सीएम मनोहर लाल ने दिया सुझाव
चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की पहल पर 14वीं विधानसभा में पहली बार चुनकर आए 44 विधायिकों को विधायिका कार्य प्रणाली समझने का एक सुनहरा अवसर प्राप्त हुआ, जब हरियाणा विधानसभा सदन में लोकसभा सचिवालय नई दिल्ली के लोकतंत्र के लिए संसदीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के अधिकारियों द्वारा सीधी कार्य प्रणाली के बारीकियों से अवगत करवाया गया।
दो दिवसीय उन्मुखीकरण कार्यक्रम (Orientation Programme) के उदघाटन अवसर पर आज मुख्यमंत्री ने अपने सम्बोधन में पहली बार चुन कर आए विधायकों का आह्वान किया कि वे विधानसभा की नियमावली व कार्यप्रणाली की पूरी जानकारी प्राप्त करें और जब भी सत्र में आते हैं, तो पूरी तैयारी के साथ आएं। अनुभवी विधायकों से प्रणाली को समझें। विधायिका की जिम्मेवारी जनहित के नए कानून व नियम व नई नीति बनाना है। राजनीति विचारधारा से ऊपर उठकर पक्ष और विपक्ष की सदन में चर्चा निष्पक्ष होनी चाहिए, हमें किसी का न ही उपहास उड़ाना चाहिए न ही किसी से घृणा करनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता से अनुरोध किया कि लोकसभा की तर्ज पर विधानसभा के लिए भी हर वर्ष सर्वश्रेष्ठ विधायक का पुरस्कार आरंभ किया जाए। इसके अलावा, मुख्यमंत्री ने भविष्य में जो भी बिल सदन में चर्चा के लिए लाया जाए उनका ड्राफ्ट पांच दिन पहले बनकर विधायकों के पास पहुंच जाना चाहिए ताकि वे पूरी तैयारी के साथ सदन में आएं। इससे सदन का समय भी बचेगा। इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने अपनी सहमति जताते हुए कहा इन दोनों विषयों को आने वाले सत्र से लागू कर दिया जाएगा।
मनोहर लाल ने कहा कि विरोध के लिए विरोध करना ठीक नहीं। इसका हेतु क्या है, यह किसी के उपहास, घृणा व भावनाओं को आहत पहुंचाने वाला नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विधायकों को कार्यपालिका को भी समझना चाहिए। सदन में केवल विधायिका से जुड़े मामलों पर अधिक ध्यान देना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि विधायक अपनी निर्वाचन क्षेत्र से सम्बंधित विकास कार्यों की मांग को लिखित रूप से भी सम्बंधित विभाग को भेज सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली बार वर्ष 2014 में जब वे पहली बार चुनकर आए थे तो उनके लिए भी ऐसा प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हुआ था। हमें सीखने की ललक होनी चाहिए, विधायिका के हर नये नियम की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। 14वीं विधानसभा में 44 विधायक ऐसे हैं जो पहली बार चुनकर आएं हैं, जो कुल 90 की संख्या का आधा हो जाते हैं। कई विधायक एक बार, दो बार, तीन बार यहां तक की छह-छह सात-सात बार चुनकर आएं हैं, अगर उनका लोकसभा का कार्यकाल भी इसमें जोड़ दें तो आठ-नौ बार हो जाता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी मई, 2014 में पहली बार सांसद चुने गए थे तो वे संसद भवन नतमस्तक होकर गए थे। जैसे कि किसी मंदिर में प्रवेश से पहले श्रद्धालु नतमस्तक होते हैं। मुख्यमंत्री ने सदन की इबारत पर लिखे उस बह्मवाक्य के बारे में सदस्यों का ध्यान आकर्षित किया, जिसमें लिखा गया है कि, ‘‘सभा में या तो प्रवेश न किया जाए, यदि प्रवेश किया जाए तो वहां स्पष्ट और सच बात कही जाए, क्योंकि वहां न बोलने से या गलत बोलने से दोनों की स्थितियों में मनुष्य पाप का भागी बन जाता है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। चीन की जनसंख्या भले ही हमारे से ज्यादा हो परंतु हमारी लोकतंत्र प्रणाली उनसे बेहतर है। उन्होंने कहा कि पंचायती राज संस्थानों से लेकर संसद तक बेहतर लोक प्रणाली है और बराबर मत विभाजन होने के बावजूद निर्णय बिना हिंसा के टॉस या अन्य तकनीकों से लिये जाते हैं, जो भारतीय लोकतंत्र प्रणाली की विशषता है। विश्व के कई देशों में तो शासन बदलने का कार्य हिंसा के साथ तख्ता पलट करके किया जाता है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के उस वाक्य का भी उल्लेख किया जिसमें उन्होंने कहा था कि, ‘‘जिसमें बिना घृणा जगाए विरोध किया जा सकता है और बिना हिंसा के आश्रय लिए शासन बदला जा सकता है’’। हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान में ऐसी व्यवस्था दी है कि समय-समय पर इसमें संशोधन किया जा सकता है, जो संविधान के लचीलेपन को दर्शाता है और इसी के चलते अब तक 126 संविधान संशोधन किये जा चुके हैं।
श्री मनोहर लाल ने कहा कि विधानसभा के लिए हम पांच वर्ष के लिए चुनकर आते हैं परंतु हमारे संविधान ने जनता को यह अधिकार दिए हैं कि अगर किसी नेता के राजनीतिक विचारधारा व कार्यों से संतुष्ट नहीं हैं तो वे उन्हें बदल सकते हैं। इसलिए हमें स्टेटसमैन बनने का लक्ष्य रखना चाहिए क्योंकि नेता केवल पांच साल की सोचता है और स्टेटसमैन आने वाली पीढिय़ों के बारे में सोचता है।
मुख्यमंत्री ने सभी नवनिर्वाचित विधायकों का आह्वान किया कि वे विधानसभा की 18 समितियों व कमेटियों में से किसी न किसी के सदस्य बनाए जाएंगे। ये समितियां ‘लघु सदन’ की तरह होती हैं और इनमें विधानसभा सदन से अलग प्रकार से मुद्दों को रखा जा सकता है। अत: दलगत राजनीति से ऊपर उठर निष्पक्ष तौर पर विचार-विमर्श करना इन समितियों के सदस्यों का दायित्व व कर्तव्य है।
श्री मनोहर लाल ने विधानसभा अध्यक्ष से इस बात का भी अनुरोध किया कि हरियाणा गठन के बाद या उससे पूर्व के जो भी बिल पारित हुए हैं उनकी एक सूची बनाई जाए और जो बिल काफी पुराने और व्यवहार्य नहीं है उनको हटाया जाए। उन्होंने कहा कि वन विभाग का पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम (पीएलपीए) वर्ष 1900 में बना था जो भूमि के कटाव को रोकने के लिए बनाया गया था, क्योंकि पहले इस प्रकार की सडक़ें व नहरें नहीं थी जो वर्तमान में हैं। इसलिए हरियाणा ने गत वर्ष पीएलपीए में संशोधन किया।
मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि यह दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम जनप्रतिनिधियों को लोकतांत्रिक परम्पराओं और मर्यादाओं की जानकारी देगा, जिससे हम लोकतंत्र को और अधिक सुदृढ़ कर सकेंगे।
लोकसभा सचिवालय नई दिल्ली के लोकतंत्र के लिए संसदीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक श्री पुलीन भूटिया ने ‘भारतीय संसदीय प्रणाली की क्षमता बढ़ाने में प्राइड की भूमिका’ विषय पर एक प्रस्तुतिकरण भी दिया। इसी प्रकार, लोकसभा के निदेशक श्री वी.के.मोहन ने आज के दूसरे सत्र में संसद में ‘सरकारी कार्य तथा प्राइवेट मेम्बर्स कार्य’ विषय पर प्रस्तुतिकरण दिया।
इस अवसर पर हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष श्री ज्ञान चंद गुप्ता, उप मुख्यमंत्री श्री दुष्यंत चौटाला, विपक्ष के नेता श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने भी नवनिर्वाचित सदस्यों को विधायिका व संसदीय कार्य प्रणाली पर प्रकाश डाला और अपने अनुभव भी सांझे किये।