नई दिल्ली। नेशनल मेडिकल काउंसिल बिल को लोकसभा के बाद राज्यसभा ने भी पारित कर दिया है। इस बिल के विरोध में देशभर के डॉक्टर हड़ताल पर हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को बिल के कुछ प्रावधानों पर ऐतराज है। एसोसिएशन का कहना है कि इस बिल के जरिए सरकार उन छात्रों को डॉक्टर बनाने से रोक देगी जो शैक्षणिक स्तर पर बेहतर हैं। लेकिन आर्थिक वजहों से वो पढ़ाई नहीं कर सकेंगे।
आईएमए को बुनियादी तौर पर दो बिंदुओं पर ऐतराज है। सरकार ने प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस सीटों में 50 फीसद सीटों पर मैनेजमेंट को फैसला लेने का अधिकार दिया है। दूसरी व्यवस्था ये है कि एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने वालों को प्रैक्टिस करने के लिए एग्जिट टेस्ट पास करना होगा। अब तक यह व्यवस्था उन छात्रों के लिए थी जो विदेशों से एमबीबीएस की डिग्री हासिल कर भारत में प्रैक्टिस करना चाहते थे।
नेशनल मेडिकल काउंसिल बिल पर ऐतराज जताते हुए देश भर के डॉक्टरों ने प्रदर्शन किया। मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्रों का कहना है कि वो लोग पहले ही मेडिकल की प्रवेश परीक्षा पास कर दाखिला लेते हैं और उसके बाद कठिन प्रशिक्षण के दौर से गुजरना होता है तब जाकर कहीं डिग्री अवॉर्ड की जाती है। ऐसे में एग्जिट परीक्षा का कोई औचित्य नहीं है। सरकार मनमाने तरह से फैसला कर रही है। जिसके खिलाफ विरोध करना ही मात्र एक विकल्प रह गया है।
एनएमसी बिल 2019 ने 1956 में बनाए गए मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को समाप्त करने का प्रावधान है। दरअसल मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया में वर्ष 2010 में भ्रष्टाचार के मामले सामने आए थे। एमसीआई के अध्यक्ष रहे केतन देसाई के खिलाफ सीबीआई ने केस भी दर्ज किया था। इस बिल में नेशनल मेडिकल कमीशन बनाए जाने का प्रावधान है।