नई दिल्ली। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भारतीय रेल के माल ढुलाई संबंधी परिचालनों में बदलाव लाने के लिए संभावित तरीकों और साधनों पर विचार मंथन करने के लिए आज लॉजिस्टिक्स उद्योग से जुड़े प्रमुख व्यक्तियों/हितधारकों की बैठक बुलाई। यह बैठक लगभग तीन घंटे तक चली, जिसमें माल ढुलाई परिचालनों को अधिक कुशल, लाभकारी बनाने की दिशा में संभावित नीतिगत हस्तक्षेपों पर उद्योग जगत की ओर से व्यापक सुझाव प्राप्त हुए।
कोविड-19 संकट के दौरान रेलवे की ओर से निभाई जा रही महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए पीयूष गोयल ने कहा कि रेलवे कोविड संकट को बहुत चिंता और सहानुभूति के साथ देखता है और इस अवधि के दौरान रेलवे ने देश भर में आवश्यक वस्तुओं की ढुलाई करके देश के लिए जीवन रेखा का काम किया है। श्री गोयल ने कहा, “इतना ही नहीं, इस दौरान हमने काफी अर्से से लंबित पड़े अपने कार्यों जैसे- मुख्य लाइनों तक कनेक्टिविटी बढ़ाना, काफी अर्से से लंबित रख-रखाव कार्यों को पूरा करना, क्षतिग्रस्त पुलों को ढहाना/ मरम्मत करना और हमारी मौजूदा बुनियादी सुविधाओं में सुधार करना”- को पूरा करने में भी इस समय का उपयोग किया।
रेल मंत्री ने जोर देकर कहा कि इसके साथ ही हमने माल ढुलाई और लॉजिस्टिक व्यवसाय द्वारा प्रस्तुत जबरदस्त अवसर को भी स्वीकार किया है और निकट भविष्य में अपनी सेवाओं में सुधार के लिए हमने कई उपायों की योजना बनाई है।
बैठक में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और अन्य प्रमुख अधिकारियों के साथ लॉजिस्टिक्स उद्योग के शीर्ष व्यापारियों ने भाग लिया। इस बैठक में कई रचनात्मक सुझाव प्राप्त हुए, जिनमें एक सुनिश्चित समयबद्ध डिलीवरी मॉडल की ओर रुख करना, साझेदारों को किसी प्रकार का बीमा तंत्र प्रदान करना, माल भाड़ा दरों को तर्कसंगत बनाना और लॉजिस्टिक्स लागतों को ज्यादा उचित बनाना, चरणबद्ध तरीके से टर्मिनलों साथ ही साथ बंदरगाहों पर लोडिंग/अनलोडिंग की दक्षता में सुधार लाना आदि शामिल है।
उद्योग जगत के सुझावों का स्वागत करते हुए रेल मंत्री ने कहा कि नवाचार महत्वपूर्ण है और लॉजिस्टिक्स लागत में कमी लाने के लिए समाधानों को लाभकारी बनाने की आवश्यकता है। श्री गोयल ने कहा, “माल ढुलाई के परिचालन में बदलाव लाने और कुल फ्रेट ट्रैफिक को दोगुना कर 2.5 बिलियन टन तक पहुंचाने के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करने के लिए हमें शुरू से अंत तक नॉनस्टॉप फास्टर ट्रेनों, बेहतर सिग्नलिंग प्रणाली, कार्गो ट्रेनों के लिए बेहतर सारिणी और टाइम टेबल तथा वित्तपोषण के बेहतर विकल्पों की आवश्यकता है।”