सुभाष चंद्र चौधरी
गुरुग्राम। हरियाणा सरकार के श्रम विभाग ने अब फैक्ट्री एक्ट 1948 में कुछ प्रावधानों में तात्कालिक बदलाव करते हुए प्रदेश के व्यवसायियों एवं उद्यमियों को अपने श्रमिकों एवं मजदूरों से अधिकतम 12 घंटे तक काम कराने की छूट दे दी है। वर्किंग आवर्स को बढ़ाने का यह फैसला श्रमिकों एवं मजदूरों का अधिकतम उपयोग करने की दृष्टि से लिया गया है। इस संबंध में जारी आदेश में श्रम विभाग हरियाणा के प्रिंसिपल सेक्रेट्री विनीत गर्ग ने यह स्पष्ट किया है की इस प्रकार की अनुमति हरियाणा सरकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन के आलोक में दी गई है। इस नए आदेश से अब फैक्ट्री मालिक अपने वर्कर से 12 घंटे तक काम करा सकेंगे।
श्रम विभाग की ओर से जारी आदेश में यह भी कहा गया है की फैक्टरीज एक्ट 1948 के तहत पंजीकृत उन सभी उद्योगों को सेक्शन 51 सेक्शन 54 एवं सेक्शन 56 से छूट दे दी गई है। इन धाराओं में फैक्ट्री वर्कर्स के लिए प्रत्येक सप्ताह में काम कराने की समय सीमा और प्रतिदिन काम कराने के कुल घंटे निर्धारित किए गए हैं जिनमें अब हरियाणा सरकार ने बदलाव करने की घोषणा की है। उक्त आदेश आगामी 30 जून 2020 तक लागू रहेगा। फैक्ट्री मालिक आप अपने वर्कर्स से अगले 2 माह तक 12 घंटे तक काम करा सकेंगे।
उपरोक्त बदलाव 5 शब्दों के आधार पर किया गया है। आदेश में यह स्पष्ट कर दिया गया है की किसी भी परिस्थिति में प्रतिदिन काम की कुल घंटे 12 घंटे से अधिक नहीं होंगे। यह छूट केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के दूसरे अन्य किसी नियम व कानूनों के उपयोग से वंचित नहीं करता। यह भी कहा गया है कि यह प्रावधान आगामी 30 जून 2020 तक ही वैद्य रहेगा। इन शर्तों में या भी शामिल किया गया है की ओवरटाइम के पैसे फैक्ट्री एक्ट 1948 के सेक्शन 59 के अनुसार भी देने पड़ेंगे।
श्रम विभाग के प्रधान सचिव ने अपने पत्र में सभी फैक्ट्री मालिकों को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से करुणा संक्रमण की रोकथाम के लिए जारी गाइडलाइन का पूरा पालन करने का भी आदेश दिया है। सोशल डिस्टेंसिंग सैनिटाइजेशन और अन्य आवश्यक शर्तों का पालन प्रत्येक फैक्ट्री में श्रमिकों की स्वास्थ्य सुरक्षा की दृष्टि से करना आवश्यक बताया गया है।
बताया जाता है कि श्रम विभाग हरियाणा ने यह महत्वपूर्ण कदम प्रदेश में औद्योगिक इकाइयों में कामकाज सुचारू बनाने जबकि उत्पादन को गति प्रदान करने की दृष्टि से उठाया है। प्रदेश सरकार को इस बात की आशंका सता रही है कि दूसरे प्रदेशों से यहां आकर काम करने वाले हजारों की संख्या में श्रमिक व मजदूर अब केंद्र सरकार के नए आदेश के तहत अपने गृह राज्य को पलायन कर सकते हैं।
उत्तर प्रदेश बिहार राजस्थान उड़ीसा सहित अन्य पूर्वोत्तर राज्यों एवं दूसरे प्रदेशों की सरकारों की ओर से अपने अपने निवासियों को गृह राज्य ले जाने की व्यवस्था करने का ऐलान किया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने तो पिछले 1 सप्ताह से अपने राज्य के लोगों को हरियाणा दिल्ली एनसीआर के शहरों से सड़क के माध्यम से उनके गृह जिलों में पहुंचाने का काम भी शुरू कर दिया है।
कोरोनावायरस संक्रमण की आशंका के कारण प्रवासी श्रमिकों एवं मजदूरों में जबरदस्त भय व्याप्त है जबकि पिछले डेढ़ माह से भी अधिक समय से सभी लॉक डाउन के दौरान बेरोजगार बैठे हुए हैं। सभी अपने अपने गृह राज्य जाने को उत्सुक हैं ऐसे में केंद्र सरकार की ओर से उन राज्य सरकारों को अपने लोगों को सड़क मार्ग से ले जाने की अनुमति दे देना आग में घी का काम कर गया।
सबसे अधिक नुकसान हरियाणा में स्थापित उद्योग जगत को होने वाला है क्योंकि बड़ी संख्या में यहां प्रवासी श्रमिक और मजदूर काम करते हैं जिनमें से काफी लोग यहां से पलायन कर चुके हैं और इस नए आदेश के तहत अब अपने गृह राज्य जाने को तैयार बैठे है।
हरियाणा सरकार इस बात को लेकर चिंतित है की कोविड-19 संक्रमण पर नियंत्रण पाने के बावजूद उद्योग इकाइयों को चलाने की अनुमति देने पर भी उत्पादन को गति नहीं मिल पाएगी। अधिकतर औद्योगिक एवं व्यावसायिक इकाइयां श्रमिकों एवं मजदूरों के अभाव में काम शुरू नहीं कर पाएंगी। औद्योगिक जगत भी इस स्थिति से बेहद परेशान है और गुरुग्राम जैसे औद्योगिक शहर में अनुमति मिलने के बावजूद फैक्ट्रियों में काम शुरु कराने की स्थिति में नहीं है।
आशंका इस बात की भी है कि प्रवासी मजदूर पलायन के बाद कोरोना के भय से अगले कम से कम 1 साल तक वापस काम पर लौटने से परहेज करेंगे। इससे श्रमिकों के अभाव में उत्पादन बाधित रहेगा जो प्रदेश के लिए भी बड़ा आर्थिक नुकसानदायक साबित हो सकता है। इसलिए फैक्ट्री एक्ट 1948 में काम के घंटे के प्रावधान में बदलाव लाकर फैक्ट्री मालिकों को कम श्रमिकों से ही अधिक समय तक काम करवाने और अपना उत्पादन शुरू करने की अनुमति दी गई है।