हरेरा ने ओरिस इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राईवेट लिमिटेड पर 30.48 करोड़ का जुर्माना ठोंका

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300 करोड़ का कमर्शियल प्रोजेक्ट

कमर्शियल प्रोजेक्ट को रजिस्टर्ड नहीं करवाने का आरोप

गुरुग्राम, 21 जनवरी । हरियाणा रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी, गुरूग्राम गलत निर्माण करने वाले बिल्डरों के साथ सख्ती से पेश आ रही है और आज चूक करने वालें बिल्डरों के खिलाफ कार्यवाई करने के लिए, डॉ. के. के. खंडेलवाल, माननीय अध्यक्ष, हरेरा (गुरूग्राम) की अध्यक्षता वाली बड़ी बैंच ने समीर कुमार और सुभाष चंद्र कुश, सदस्यों की उपस्थिति में मैसर्स ओरिस इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राईवेट लिमिटेड पर उनकी वाणिज्यिक परियोजना को पंजीकृत नहीं करवाने के लिए 30.48 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। चालू परियोजनाओं जहां पूरा करने का प्रमाणपत्र जारी नहीं किया गया है, उन्हें रेरा अधिनियम के प्रारंभ होने की तारीख से तीन महीने के भीतर प्राधिकरण के पास पंजीकृत होना आवश्यक है । रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016, अपनी संपूर्णता में 1 मई 2017 को लागू हुआ और अपूर्ण परियोजनाओं के प्रमोटरों को 31 जुलाई, 2017 से पहले अपनी परियोजनाओं को पंजीकृत करवाने की आवश्यकता थी। मैसर्स ओरिस इन्फ्रास्टक्चर प्राईवेट लिमिटेड, सैक्टर 82-ए, गुरूग्राम में 9.5 एकड़ क्षेत्र में एक व्यावसायिक परियोजना को विकसित कर रहा है। परियोजना को विकसित करने के लिये प्रमोटर को लाईसेंस वर्ष 2008 में जारी किया गया था और 11 साल बीत जाने के बावजूद अभी तक साईट पर कुछ भी नहीं किया गया है। वाणिज्यिक इकाइयों/भूखंडो को प्रमोटर द्वारा बडी संख्या में खरीदारों को बेचा गया था और साइट पर वास्तव मे कुछ भी नहीं हुआ। खरीददार अपने आपको प्रमोटर द्वारा ठगा हुआ महसूस कर रहे थे। प्रमोटर जबरन उन्हें किसी अन्य परियोजना में स्थानांतरित करने की काशिश कर रहा है। जब यह मामला प्राधिकरण के संज्ञान में आया, तो प्राधिकरण ने स्वयं संज्ञान लेते हुए प्रमोटर के खिलाफ कार्यवाही की और जब रिकार्ड की जांच की गई तो पाया गया कि बिल्डर कानून की पूर्ण अवहेलना कर रहे हैं और निर्धारित समय में तथा उसके बाद भी ढाई साल बीत जाने के बाद भी चालू परियोजना को पंजीकृत नहीं करवाया है।

चूक करने वाले बिल्डरों के खिलाफ कार्यवाही की जा रही है और उसी श्रृंखला में इस बिल्डर के खिलाफ जो भू-संपदा एक्ट के प्रावधानों को न मानने का अभ्यस्त है, एक अनुकरणीय दण्ड दिया गया है। डा. के.के. खण्डेलवाल, माननीय अध्यक्ष हरेरा, गुरुग्राम की अध्यक्षता वाली पीठ ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि बिल्डर पर अधिकतम जुर्माना लगाने की जरुरत है। अनुमानित परियोजना लागत लगभग 300.48 करोड़ रुपये है और प्राधिकरण ने परियोजना की लागत का 10 प्रतिशत यानि 30,48 करोड़ रुपये का अधिकतम जुर्माना लगाने का फैसला किया है। प्राधिकरण की इस सख्त कार्यवाही से चूक करने वाले बिल्डरों को सही संकेत मिलेंगे और रियल एस्टेट सैक्टर मे आवंटियों का विश्वास बढ़ाने और लम्बित परियोजनाओं को पूरा करने में बिल्डरों की ओर से असाधारण देरी के कारण रियल एस्टेट सैक्टर मे आवंटियों का विश्वास बढ़ेगा और उनकी आहत भावनाओं, हताशा, निराशा को दूर करने में सहायक होगा। इस तरह के अनुकरणीय दण्ड अन्य बिल्डरों के लिये निवारक के रुप में भी काम करेंगे जो 2016 के अधिनियम और प्राधिकरण द्वारा पारित किये गये निर्देशों के अनुसार पालना नहीं करते हैं। रैरा अधिनियम को अचल सम्पति के क्षेत्र के विनियमन और संवर्धन के लिये और कुशल एवं पारदर्शी तरीके से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिये भूखण्ड, अपार्टमेंट या भवन या अचल सम्पति परियोजना की बिक्री सुनिश्चित करने के लिये लागू किया गया था।

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