढ़ाई गई। रबी सीजन 2020 के दौरान गेहूं के लिए 1831 और सरसों के लिए 162 खरीद केंद्रों की स्थापना की गई है। अब तक 604.77 लाख क्विंटल गेहूं और 54.20 लाख क्विंटल सरसों की मंडियों में आवक हो चुकी है। सरकार किसानों की उपज का एक-एक दाना खरीदेगी। उन्होंने कहा कि यह खरीद बहुत थोड़े समय में हुई है। गेहूं की तो केवल 20 दिन में हुई है, जबकि यही विपक्षी नेता कहते थे कि गेहूं को हम तीन महीनों में भी नहीं खरीद पाएंगे।

        उन्होंने बताया कि वर्ष 2018-19 के दौरान प्रदेश में कुल खाद्यान उत्पादन 181.44 लाख मीट्रिक टन हुआ, जबकि वर्ष 2013-14 में यह आंकड़ा 153.54 लाख मीट्रिक टन था।

        कृषि मंत्री ने वर्तमान सरकार और पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान किसानों के हित में किए गए कार्यों की जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार ने किसानों के जोखिम की पूर्ति हेतू प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को खरीफ 2016 में पूरे हरियाणा प्रदेश में शुरू की गई, जिसके तहत बाजरा, धान, कपास, मक्का, गेंहू, चना, जों, सरसों एवं सूरजमुखी फसलों को कवर किया गया है और अब तक 50.37 लाख किसानों को इस योजना के तहत पंजीकृत किया गया है और 12.09 लाख किसानों से 825.69 करोड़ रुपये प्रीमियम के रूप में लिए और 2546.96 करोड़ रूपए बीमा राशि के रूप में दिए जा चुके हैं। इस योजना का भी कांग्रेस ने भरपूर विरोध किया था। जबकि पिछली सरकार के दौरान बीमा योजना निम्नलिखित स्कीमों राष्ट्रीय कृषि फसल बीमा योजना, मौसम आधारित फसल बीमा योजना तथा संशोधित राष्ट्रीय कृषि फसल बीमा योजना के तहत प्रदान किया जाता था, जोकि कुछ ही ब्लॉकों/जिलों तक सीमित थी। कांग्रेस शासन (2005-06 से 2013-14) के दौरान केवल 12.53 लाख किसानों को पंजीकृत किया गया और केवल 4.20 लाख किसानों को इस योजना का लाभ मात्र 164.30 करोड़ रूपए के रूप में दिया गया।

        उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार ने (2014-15 से 2019-20) के दौरान आपदा प्रबंधन के तहत किसानों को 2764.93 करोड़ रूपए मुआवजा राशि के तौर पर वितरित किए जबकि पिछली सरकार के दौरान (2005-06 से 2013-14) मात्र 827.01 करोड़ रूपए मुआवजा राशि के तौर पर वितरित किए गए।

        उन्होंने बताया कि वर्ष 2019 के अंदर किसानों को आर्थिक तौर पर मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री किसान योजना शुरू की गई, जिसके तहत हर वर्ष 6000/- रूपए की राशि किसानों के खाते में ऑनलाइन जमा करवाई जा रही है। इस स्कीम के तहत 16.53 लाख किसानों को 1362.36 करोड़ रूपए किसानों के खातों में डाले जा चुके हैं, जबकि पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान इस तरह की कोई भी स्कीम किसानों के हित में नहीं चलाई गई थी।

        उन्होंने बताया कि किसानों को विभिन्न योजनाओं के तहत वर्ष 2019-20 में बिजली पर 6856.02 करोड़ रुपये की सब्सिडी जारी की, जबकि कांग्रेस के समय में वर्ष 2013-14 के दौरान यह राशि 4853.40 करोड़ रुपये थी।

        उन्होंने बताया कि राज्य में सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए कुल लागत का 85 प्रतिशत अनुदान सभी वर्ग के किसानों को वर्ष 2019 से दिया जा रहा है। 2019-20 तक 1.08 लाख हेक्टेयर को सूक्ष्म सिंचाई के तहत कवर किया गया है जो 2014-15 से पहले 66,808 हेक्टेयर था। प्रेस वार्ता के दौरान कृषि मंत्री ने वर्तमान सरकार द्वारा चलाई जा रही बागवानी, फसल खरीद, भू-जल में सुधार करने जैसी अन्य योजनाओं की भी विस्तृत जानकारी दी।

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