गुरुग्राम। एनसीआर चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष एच पी यादव ने कहां है कि देश में सैकड़ों औद्योगिक एवं व्यावसायिक एसोसिएशन और चैंबर्स की ओर से लगातार केंद्र सरकार से एमएसएमई सेक्टर के लिए आर्थिक पैकेज की मांग की जा रही है । अब तक केंद्र सरकार की ओर से इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया गया है बावजूद इसके कि देश में 64 लाख एमएसएमई इकाइयां हैं जो देश की जीडीपी में 28 प्रतिशत योगदान करती है। सरकारी आंकड़े ही इस बात के प्रमाण हैं कि देश से होने वाले एक्सपोर्ट का 45% केबल एमएसएमई सेक्टर की ओर से किया जाता है जिससे देश के लिए बड़े पैमाने पर विदेशी मुद्रा का अर्जन होता है।
उन्होंने यहाँ जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से कहा कि एमएसएमई सेक्टर ही निजी क्षेत्र में 11 करोड़ लोगों को रोजगार मुहैया कराता है लेकिन केंद्र सरकार की ओर से इस सेक्टर के लिए कोई राहत पैकेज की घोषणा नहीं करना बेहद निराशाजनक है। एनसीसीआई प्रेसिडेंट श्री यादव ने एमएसएमई सेक्टर के उद्यमियों की मांग को दोहराते हुए कहा की यह क्षेत्र वैश्विक मंदी के कारण पहले से ही नुकसान में था जबकि डेढ़ माह के कोरोनावायरस संक्रमण काल में अब अस्तित्व बचाने का खतरा मंडराने लगा है। अधिकतर उद्योग बंदी के कगार पर हैं ।बैंक के ऋण के बोझ से परेशान औद्योगिक क्षेत्र में उत्पादन पूरी तरह बंद होने से बड़े पैमाने पर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ऑर्डर कैंसिल हुए । इससे हुई आर्थिक क्षति का आकलन करने से स्पष्ट हो रहा है कि अब आगे फैक्ट्री को चलाना असंभव है। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार लोगों को रोजगार देना चाहती है तो इसके लिए एमएसएमई सेक्टर ही सरकार का सपना पूरा कर सकता है लेकिन लेकिन इसे मजबूती प्रदान करने के लिए वित्तीय मदद की दरकार है।
उन्होंने कहा की केंद्र सरकार इस क्षेत्र की उपेक्षा कर रही है ।उद्यमियों को मदद करने के बजाय कानूनी प्रावधानों से सख्त कार्रवाई की धमकी दी जा रही है। उद्यमी देश को चलाने में सरकार की भरपूर मदद करते हैं। चाहे वह टैक्स के रूप में हो या फिर रोजगार एवं सामाजिक कार्यों के लिए आर्थिक योगदान देने की बात हो। उन्होंने याद दिलाया कि आज उद्यमी और व्यवसाई भी कोरोना संक्रमण की रोकथाम के दौरान गरीबों एवं वंचितों व असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को भी मदद करने के लिए आगे आए हैं और अपने सीएसआर के प्रावधान के तहत बड़े पैमाने पर देश के सभी राज्यों में सामाजिक योगदान कर रहे हैं। यहां तक कि पीएम रिलीफ फंड से लेकर सीएम रिलीफ फंड तक सभी स्तर पर इस क्षेत्र के लोगों ने भी बढ़-चढ़कर योगदान दिया है। लेकिन जब भी उद्यमियों पर संकट का समय आता है तो सरकार हाथ खड़े कर देती है।
उन्होंने कहा कि यह बात समझनी चाहिए की उद्यमी भी इस देश के नागरिक हैं और उनका देश की अर्थव्यवस्था में अपेक्षाकृत अधिक योगदान है। जहां तक मतदाता का सवाल है भारतीय लोकतंत्र में उद्योग चलाने वाले मध्यम और छोटे दर्जे के उद्यमी भी इस देश के मतदाता हैं। लोकतंत्र को मजबूत करने और सरकार निर्वाचित करने में उद्यमियों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहता है। लगभग 16 करोड़ उद्यमी मतदाता भी इसी देश में रहते हैं और उनके हितों की सुरक्षा करना भी सरकार का संवैधानिक व नैतिक दायित्व है। उन्होंने कहा कि हम उद्यमियों का भी आर्थिक महत्व के साथ-साथ राजनीतिक महत्व भी निर्णायक है।
इसलिए केंद्र सरकार को हमारी मांगों पर भी सकारात्मक विचार कर तत्काल विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एमएसएमई सेक्टर के मजबूत होने से मजदूरों का पलायन रुकेगा जबकि कोरोना जैसी महामारी से निपटने में भी सफलता मिलेगी। उनका तर्क है कि श्रमिकों के पलायन से कोरोना वायरस संक्रमण का सामुदायिक फैलाव होने की आशंका भी है जो देश के सभी राज्यों के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है जबकि आर्थिक नुकसान का बड़ा कारण भी।