गुरुग्राम : अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (एडीजे) कृष्णकांत की पत्नी और बेटे की हत्या के मामले में शुक्रवार को गुरुग्राम की कोर्ट ने दोषी गनर महीपाल को फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इस मामले में दो अन्य दोषियों को 3 और पांच साल करावास की सजा सुनाई है। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुधीर परमार की अदालत ने गुरुवार को सिपाही महिपाल को दोषी करार दिया था।
कोर्ट ने महीपाल को आईपीसी की धारा 302, 201 और आर्म्स एक्ट -27 के तहत दोषी करार दिया था। इस मामले की सुनवाई के दौरान कुल 64 लोगों ने गवाही दी।
जिला अदालत में कार्यरत तत्कालीन अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश कृष्णकांत की पत्नी व पुत्र की उनके ही सुरक्षाकर्मी द्वारा गोली मारकर हत्या कर देने के मामले की सुनवाई शुक्रवार को अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुधीर परमार की अदालत में हुई। अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की सजा पर बहस सुनने के बाद दोषी की सजा पर फैसला सुरक्षित रख लिया था, जो अदालत ने देर सायं सुना
दिया। अदालत ने दोषी महीपाल को फांसी की सजा सुनाई है। सजा सुनाए जाने के समय आरोपी महीपाल पुलिस हिरासत में अदालत में मौजूद रहा। जिला उप न्यायवादी अनुराग हुड्डा व अभियोजन पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता विशाल गुप्ता से प्राप्त जानकारी के अनुसार अदालत ने प्रात: दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की दोषी की सजा पर बहस सुनी। अभियोजन पक्ष ने इस दोहरे हत्याकांड को जघन्य अपराध व विश्वास को तोडऩे का अपराध बताते हुए दोषी को फांसी की सजा की मांग अदालत से की। उन्होंने पूर्व में दी गई फांसी की सजा का उल्लेख करते हुए कई दलीलें भी दी।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की दलीलें भी अदालत में रखी गई, जिसमें उनके ही सुरक्षाकर्मियों ने इंदिरा गांधी की हत्या कर विश्वास को तोड़ा था। इसी तर्ज पर दोषी को मृत्युदंड की सजा की मांग अधिवक्ताओं ने की। उन्होंने बताया कि वहीं बचाव पक्ष के अधिवक्ता पीएस शर्मा ने दोषी की सजा में रियायत बरतने का आग्रह अदालत से किया कि उसके परिवार में वृद्ध मां, पत्नी व 2 बेटियां हैं। परिवार में कोई अन्य कमाने वाला नहीं है, इसलिए दोषी की सजा में रियायत दी जाए।
अदालत ने दोनों पक्षों की सजा पर बहस सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जो अदालत ने देर सायं सुना दिया। अधिवक्ताओं ने बताया कि दोषी महीपाल को भादंस की धारा 302 के तहत फांसी की सजा दी गई है। फांसी की सजा पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय से कंफर्म होने के बाद ही मान्य होगी। इस कार्यवाही में अधिकतम 4 माह का समय लग जाता है। उन्होंने बताया कि भादंस की धारा 201 में 5 साल की सजा व 10 हजार रुपए जुर्माना तथा 27-54-59 आम्र्स एक्ट में 3 साल की सजा व 5 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। इस बहुचर्चित दोहरे हत्याकांड की सुनवाई के लिए प्रात: से ही अदालत परिसर में गहमागहमी शुरु हो गई थी। मीडिया व
अधिवक्ता फैसले की इंतजार में शाम तक अदालत के समक्ष डटे रहे। अदालत का फैसला सुनकर महीपाल नजरें झुकाए खड़ा रहा। अदालत में सुरक्षा व्यवस्था पूरे दिन चाकचौबंद देखने को मिली।
दोषी के अधिवक्ता का है कहना
दोषी के अधिवक्ता पीएस शर्मा का कहना है कि फैसले की प्रति मिलने के बाद उसका अध्ययन किया जाएगा और जिला सत्र अदालत के फैसले को पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी। गौरतलब है कि वर्ष 2018 की 13 अक्टूबर को सैक्टर 49 स्थित आर्केडिया मार्किट में खरीददारी करने के लिए जिला अदालत में कार्यरत तत्कालीन अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश कृष्णकांत की पत्नी रितु व पुत्र धु्रव न्यायाधीश के सुरक्षाकर्मी महीपाल के साथ कार में गए थे। जब वे खरीददारी कर वापिस आए तो सुरक्षाकर्मी महिपाल उन्हें कार के पास नहीं मिला था। काफी देर बाद जब महिपाल आया तो मां-बेटे ने नाराजगी जाहिर की थी। बताया जाता है कि तभी महिपाल ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर से दोनों के ऊपर गोलियां चला दी थी, जिससे वे गंभीर रुप से घायल हो गए थे। रितु ने अस्पताल में दम
तोड़ दिया था, जबकि उपचार के दौरान गंभीर रुप से घायल धु्रव की कई दिन बाद अस्पताल में मौत हो गई थी।