नयी दिल्ली। लोकसभा में पीठासीन सभापति के रूप में आसीन रमा देवी पर पिछले बृहस्पतिवार को की गयी विवादास्पद टिप्पणी के मामले में समाजवादी पार्टी सांसद आजम खान ने सोमवार को माफी मांग ली ।
सुबह सदन की कार्यवाही शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आजम खान का नाम पुकारा।
इसके बाद सपा सांसद ने कहा कि आसन के प्रति न मेरी कोई गलत भावना थी और न कभी रही है।
उन्होंने कहा कि वह दो बार संसदीय कार्य मंत्री रहे हैं, चार बार मंत्री रहे हैं, नौ बार विधायक रहे हैं और राज्यसभा में भी रह चुके हैं। ‘‘मेरे भाषण, मेरे आचरण को पूरा सदन जनता है। इसके बावजूद भी आसन को लगता है कि मुझसे भावना में कोई गलती हुई तो इसके लिये क्षमा चाहता हूं । ’’ हालांकि, राम देवी और कुछ सदस्यों ने आजम की बात ठीक से नहीं सुने जाने की बात कही । इस पर अध्यक्ष ने उनसे एक बार फिर से बोलने को कहा। इसके बाद आजम खान ने फिर कहा, ‘‘ बात को एक बार कहें या एक हजार बार कहें.. बात वही रहेगी । आसन के लिये मेरी कोई गलत भावना हो, ऐसा संभव ही नहीं है, फिर भी आसन को लगता है कि मुझसे कोई गलती हुई है तो मैं क्षमा मांगता हूं ।’’ इस बीच भाजपा सदस्य रमा देवी ने कहा कि आजम खान की यह आदत रही है, बाहर भी वह ऐसे ही बोलते रहे हैं । ‘‘ मैं वरिष्ठ सांसद हूं, अध्यक्ष जी जो आदेश देंगे, उसका पालन करूंगी । ’’ इस दौरान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उन्नाव मामले की उठाने का प्रयास किया, लेकिन अध्यक्ष ने इसकी अनुमति नहीं दी। खान के क्षमा मांगने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि यह सदन सबका है। यह आसन भी सबका है। इसकी प्रतिष्ठा बनाए रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। हमें सदन में ऐसी कोई बात या आचरण नहीं करना चाहिए जिससे सदन की मर्यादा और हमारी छवि को धक्का लगे।
गौरतलब है कि लोकसभा में भाजपा, कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राकांपा सहित सभी दलों ने पिछले गुरूवार को पीठासीन सभापति रमा देवी के बारे में सपा सांसद आजम खान की टिप्पणी की शुक्रवार को पार्टी लाइन से हटकर कड़ी भर्त्सना करते हुए इसे ‘कुटिल, दुर्भावनापूर्ण, अपमानजनक’ बताया था तथा स्पीकर से इस मामले में ‘कठोरतम’ कार्रवाई करने की मांग की थी ।
इस मामले पर शून्यकाल में निचले सदन में विभिन्न दलों की महिला सांसदों समेत कई दलों के नेताओं ने करीब एक घंटे तक सपा सदस्य की टिप्पणी पर अपना कड़ा विरोध जताया था । महिला सांसदों ने स्पीकर से ऐसी कार्रवाई करने की मांग की थी जो ‘नजीर’ बन सके ।