सुभाष चन्द्र चौधरी
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने आज एक महत्वपूर्ण आदेश जारी कर देश के सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के सरकारों को निर्देश दिया है कि वे अपने अपने राज्यों के श्रमिकों पर्यटक को तीर्थ यात्रियों एवं विद्यार्थियों सहित अन्य व्यक्तियों को अपने-अपने राज्य में ले जा सकते हैं। आदेश में कहा गया है कि कोरोना वायरस संक्रमण रोकथाम की दृष्टि से घोषित लोक डाउन के दौरान अलग अलग राज्यों में फंसे सभी ऐसे लोगों को संबंधित राज्य सरकारें अपनी व्यवस्था कर स्वास्थ्य सुरक्षा का ख्याल रखते हुए अपने राज्य ले जा सकते हैं। इस आदेश से ऐसे हजारों लोगों को बड़ी राहत मिली है जो दूसरे राज्यों में पिछले डेढ़ माह से भी अधिक समय से राहत शिविरों या अन्य सार्वजनिक स्थलों एवं राज्य सरकारों द्वारा स्थापित कैंप में शरण लिए हुए हैं। इसकी मांग 2 दिन पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान मजबूती से की थी।
बताया बताया जाता है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री के साथ हुई बैठक के दौरान बेहद तल्ख शब्दों में केंद्र सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन का पालन अन्य राज्यों द्वारा नहीं किए जाने पर आपत्ति जताई थी ।उन्होंने कहा था कि जब केंद्र सरकार ने जो जहां है वही रहेगा का आदेश जारी किया था फिर अन्य राज्यों को हरियाणा से या फिर राजस्थान से अपने अपने नागरिकों को या विद्यार्थियों को अपने राज्य ले जाने की अनुमति आखिर कैसे मिली। उन्होंने प्रधानमंत्री से मांग की थी इस संबंध में केंद्र सरकार को अपनी नीति स्पष्ट करनी चाहिए क्योंकि बिहार में उनकी सरकार केंद्र की गाइडलाइन का अनुपालन करते हुए इस प्रकार का कोई कदम अब तक नहीं उठा रही है।
जाहिर है उत्तर प्रदेश राजस्थान हरियाणा पंजाब हिमाचल प्रदेश और अन्य राज्यों द्वारा उठाए गए इस प्रकार की कदमों की ओर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का इशारा था। बिहार के छात्रों और दिल्ली एनसीआर पंजाब एवं दूसरे राज्यों में लोक डाउन के दौरान सबसे बड़ी संख्या में श्रमिकों व मजदूरों को अपने राज्य नहीं आने देने या फिर ले जाने की व्यवस्था नहीं करने के कारण नीतीश कुमार की विपक्षी पार्टियों द्वारा तीव्र आलोचना हो रही थी लेकिन उनकी ओर से हमेशा केंद्र सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन का पालन करने का दावा किया जा रहा था।
उनकी इस मामले में अपने प्रदेश में बड़ी किरकिरी हुई या कहते हुए कि उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्य अपने अपने लोगों को छात्रों को अपने प्रदेश अपने वाहन से ले जा रहे हैं फिर बिहार सरकार इस प्रकार का कदम क्यों नहीं उठा रही है।
समझा जाता है कि इन्हीं कारणों से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री के सामने जोरदार शब्दों में इस विषय को उठाया और केंद्र से अपनी नीति स्पष्ट करने की मांग की।
इसी आलोक में आज केंद्रीय गृह सचिव की ओर से सभी राज्य सरकारों को संबोधित एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया गया जिसमें सभी राज्य सरकारों को अपने अपने प्रदेश के नागरिकों को अपने राज्य ले जाने की छूट दे दी गई। नागरिकों को ले जाने की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की होगी और जहां हुए फंसे हैं उस राज्य सरकार के साथ उन्हें कोआर्डिनेशन स्थापित कर इस प्रकार की व्यवस्था करनी होगी।
उक्त आदेश में कहा गया है कि सभी राज्य सरकारों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को एक निश्चित प्रोटोकॉल के तहत नोडल अधिकारी नियुक्त करने होंगे जो दूसरे राज्यों के साथ कोआर्डिनेशन भी स्थापित करेंगे साथ ही दूसरे राज्यों में फसे नागरिक उनसे अपनी जानकारी देते हुए सहायता की मांग कर सकेंगे ।सभी को नोडल अधिकारी के फॉर्म पर स्वयं को पंजीकृत कर अपने राज्य जाने का आवेदन करना होगा।
इसमें कहा गया है कि अगर कोई बड़ा समूह एक राज्य से दूसरे राज्य में जाना चाहेगा तो इसको भेजने और इसे आने देने की अनुमति की दृष्टि से आपस में दोनों राज्य सरकारें मिलकर व्यवस्था करेंगी और उन्हें सड़क मार्ग से ही ले जाने की अनुमति होगी।
गृह मंत्रालय द्वारा जारी आदेश में यह भी कहा गया है कि जो व्यक्ति एक राज्य से दूसरे राज्य में जाएंगे उन सभी की स्वास्थ्य की स्क्रीनिंग होगी और अगर उनमें किसी प्रकार का कोरोनावायरस का लक्षण नहीं होगा तभी उन्हें जाने की अनुमति मिलेगी।
आदेश में कहा गया है जिन बसों में लोगों को एक राज्य से दूसरे राज्य ले जाया जाएगा उनमें सोशल डिस्टेंसिंग नॉर्म्स का पूरी तरह पालन करना होगा और उक्त बस को सैनिटाइज भी करना पड़ेगा।
जिन राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से होकर उक्त बस गुजरेगी सभी उन्हें जाने की अनुमति देंगे। आदेश में यह साफ कहा गया है एक राज्य से दूसरे राज्य में गए हुए ऐसे नागरिकों को तत्काल वहां का स्वास्थ्य विभाग या हेल्थ वर्कर्स की टीम द्वारा उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। उन्हें निश्चित अवधि तक के लिए होम क्वॉरेंटाइन रखना होगा साथ ही अगर उनमें किसी प्रकार के लक्षण पाए जाते हैं तो उन्हें सरकार द्वारा निर्धारित क्वॉरेंटाइन सेंटर में ही क्वॉरेंटाइन किया जाएगा।
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला की ओर से जारी सभी राज्यों के नाम इस पत्र में यह भी कहा गया है कि ऐसे नागरिक जो एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरित किए जा रहे हैं उन्हें आरोग्य सेतु एप भी उपयोग करने के लिए प्रेरित करना जरूरी होगा जिससे कि उनके स्वास्थ्य की स्थिति को मॉनिटर करना संभव हो सकेगा।
आदेश में गत 11 मार्च 2020 को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी ओंकार इन टाइम और स्वास्थ्य सुरक्षा संबंधी अन्य गाइडलाइन का पूर्णता अनुपालन करने की सलाह भी दी गई है।
इस नए आदेश सी खासकर दिल्ली एनसीआर राजस्थान महाराष्ट्र गुजरात हरियाणा पंजाब हिमाचल और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में बड़ी संख्या में लॉक डाउन के दौरान फंसे बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों को अब अपने प्रदेश जाने में सहूलियत होगी। लाखों की संख्या में लोग अपने प्रदेश जाने को उतावले थे लेकिन केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से लगाई गई बंदिश के कारण उन्हें सरकार या फिर सामाजिक संस्थाओं की राहत शिविरों में शरण लेनी पड़ी है। उनका भरण-पोषण या उनके दैनिक भोजन की व्यवस्था करना सब साथ ही स्वास्थ्य सुरक्षा की व्यवस्था करना भी संबंधित राज्य सरकार के लिए परेशानी का कारण बन गया था। अचानक घोषित लॉक डाउन के कारण जो जहां थे वहीं रह गए लेकिन इस विषम परिस्थिति में सभी अपने-अपने निवास स्थान या गृह राज्य जाने को उत्सुक थे लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं थी। इसको लेकर देश में राजनीति भी बहुत चरम पर रही एक तरफ विपक्षी पार्टियां मोदी सरकार की इस बात के लिए आलोचना कर रही थी तो दूसरी तरफ राज्य सरकारों के लिए यह एक बड़ा बोझ साबित हो रहा था। बावजूद इसके केंद्र सरकार इस निर्णय पर अड़ी रही और लगभग 20 माह तक लोगों को वहीं रुकना पड़ा हालांकि पिछले 1 सप्ताह से उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र की सरकारों ने अपने-अपने नागरिकों एवं विद्यार्थियों को उनके गृह जिले में पहुंचाने की व्यवस्था शुरू कर दी थी। उत्तर प्रदेश शासन की ओर से हरियाणा में फंसे उत्तर प्रदेश के लोगों को बस द्वारा उनके गृह जिले में पहुंचाने का काम पिछले कई दिनों से जारी था। इस आदेश से अब बिहार के लोगों को भी अपने गृह राज्य जाने की अनुमति मिलेगी लेकिन उन्हें संबंधित नोडल अधिकारी के पास अपनी सूचना पंजीकृत करानी होगी और राज्य सरकार की ओर से उन्हें ले जाने की व्यवस्था करने तक इंतजार करना होगा।
अब देखना यह है कि इस नए आदेश पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की प्रतिक्रिया क्या आती है और उनकी ओर से अपने राज्य के लाखों लोगों को गृह राज्य ले जाने की व्यवस्था किस तरह से और कितनी जल्दी की जाती है।