केजरीवाल का नया फॉर्मूला : दिल्ली की जनता से पूछा , 17 मई के बाद दिल्ली में लॉकडाउन में ढील देनी चाहिए या नहीं ? और कितनी ढील देनी चाहिए?

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सुभाष चंद्र चौधरी

नई दिल्ली । देश में सरकार चलाने के अनोखे अंदाज को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हमेशा चर्चा में रहते हैं । राजनीति में आने से पहले मोहल्ले मोहल्ले जाकर लोगों से संवाद स्थापित करना और किसी विषय पर आम जनता की राय वह सुझाव का संकलन करना एवं उसके अनुरूप अपनी नीति तैयार करना यह उनकी कार्य शैली का प्रमुख अंग है । यह अलग बात है पिछली पंचवर्षीय योजना के कार्यकाल में उनकी यह कार्यशैली कम ही मौके पर देखने को मिली थी । अपने एकतरफा निर्णय को लागू करने में अक्सर व्यस्त रहे थे जिसको लेकर कई बार दीपक के निशाने पर रहे और इस बात के लिए आलोचना के शिकार भी हुए कि अब वह किसी भी मुद्दे पर आम जनता की राय नहीं लेते हैं ।

अब कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम के लिए देश में जारी लॉक डाउन को लेकर प्रधानमंत्री से लेकर सभी राज्यों के मुख्यमंत्री अपने अपने तरीके से मंथन कर रहे हैं और अपना मंतव्य जता रहे हैं। लॉक डाउन की दूसरे चरण तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आदेशानुसार सब कुछ लागू करने का मंत्र लगातार रखने वाले केजरीवाल ने तीसरे चरण में सब कुछ भुला दिया। दिल्ली में संक्रमित लोगों की संख्या लगातार बढ़ने के बावजूद उन्होंने सभी व्यवसायिक औद्योगिक एवं अन्य आर्थिक गतिविधियों को चलाने की खुली छूट दे दी।

अब लगातार कई दिनों से दिल्ली में कोविड-19 वायरस संक्रमित नए मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है और इनके द्वारा लिए गए कई फैसले लोगों को पच नहीं रहे हैं। लोग इस बात को लेकर आश्चर्यचकित हैं कि आखिर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किस आकलन के आधार पर दिल्ली को लॉक डाउन रहने के बावजूद लगभग पूरी तरह खोल दिया। सोमवार को प्रधानमंत्री ने सभी मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक की थी और तभी से लॉक डाउन के बाद रोड मैप तैयार करने को कहा था। केजरीवाल सरकार दिल्ली में अभी तक कोविड-19 संक्रमण को रोकने में विफल रही है और इस विफलता को छिपाने के लिए अब उन्होंने नया तरीका ढूंढ निकाला है। अब तक स्वयं फैसले लेने और उसे लागू कराने वाले केजरीवाल ने 17 मई के बाद दिल्ली को किस स्थिति में रखा जाए इसको लेकर दिल्ली की जनता से सुझाव मांगने का निर्णय लिया है।

श्री केजरीवाल ने ट्वीट कर दिल्ली की जनता से पूछा है कि 17 मई के बाद क्या दिल्ली में लॉकडाउन में ढील देनी चाहिए? कितनी ढील देनी चाहिए? उन्होंने ट्वीट में कहा है कि कृपया अपने सुझाव 8800007722 पर मुझे कल शाम 5 बजे तक whatsapp करें, या 1031 पर फ़ोन कर के अपना सुझाव रिकॉर्ड करें ।

इस नए तरीके से अब केजरीवाल अपने ऊपर कोई जिम्मेदारी लेने के मूड में नहीं है और आगे आने वाले समय के लिए लिए जाने वाले निर्णय को लेकर जनता के सिर ठीकरा फोड़ना चाहते हैं। हालांकि उन्हें और उनकी सरकार के सभी बड़े पैरोकार ओं को इस बात का भान अवश्य होगा कि दिल्ली की जनता आखिर क्या चाहती है।

उनका तबलीगी जमात को लेकर बना रहा झुकाव जी दिल्ली की जनता से छिपा नहीं है । दो-तीन दिन पूर्व क्वॉरेंटाइन किए गए तबलीगी जमात के सैकड़ों सदस्यों को तत्काल छोड़ देने और उन्हें सम्मान उनके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था करने का आदेश भी लोगों के सामने हैं। जबकि निजामुद्दीन स्थित मरकज में तबलीगी जमात के जमावड़े को लेकर दिल्ली सरकार के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार को लोग अब तक भूले नहीं हैं। अब वे कुछ भी निर्णय लेने से पहले यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं की 17 मई के बाद दिल्ली में जो भी हालात बनेंगे उसमें राजधानी की जनता भी शामिल है।

अब यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि कल शाम तक दिल्ली के कितने लोग उनके द्वारा घोषित व्हाट्सएप नंबर पर अपने सुझाव भेजते हैं और उन सुझावों में केजरीवाल सरकार की सोच परिलक्षित होगी या फिर उनके द्वारा अब तक उठाए गए कदमों का सख्त विरोध होगा। हालांकि राजनीति और सरकारी तंत्र में आजकल सब कुछ अंदर खाते ही मैनेज हो जाता है। बहुतायत में जनता से क्या कहवाना है और किन बातों का विरोध करवाना है या फिर किसका समर्थन करवाना है इसका पूरा ताना-बाना सरकार में बैठे लोग बुनना अच्छी तरह जानते हैं। इसलिए उनके व्हाट्सएप पर बहुतायत में आने वाले सुझाव को लेकर लोगों के मन में आशंका पहले से ही घर कर चुकी है। यानी यह बात अभी से साफ है कि अरविंद केजरीवाल 17 मई के बाद दिल्ली में क्या करना चाहते हैं उसी दिशा में उनके व्हाट्सएप नंबर पर संदेश और सुझाव भी आते हुए देख सकते हैं।

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