नई दिल्ली : राज्यसभा के ऐतिहासिक 250वें अधिवेशन के पहले दिन आज सदन में ‘भारतीय शासन प्रणाली में राज्यसभा की भूमिका एवं भविष्य के मार्ग’ विषय पर चर्चा की गई। चर्चा के लिये संदर्भ निर्धारित करते हुए, सभापति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि पिछले 67 वर्षों की अपनी यात्रा के दौरान देश के सामाजिक-आर्थिक सुधार में उच्च सदन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, किन्तु ‘सब कुछ अच्छा नहीं है’।
श्री नायडू ने देश में कार्य प्रणाली को सुधारने में राज्यसभा की भूमिका के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि यह गरीबी, निरक्षरता, स्वास्थ्य सुविधा में कमी, औद्योगीकरण एवं आर्थिक विकास में कमी, सामाजिक रूढ़िवाद, बुनियादी सुविधाओं की कमी, बेरोजगारी आदि से प्रभावित स्वतंत्रता से लेकर आर्थिक विकास के एक अग्रणी इंजन तथा लोगों के जीवन की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार के अलावा जटिल वैश्विक प्रणाली में एक आवाज के रूप में देश की पहचान कायम होने तक का साक्षी है।
सभापति ने कहा कि सदन की अब तक की यात्रा के बारे में सामूहिक तौर पर चित्रण के साथ ही सदन के 250वें अधिवेशन के ऐतिहासिक अवसर पर खोए अवसरों के बारे में एक नेक चिंतन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यदि हम इसमें विफल साबित हुए तो हमारे सामने खुद को असंबद्ध साबित करने का जोखिम होगा।
श्री नायडू ने सदन की कार्य प्रणाली को बेहतर बनाने के उद्देश्य से सदन के सदस्य के लिए विचारार्थ 10 सुझाव दिये।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक रूप से महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए विधानों की प्रकृति एवं संख्या तथा उपलब्ध समय को ध्यान में रखते हुए, एक वर्ष में लगभग 60-70 दिनों तक सदन की बैठक में पर्याप्त संख्या में उपस्थिति सुनिश्चित हो। सदन के क्रियाकलाप की मौजूदा नियमावली एवं आवश्यकतानुसार बदलाव का अनुसरण हो। विधायी प्रस्तावों और जन सरोकार के मुद्दे को उठाने के बारे में सदस्यों के विचारों को प्रस्तुत करने में उनके लिए उपलब्ध अनेक मौजूदा प्रावधानों का अनुसरण एवं प्रभावोत्पादकता सुनिश्चित हो।
उन्होंने सलाह दी कि सदन में मौजूदा प्रक्रियाओं का पर्याप्त अनुसरण सुनिश्चित हो। चर्चाओं में सदस्यों की समानता आधारित एवं व्यापक भागीदारी कायम करने के लिए मानदंडों का अनुसरण सुनिश्चित हो।यह सुनिश्चित हो कि सदन में ऐसे लोगों को भेजा जाए जिनकी सही पृष्ठभूमि हो और वे सदन में चर्चा को जीवंत बना सकें। सदन के सुचारू क्रियाकलाप के लिए प्रक्रिया संबंधी नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के क्रम में सदस्यों को आत्मानुशासित होना चाहिए।
उनका कहना था कि सदन की चर्चा में सार्थक योगदान में सक्षम सदस्यों के लिए बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित हो। सभी प्रक्रियाओं और विभाग संबंधी स्थाई समितियों एवं अन्य समितियों की बैठकों के दौरान सदन में सदस्यों की पर्याप्त उपस्थिति सुनिश्चित हो।
सदस्यों के क्रियाकलाप में सुधार लाने और सदन की प्रक्रियाओं को जीवंत बनाने के लिए नई प्रौद्योगिकी अपनाई जाए। श्री नायडू ने राज्यसभा के लिए सही गुणवत्ता और क्षमता वाले सदस्यों को भेजने एवं नामांकित करने का भी आह्वान किया।
सभापति ने कहा कि 13 मई, 1952 को पहली बैठक से लेकर सदन ने पिछले 249वें अधिवेशन तक 5466 बैठकें कीं और 3917 विधेयक पारित किये।
श्री नायडू ने सभी 2282 लोगों की सराहना की, जो अब तक राज्यसभा के सदस्य, पीठासीन अधिकारी, पैनल चेयरपर्सन, मंत्री, सदन और विपक्ष के नेता हुए। उन्होंने राज्यसभा की 67 वर्ष की भूमिका में अपनी भागीदारी एवं योगदान के साक्षी रहे सभी अन्य सदस्यों की भी सराहना की।