क्रांतिकारियों का अमर बलिदान देश के लिए प्ररेणा स्त्रोत : रीतिक वधवा

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शहीद राजेन्द्र नाथ लाहड़ी के 92वें बलिदान दिवस पर भाजपा नेता ने दी श्रद्घाजंली

भिवानी । भाजपा नेता रीतिक वधवा ने काकोरी कांड के हीरो व अमर शहीद राजेन्द्र नाथ लाहड़ी के 92वें बलिदान दिवस पर अपने कार्यालय में उनके चित्र पर पुष्पाजंली अर्पित करके इस महान शहीद को अपनी श्रद्घाजंली अर्पित की। डा. योगेश, पंकज शर्मा, पंकज कुमार, नवीन कुमार, हेमंत, धीरज कुमार, जगदीश शर्मा, महाबीर शर्मा, जोगेंद्र, कमल, प्रेम कुमार, रमेश चौधरी, मुकेश कुमार, नरेंद्र, प्रदीप, राजेश, राजन, दीपक कुमार, ने भी अपने श्रद्घासुमन शहीद को अर्पित किए।

इस अवसर पर भाजपा नेता रीतिक वधवा ने कहा कि देश की आजादी के लिए अंग्रेजी साम्राज्य के विरूद्घ सशस्त्र संघर्ष छेडऩे के लिए राजेन्द्र नाथ लाहड़ी ने 9 अगस्त 1925 को अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मल, अशफाक उत्ला व ठाकुर रोशन सिंह व अपने अन्य क्रांतिकारी साथियों के साथ काकोरी में रेल से जा रहे सरकारी खजाने पर कब्जा करके इस धन को अंग्रेजों के खिलाफ लडऩे के लिए हथियार खरीदने की योजना बनाकर अंग्रेजों के विरूद्घ सशस्त्र संघर्ष करने की लड़ाई को तेज किया। काकोरी कांड के इन महान शहीदों ने क्रांतिकारी राजेन्द्र नाथ लाहड़ी के साथ मिलकर अंग्रेजों के विरूद्घ सशस्त्र संघर्ष की योजना बनाई।

रीतिक वधवा ने बताया कि अंग्रेजी हुकूमत ने गोडा जेल में 26 वर्ष की आयु में 17 दिसम्बर 1927 को क्रांतिकारी राजेन्द्र नाथ लाहड़ी को फांसी पर लटका दिया। वहीं 19 दिसम्बर 1927 को अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल को गोरखापुर जेल में व 19 दिसम्बर को ही अमर शहीद अशफाक उल्ला खां को उत्तरप्रदेश की फैजाबाद जेल में फांसी पर लटका दिया गया व इसी दिन ठाकुर रोशन सिंह को भी फांसी दी गई। इन सभी महान क्रांतिकारियों के बलिदान से देश में अंग्रेजों के विरूद्घ सशस्त्र संघर्ष करने के क्रांतिकारी आंदोलन में एक नई प्ररेणा व उत्साह पैदा हुआ, जिसके कारण शहीद चन्द्रशेखर आजाद व सरदार भगत सिंह, राजगुरू व सुखदेव जैसे वीर क्रांतिकारियों ने क्रांति व बलिदान का एक नया इतिहास रचा।

रीतिक वधवा ने कहा कि देश की आजादी के लिए विभिन्न क्रांतिकारियों द्वारा किया गया अमर बलिदान आज भी प्ररेणा का स्त्रोत है व इन अमर शहीदों की शहादत से आज भी हमे शोषण, अन्याय, गैरबराबरी व साम्प्रदायिक उन्माद, जातिवाद, क्षेत्रवाद व आतंकवाद के विरूद्घ लड़ते हुए देश की एकता व अखंडता एवं सामाजिक सदभाव के लिए अपना सबकुछ बलिदान करने की प्ररेणा मिलती है।

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