– श्रम कल्याण की राशि में 10 लाख जबकि ईडीएलआई में 15 लाख करना जरूरी : कुलदीप जांघू
– कर्मचारियों ने निजी योगदान कर अस्थाई श्रमिक मुन्ना कुमार के परिवार को मरणोपरांत 9 लाख की सहायता राशि दी
गुरुग्राम। सेक्टर 18 स्थित मारुति उद्योग कामगार यूनियन ने मृतक अस्थाई श्रमिक मुन्ना कुमार के परिवार को मरणोपरांत करीब 9 लाख की राशि कर्मचारियों से निजी तौर पर इकट्ठा करके सौंपी है। मारुति उद्योग कामगार यूनियन के प्रधान राजेश कुमार व मुख्य सरंक्षक कुलदीप सिंह ने कहा कि यूनियन व आम श्रमिकों के आव्हान पर सभी कर्मचारियों से उनकी इच्छानुसार परिजनों के लिए सहायता राशि इकट्ठी की गई व पीड़ित परिवार को सौंपी गई ताकि मृतक श्रमिक के परिवार का भरण-पोषण, बच्चों की पढ़ाई हो सके।
उन्होंने बताया कि हर श्रमिक की थोड़ी-थोड़ी भागीदारी से भी एक परिवार को कुछ सहारा दिया जा सकता है।
मारुति उद्योग कामगार यूनियन के महासचिव कुलदीप जांघू सहित यूनियन नेताओं ने सभी श्रमिकों का धन्यवाद करते हुए कहा कि मानवता के आधार पर ये प्रयास हर व्यक्ति को हर क्षेत्र में करना चाहिए। इस सेवा में जो भी प्रयास किये जायें वह कम है। हमारे लिए इससे बड़ा पुण्य का कार्य और कोई नहीं हो सकता है।
कुलदीप जांघू ने कहा कि श्रमिक अपना खून-पसीना बहाकर सरकारी या गैसरकारी संस्थानों में, कारखानों, लघु इकाइयों, स्वयं रोजगार में देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में अपना अपना जीवन लगा देता है। हर क्षेत्र में देश को उन्नत करने में सबसे बड़ा अहम योगदान श्रमिकों, रेहड़ी-पटड़ी वाले, फेरी वाले, ड्राइवर, क्लीनर, दुकानदार, कारीगर आदि का होता है, लेकिन सरकार को इस कमरे वर्ग की बिल्कुल चिंता नहीं है। किसी भी कर्मचारी की मृत्यु की दशा में श्रम कल्याण की तरफ से सिर्फ दो लाख 15 हजार का प्रावधान है। इसके अलावा एम्प्लाइज डिपॉजिट लिंक्ड इंसोरेंस (ईडीएलआई) के माध्यम से करीब 6 लाख का प्रावधान है, जो कि बहुत ही कम है मतलब ऊंट के मुंह में जीरा..।
श्री जांघू ने कहा कि सरकार की ये पॉलिसी करीब दशकों पुरानी है। उन्होंने मांग की कि सरकार इसमें तुरन्त प्रभाव से संशोधन कर श्रम कल्याण की तरफ से वर्तमान राशि में बढ़ोतरी कर 10 लाख करे व ईडीएलआई में वर्तमान प्रावधान में बढ़ोतरी कर 15 लाख करे जिससे मृतक कर्मचारी के परिवार को भरण पोषण में परेशानी ना हो।
इसके साथ कुलदीप जांघू ने सरकार से व्यवस्था में बहु सुधार की मांग करते हुए कहा कि कुछ बड़े उद्योगों ने (सिर्फ नाममात्र) अपने श्रमिकों के लिए मानवता के आधार पर निजी तौर पर मृत्यु अनुकम्पा राशि की भी व्यवस्था करती है। उनका मानना है कि ये अनुकम्पा राशि हर औद्योगिक इकाई पर कानूनन लागू होनी चाहिए।
दूसरीं तरफ ईएसआई की तरफ से भी ना के बराबर सहायता है, जबकि श्रमिक की पूंजी से लाखों करोड़ रुपये हर वर्ष ईएसआई को जाता है। गैर पंजीकृत श्रमिकों जैसे रेहड़ी-पटड़ी वाले, फेरी वाले, ड्राइवर, क्लीनर, दुकानदार, कारीगर आदि पर भी श्रम कल्याण व ईडीएलआई के कानून लागू होने चाहिए। जैसे ही किसी गैर पंजीकृत श्रमिक की मृत्यु होती है तो पोस्टमार्टम करने के बाद उसका डेटा सरकार की साइट पर अपलोड होना चाहिए ताकि ये सुविधाएं सभी को मिल सके।