हौंडा प्रबन्धन के अड़ियल रवैये से नौवें दिन भी जारी रहा धरना, समर्थन में पहुंची दर्जनों यूनियन

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गुरुग्राम। हौंडा श्रमिकों का आज नौवें दिन भी धरना जारी रहा। प्रबंधकों की गैरकानूनी छंटनी को लेकर स्थाई श्रमिक धरने पर बैठ गए थे. श्रम विभाग लगातार समझौता वार्ता कर रहे हैं लेकिन अभी तक प्रबंधकों के अडियल रवैए के कारण कोई समझौता नहीं हो पाया है. धरना की अवधि बढती जा रही है।

उल्लेखनीय है कि हौंडा प्रबंधन द्वारा करीब 600 अस्थाई श्रमिकों को निकाले जाने के विरोध में करीब ढाई हजार अस्थाई श्रमिक सहित सभी स्थाई श्रमिक धरने पर बैठे हैं। श्रमिकों की मांग है कि मंदी की आड़ में अस्थाई श्रमिकों को नहीं निकाला जाए. साथ ही सभी अस्थायी श्रमिकों को स्थायी किया जाए तथा इससे पहले जिनको छुट्टी पर भेजा गया है उन्हें उनकी सेवा के हर वर्ष एक लाख रुपये के हिसाब से टोटल सेवा के वर्षों के हिसाब से मुआबजे के रूप में दिया जाए।

आज बुधवार शाम को मारुति सुजुकी मजदूर संघ के अध्यक्ष कुलदीप जांघू, एटक के राज्य उप-महासचिव अनिल पवार मुंजाल, एटक गुरुग्राम से व हेमा इंजीनियरिंग से रामनिवास यादव, प्रधान नरेश कुमार, सन्धार से गौतम, जय सिंह, आदि यूनियन के नेतागण धरना स्थल पर पहुंचे . श्रमिक नेताओं ने धरना दे रहे श्रमिकों की मांग का समर्थन किया.  संस्थान के अंदर सभी श्रमिक कई दिन से भूखे प्यासे हैं.

श्रमिक नेताओं की शिकायत है कि धरना पर बैठे हौंडा श्रमिकों को प्रबंधकों द्वारा प्रॉपर व्यवस्था में खाना नहीं दिया जा रहा . दूसरी तरफ  खुले आसमान के नीचे बैठने के कारण उनकी तबियत भी बिगडती जा रही है। उन्होंने बताया कि स्वास्थ्य बिगड़ने के कारण कुछ श्रमिक ई एस आई  हॉस्पिटल में एडमिट कराये गए हैं. कुछ को डेंगू हो गया, जिनमें से एक साथी पारस हॉस्पिटल में एडमिट है. उनका मानसिक संतुलन भी खराब होता जा रहा है। हौंडा यूनियन प्रयास कर रही है कि जल्दी-जल्दी प्रबंधन से समझौता हो जाए और संस्थान में व औद्योगिक क्षेत्र में शांति स्थापित हो सके ।

श्रमिक नेताओं का कहना था कि श्रमिकों के साथ बुरा नहीं होने दिया जाएगा। वे उन्हें यथासंभव सहयोग करेंगे। समाचार लिखे जाने तक श्रम विभाग के अधिकारियों की मध्यस्थता में प्रबंधन व श्रमिकों के बीच वार्ता जारी थी। होण्डा मोटर्स श्रमिक यूनियन के प्रधान सुरेश गौड़ का कहना है कि यूनियन दोनों पक्षों में समझौता कराने के लिए प्रयासरत है, ताकि औद्योगिक क्षेत्रों में श्रमिक शांति बनी रहे।

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