राहुल गांधी के भाषण के दौरान ही लोग कांग्रेस की चुनावी जनसभा से खिसकने लगे थे , मेवात ने बचाई कैप्टन अजय की प्रतिष्ठा !

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सुभाष चौधरी

गुरुग्राम। गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी कैप्टन अजय यादव के लिए चुनाव प्रचार करने पहुंचे कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की जनसभा से कई सवाल सामने आकर खड़े हो गए। देश की सबसे पुरानी पार्टी और सबसे अधिक दिनों तक सत्ता में रही इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अब भीड़ को आकर्षित वाले नेता नहीं रहे। उनके भाषण में धार नहीं दिखा जबकि भाषण में उद्धृत किए गए तथ्यों के बीच तारतम्य का भी अभाव दिखा। शायद यही कारण था कि राहुल गांधी के भाषण के दौरान ही उनको सुनने पहुंची हजारों की भीड़ धीरे धीरे मैदान से बाहर निकलने लगी थी। कांग्रेस अध्यक्ष के भाषण के दौरान महिलाओं व फ्रंट के एक ब्लॉक को छोड़ कर सभी ब्लॉक आधे खाली हो चुके थे। दूसरी तरफ इस इस जनसभा में कैप्टन अजय यादव की प्रतिष्ठा मेवात की जनता ने ही बड़ी संख्या में शामिल होकर बचाई क्योंकि गुरुग्राम की जनता का शेयर न्यूनतम दिखा।

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शनिवार को गुरुग्राम के सेक्टर 5 स्थित हुडा ग्राउंड में आयोजित गुरुग्राम लोकसभा क्षेत्र के कांग्रेस प्रत्याशी कैप्टन अजय यादव की चुनावी जनसभा भीड़ की लिहाज से तो सफल रही लेकिन इस जनसभा के मुख्य अतिथि व मुख्य वक्ता राहुल गांधी का असर लोगों पर होता कम दिखा। जनसभा का समय 4:00 बजे का निर्धारित था कांग्रेस प्रत्याशी के समर्थक या फिर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को देखने और सुनने वाले लोग दोपहर 1:00 बजे से ही मैदान में पहुंचने लगे थे। पुलिस की सुरक्षा व्यवस्था के कारण बाहर से आने वाली गाड़ियां मैदान से काफी दूर सेक्टर 5 स्थित एक अन्य ग्राउंड में निर्धारित पार्किंग स्थल में खड़ी थी । इसके कारण लोगों को वहां से पैदल लगभग 5 मिनट चलकर जनसभा स्थल पर जाना पड़ रहा था। हालांकि इसमें लोगों को कोई परेशानी नहीं थी लेकिन इस सभा में पहुंचने वाले लोग परेशान तब होने लगे जब घड़ी की सुईयां 5, 5:30 फिर 6 फिर 6:30 बजाने लगी थी। गर्मी व तेज धूप के कारण लोग उबने लगे थे। अधिकतर लोग जनसभा स्थल से बाहर सड़कों और गलियों में पानी की बोतलें , शीतल पेय पदार्थ या फिर पैकेज्ड फूड का स्वाद लेते दिखे।

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प्रतीक्षा की घड़ी इतनी लंबी होती जा रही थी कि लोग आपस में चर्चा कर रहे थे कि 4:00 बजे का समय दिया और अब तक राहुल गांधी नहीं पहुंचे हैं। इस बीच लगभग डेढ़ घंटे बाद पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस मामले के प्रभारी गुलाम नबी आजाद पहुंचे। उसके बाद सभा में थोड़ी गर्मी आई । लोगों का आकर्षण मंच की ओर बढ़ने लगा । तब तक मंच के सामने वाला ब्लॉक जो पहले मीडिया के लिए निर्धारित किया गया था कुछ मीडिया कर्मियों के अलावा सारी कुर्सियां खाली पड़ी थी। यही नहीं इस ब्लॉक के बाएं तरफ वाले दो और ब्लॉक वीवीआइपी ब्लॉक बनाए गए थे उनमें भी लंबे समय तक कुर्सियां अधिकतर पार्टी के नेताओं के इंतजार में थी। हालांकि वीआईपी , वीआईपी ब्लॉक में कार्यकर्ताओं और सुरक्षाकर्मियों के बीच तकरार लंबे समय तक चलती रही। क्योंकि कई स्थानीय नेताओं को उस ब्लाक में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा था। कुछ नाराज भी दिखे तो कुछ ने कोशिश करने से तौबा कर लिया। इस कारण बाएं तरफ के वीवीआईपी के दोनों ही ब्लॉक लंबे समय तक खाली पड़े रहे ।

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यह स्थिति देखकर कांग्रेस पार्टी के महासचिव गुलाम नबी आजाद ने मंच पर मौजूद कांग्रेस प्रत्याशी कैप्टन अजय सिंह यादव से गुफ्तगू कर संभवत उन्हें यह सुझाव दिया कि मंच के सामने के ब्लॉक पूरी तरह खाली दिख रहे हैं। इससे ठीक संकेत नहीं जाएंगे क्योंकि सभी मीडिया कर्मी अपने कैमरे लेकर वही जमे हुए थे। ऐसे में जब भी सामने से फोटो ली जाती तो यह ब्लॉक खाली दिखते जिसकी कहानी अलग बन जाती । इसलिए इस स्थिति से बचने के लिए श्री आजाद ने कैप्टन अजय को सुझाव दिया कि वे पीछे के लोगों को आगे वाले ब्लॉक में आने का आमंत्रण दे। समझा जाता है कि प्राथमिक तौर पर कैप्टन अजय इस बात के लिए तैयार नहीं थे । लेकिन गुलाम नबी आजाद द्वारा बारंबार यह कहे जाने के बाद कैप्टन अजय ने अंततः माइक में घोषणा कर पीछे के ब्लॉक में बैठे हुए लोगों को आगे खाली ब्लॉक में आने की गुजारिश कर दी। फिर आव देखा न ताव लोगों में अफरा-तफरी मच गई और लोग अचानक ही बल्लियों को फांद कर फ्रंट वाले ब्लॉक में आ धमके। ऐसे में लगभग 1 दर्जन से अधिक प्रिंट इलेक्ट्रॉनिक और न्यूज़ पोर्टल्स के मीडिया कर्मी जो पहले से उस ब्लाक में फ्रंट रो में बैठे हुए थे पूरी तरह उस हुजूम में समा गए। अब उन्हें अपने काम करने में भी दिक्कत आने लगी क्योंकिअनियंत्रित भीड़ ने उनको पूरी तरह डिस्टर्ब कर दिया । हालत यह थी कि वहां मीडिया कर्मियों को उनके काम करने देने में अनुकूल माहौल मुहैया कराने या सहयोग करने के लिए कांग्रेस पार्टी की ओर से कोई भी कार्यकर्ता या फिर कोई सुरक्षाकर्मी वहां मौजूद नहीं था। अंततः मीडिया के लोगों को खुद ही जद्दोजहद कर अपनी जिम्मेदारी निभानी पड़ी। गर्मी से हलकान मीडियाकर्मी पानी के लिए इधर उधर चक्कर काटते रहे।

भाषणों का सिलसिला शुरू हुआ। शुरू में कांग्रेस प्रत्याशी कैप्टन अजय सिंह यादव स्वयं ही मंच संचालन संभाल रहे थे। बाद में यह जिम्मेदारी पूर्व मंत्री आफताब अहमद ने संभाली और फिर राहुल गांधी के आते ही माइक पर कैप्टन अजय यादव के सुपुत्र व युवा कांग्रेस नेता चिरंजीव राव ने संभाल लिया। कैप्टन अजय यादव ने सबसे पहले महेंद्रगढ़ से विधायक रहे पार्टी के नेता व पूर्व चीफ पार्लियामेंट्री सेक्रेट्री राव दान सिंह को अपने विचार रखने के लिए आमंत्रित किया। राव दान सिंह ने जोरदार शब्दों में लोगों से कैप्टन अजय को जिताने की अपील की। मोदी सरकार को जमकर कोसा और राहुल गांधी के नेतृत्व की सराहना की। उन्हें इशारा मिलते ही उन्होंने अपना भाषण समाप्त किया। उसके बाद उसके बाद राधेश्याम शर्मा का नाम आया । उन्होंने भी चंद शब्दों में अपने भाषण की औपचारिकता पूरी की और अपना चेहरा जनसभा में आए लोगों को परिचित कराया जबकि कैप्टन अजय को भारी मतों से जिताने की पुरजोर अपील की। तब तक मंच पर पूर्व मंत्री व कांग्रेस पार्टी के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष रहे राव धर्मपाल भी पहुंच चुके थे उनके बाद गुरुग्राम से विधायक रहे व पूर्व मंत्री धर्मवीर गाबा भी पहुंचे।

कैप्टन अजय यादव ने पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष मेवात के नेता आजाद मोहम्मद का नाम भी भाषण देने के लिए पुकारा । लेकिन वह मंच पर नहीं आए । हालांकि उनका नाम कई बार पुकारा गया लेकिन वह मंच पर नहीं आए।बताया जाता है कि आजाद मोहम्मद नाराज होकर सभा स्थल से बाहर निकल गए थे । उनकी नाराजगी का कारण था कि उन्हें वीवीआईपी ब्लॉक में स्थान नहीं देना और साथ ही उनकी उम्मीद इस बात पर उफान मार रही थी कि उन्हें भी मुख्य मंच पर स्थान दिया जाएगा लेकिन उन्हें न जाने किस कारण बस वीवीआइपी ब्लॉक में भी प्रवेश नहीं दिया गया और उन्हें एक बार तो जनसभा स्थल से नाराज होकर बाहर जाते देखा गया । इस बात की पुष्टि इससे भी हो गई कि वे कई बार पुकारे जाने के बावजूद मुख्य मंच पर नहीं आए और उन्होंने अपना संबोधन भी नहीं दिया। हालांकि वीवीआइपी ब्लॉक में बैठने के लिए मेवात के कई नेता जद्दोजहद करते देखे गए। एक दो बार तो पीसीसी सदस्य हाजी अख्तर जैसे कुछ नेताओं को नाराजगी भी व्यक्त करते देखा गया। कुछ लोग पहली पंक्ति में बैठे थे फिर व्यवस्थापको की ओर से कुछ कहने के बाद नाराज होकर वहां से निकलने की धमकी भी देते देखे गए। कुल मिलाकर कांग्रेस पार्टी के नेताओं को अलग-अलग श्रेणियों में बांटकर बैठाने की व्यवस्था अव्यवस्था की शिकार दिखी। अंतिम समय तक सुरक्षाकर्मी और वीवीआइपी ब्लॉक में बैठे लोगों के बीच तनातनी होती रही।

इसके बाद गुरुग्राम के पूर्व विधायक धर्मवीर गाबा ने अपनी बात रखी। उन्होंने वर्तमान मुख्यमंत्री के साथ हुई कुछ बातचीत का ब्यौरा दिया जिसको लोग कम ही समझ पाए कि आखिर वह कहना क्या चाहते हैं। हालांकि उन्होंने अपने वक्तव्य से यह समझाने की कोशिश की कि उनको भाजपा की ओर से भी ऑफर है लेकिन उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा दिया है। गवाने गाने अपने भाषण में बताया कि उन्हें वर्तमान भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की ओर से मिलने के लिए फोन आया था तो उन्होंने रात में उनसे मिलने से मना कर दिया और उन्होंने कहा कि मैं सुबह मिलूंगा वह दूसरे दिन सुबह उनसे मिलने गए और उन्होंने उनके ऑफर को ठुकरा दिया। उन्होंने यह जताने की कोशिश की कि वह कांग्रेस पार्टी के पक्के सिपाही रहे हैं। हालांकि गुरुग्राम का इतिहास बताता है कि जब कभी धर्मवीर बाबा को कांग्रेस पार्टी की ओर से टिकट देने में आनाकानी की गई तब हमेशा इन्होंने लुका छिपी का खेल खेला और इसी तरह की बयानबाजी देकर कांग्रेस से फिर टिकट लेने में कामयाब होते रहे हैं । संभवतः उसी फार्मूले को हुए एक बार फिर यहां इस जनसभा में दोहराते दिखे।

उसके बाद कांग्रेस पार्टी के युवा नेता और कई बार जिला पार्षद रहे प्रदीप जैलदार की बारी आई । उन्होंने जनसभा में मौजूद लोगों में थोड़ा उत्साह भरने की कोशिश की और यह उम्मीद जताई की कैप्टन अजय यादव की चुनावी गाड़ी बड़ी मजबूती के साथ देश के संसद तक 23 मई के बाद अवश्य पहुंचेगी। पूर्व मंत्री राव धर्मपाल जिनका स्वास्थ्य पूरा कमजोर लगा उन्होंने भी भाषण दिया और कांग्रेस पार्टी के इतिहास को लोगों के सामने रखने की कोशिश की। उन्होंने देश की आजादी की लड़ाई में कांग्रेस पार्टी के नेताओं एवं नेहरू-गांधी परिवार के योगदान को वर्णित किया। साथ ही भाजपा पर सवाल भी खड़ा किया कि उनका देश की आजादी की लड़ाई में क्या योगदान है। पूछा, उनके कौन से नेता जेल गए या फिर किस प्रकार का त्याग किया। हालांकि वह भीड़ में कुछ उथल पुथल देखकर कई बार डिस्टर्ब भी हुए। लेकिन अपना भाषण जारी रखा और कैप्टन अजय सिंह यादव को जिताने की अपील की।

इस बीच हरियाणा की क्षेत्रीयपार्टी इंडियन नेशनल लोकदलसे तौबा कर कांग्रेस पार्टी में नए नवेले आए इलियास मोहम्मद पूर्व मंत्री को भी विचार रखने का मौका दिया गया ।उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत करते ही पार्टी का नाम लेने में बड़ी गलती कर दी ।उन्होंने इंडियन नेशनल कांग्रेस की बजाय इंडियन नेशनल लोकदल का नाम ले लिया और इसे दो बार दोहरा दिया । हालांकि बाद में उन्होंने इस नाम को छोटा कर केवल कांग्रेस पार्टी कहकर संबोधित करना शुरू किया । मंच पर आसीन कांग्रेस पार्टी के महासचिव गुलाम नबी आजाद और पूर्व विधायक राव दान सिंह सहित सभी लोग उनकी इस ब्लंडर पर हंसते दिखे जबकि मंच के सामने मौजूद मेवात की हजारों की भीड़ भी उनकी इस गलती को हंसकर यह कहकर नजर अंदाज करते दिखे कि अब मोहम्मद इलियास बुजुर्ग हो चुके हैं । इनकी जवान लड़खड़ाने लगी है। हालांकि उनकी आवाज में वही पुरानी वाली खनक है। उनकी आवाज इतनी तेज थी और वह माइक के इतने करीब जाकर बोल रहे थे की महासचिव गुलाम नबी आजाद को उनको इशारा कर माइक से थोड़ी दूर होकर बोलने को कहा गया। इलियास ने मेवात की जनता को देख कर अपनी नेतागिरी चमकाने की कोशिश की और अब तक इनेलो की नीतियों को देश व हरियाणा प्रदेश के लिए सबसे बेहतर बताते रहे इस नेता ने कांग्रेस की नीतियों को देश के लिए सर्वोत्तम बताया। अब उन्हें देश के विकास के लिए कांग्रेस की नीतियों पर चलना ही सबसे सटीक उपाय दिखने लगा है और उन्होंने अपने शब्दों में मेवात की जनता को कुछ ऐसा ही समझाने की कोशिश की।

अब बारी आई युवा नेता नसीम अहमद की जो फिरोजपुर झिरका से विधायक बनने का सपना पाले हुए हैं और सक्रिय भी हैं। उन्होंने कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया है इसलिए इस मंच से कैप्टन अजय यादव से नजदीकी स्थापित करने और महासचिव गुलाम नबी आजाद से अपने मजबूत संबंध दिखाने के लिए उन्होंने भी अपने इलाके से कांग्रेस पार्टी को सबसे अधिक मतों से जिताने का दावा कर डाला ।उनका कहना था कि फिरोजपुर झिरका में अब कांग्रेस का पताका समझ लो फहर चुका है। उनकी बातों पर तालियां खूब बजी क्योंकि जनसभा में बहुतायत में मेवात के ही लोग पहुंचे हुए थे।

भाषणों के इस सिलसिले में गुरुग्राम शहर की नुमाइंदगी कुछ कम दिखी। हालांकि राव धर्मपाल और प्रदीप जैलदार को मौका मिला था। अब समय काफी हो चला था और मंच पर पूर्व मंत्री व गुरुग्राम के पूर्व विधायक सुखबीर कटारिया भी मंच पर पहुंच चुके थे और महासचिव गुलाम नबी आजाद से लंबे समय तक गुफ्तगू करते दिखे। अब कैप्टन अजय यादव की नजर उन पर गई और उन्होंने मंच का संचालन कर रहे पूर्व मंत्री आफताब अहमद को इशारा किया और आफताब अहमद ने पूर्व मंत्री सुखबीर कटारिया का नाम भी संबोधन के लिए पुकारा। कटारिया ने अपने भाषण में गुलाम नबी आजाद और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व को सराहा। गुरुग्राम के विकास में भूपेंद्र सिंह हुड्डा पूर्व सीएम के कार्यकाल की भी सराहना की और पिछले 5 वर्षों में उद्योग धंधे बंदी के कगार पर होने के दावे भी किए। हालांकि उनके भाषण में तल्खी नजर नहीं आई ।आवाज में भी वह दम नहीं दिखा जिस प्रकार की उम्मीद उनसे जनसभा में बैठे लोगों को थी। उन्होंने बहुत संक्षिप्त शब्दों में ही अपनी भूमिका अदा कर ली ।

इसके बाद गुरुग्राम से विधानसभा का चुनाव निर्दलीय के रूप में लड़ चुके अब कांग्रेस पार्टी में आ चुके पूर्व नगर निगम पार्षद गजे सिंह कबलाना को भी 2 मिनट का मौका मिल गया । बड़ी हड़बड़ाहट में उन्होंने यह जताने की कोशिश की कि कैप्टन अजय यादव की चुनावी जनसभा उनके ही वार्ड के अधिकार क्षेत्र में आयोजित की गई है। इसलिए उन्होंने मंच पर मौजूद पार्टी के महासचिव गुलाम नबी आजाद सहित सभी नेताओं के सामने यह जताने की कोशिश की कि उनका योगदान कैप्टन अजय को जिताने में अच्छा रहेगा और उन्होंने या दावा भी ठोक दिया कि उनके वार्ड से कांग्रेस पार्टी सबसे अधिक मतों से जीत कर निकलेगी । उनका इशारा स्पष्ट था कि उनके वार्ड में जहां अब उनकी पत्नी पार्षद और उप मेयर अभी हैं के सभी बूथों पर कांग्रेस पार्टी को सर्वाधिक मत मिलेंगे।

भाषण के इस सिलसिले में पूर्व मंत्री आफताब अहमद ने भी अपनी रोटी सेकी और मेवात से उमड़े हुजूम में स्वयं को पार्टी के एक वरिष्ठ नेता और पार्टी में अपनी मजबूत पैठ रखने वाले नेता के रूप में स्थापित करने की कोशिश की। नरेंद्र मोदी सरकार को जमकर कोसा । भाजपा पर फूट डालो शासन करो की नीतियां अपनाने का आरोप लगाया और लोगों से इससे सावधान रहने की अपील की। उन्होंने पिछले 5 सालों में गुरुग्राम और मेवात में काग्रेस के कार्यकाल में शुरू कराई गई योजनाओं को अवरुद्ध करने का आरोप लगाया और रमजान के महीने में भाजपा के खिलाफ शत प्रतिशत वोट करने के लिए निकलने की अपील की।

गुरुग्राम और मेवात के कई उत्साही नेता जो अभी से ही स्वयं को विधायक बने हुए मान बैठे हैं अपने मुट्ठी भर समर्थकों के साथ ढोल नगाड़े बजाते हुए रैली स्थल पर धमकने की कोशिश करते भी दिखे । इनमें से एक गुरुग्राम के कुछ माह पहले से कांग्रेस पार्टी में फुदक रहे युवा नेता मोहित ग्रोवर अपने कुछ समर्थकों के साथ तख्तियां लिए हुए मंच स्थल की ओर बढ़ते दिखे। मोहित ग्रोवर की फोटो बड़ी जबकि लोकसभा के प्रत्याशी कैप्टन अजय सिंह यादव की फोटो छोटी और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की फोटो भी नहीं दिखने की दिखने वाले साइज में थे । उनकी नारेबाजी और उनकी तख्तियों से पीछे बैठे लोगों को परेशानी होने लगी । यह देख कर महासचिव गुलाम नबी आजाद ने कैप्टन अजय सिंह यादव और अन्य नेताओं को इन तख्ती लिए हुए लोगों को पीछे जाने के लिए निर्देश देने को कहना पड़ा । तब युवा नेता प्रदीप जैलदार अपना भाषण दे रहे थे। मोहित ग्रोवर के कुछ समर्थकों को तख्ती लेकर सभा स्थल के सबसे पीछे और बिल्कुल दीवार के साथ लगते हुए कोने में जाने का आदेश दिया गया। हालांकि उन लोगों को थोड़ी निराशा हुई लेकिन बारंबार कहने के बाद अंततः उन सभी को तख्ती लेकर सभा स्थल के अंतिम छोर की ओर जाना पड़ा। मोहित समर्थक लोग पीछे जाने से हिचक रहे थे । इन्हें तो लग रहा था कि इनके नेता सीधे राहुल गांधी के सामने लेकर जाएंगे लेकिन इनकी एक न चली और प्रदीप जैलदार ने एक बार नाम लेकर भी माइक से कहा कि मोहित ग्रोवर की तख्ती लेकर खड़े लोग दीवाल के साथ पीछे जाकर खड़े हो जाए। ऐसे में ग्रोवर के इन उत्साही लोगों की भद पिट गई।

समय काफी हो चला था मंच पर आसीन पार्टी के महासचिव गुलाम नबी आजाद को कई बार अपने मोबाइल फोन पर किन्हीं से संपर्क करते देखा गया। समझा जाता है कि श्री आजाद कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की गुरुग्राम पहुंचने की खोज खबर ले रहे थे और उन्होंने यह संकेत भी दे दिया कि थोड़ी देर में राहुल गांधी जनसभा स्थल पर पहुंचने वाले हैं। क्योंकि कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी कैप्टन अजय सिंह यादव द्वारा गुरुग्राम संसदीय क्षेत्र के लिए अपनी योजनाओं को विस्तार से रखने के बाद गुलाम नबी आजाद को अपने विचार रखने के लिए आमंत्रित किया गया। श्री आजाद ने अब तक के सभी वक्ताओं सी मिली निराशा को समाप्त करते हुए उपस्थित जन समुदाय में उत्साह भरने की कोशिश की। बेहद सधे हुए अंदाज में तल्ख शब्दों के साथ अपने तथ्यात्मक तर्कों के आधार पर भारतीय जनता पार्टी एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की तीव्र आलोचना की।

उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के वायदे पर अमल नहीं होने की बात दोहराई और आजादी की लड़ाई से लेकर अब तक देश के विकास में कांग्रेस पार्टी की योगदान को सिलसिलेवार समझाने की कोशिश की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह ,वित्त मंत्री अरुण जेटली, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह एवं अन्य बड़े नेताओं के भाषणों की ओर ध्यान दिलाया और दावा किया कि अब वह जनता के बीच में चुनाव प्रचार के दौरान किसी भी प्रकार का वायदा करने से बच रहे हैं । क्योंकि पिछले 5 वर्षों में उन्होंने 2014 में किए गए वायदे पर रत्ती भर भी अमल नहीं किया । उन्होंने अपने भाषण के आरंभ में ही बता दिया कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी कुछ ही क्षणों में यहां पहुंचने वाले हैं इसलिए ही उन्हें अपना भाषण उनके आने से पहले ही समाप्त करने का निर्देश दिया गया है।

अब अंधेरा हो चला था। लोग परेशान हो रहे थे क्योंकि भूखे प्यासे दोपहर 1:00 बजे से ही राहुल गांधी के इंतजार में बैठे लोग ऊब गए थे । हालांकि वह घड़ी आई राहुल गांधी मंच पर पहुंचे और हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन किया । साथ ही मंच पर बैठे सभी नेताओं से हाथ मिलाया ।गुरुग्राम के युवा नेताओं की ओर से चिरंजीव यादव ने स्वागत के लिए बनाई गई समिति के सभी नेताओं को आमंत्रित किया और बड़ी माला पहनाकर राहुल गांधी का स्वागत किया गया। इस औपचारिकता के तत्काल बाद राहुल गांधी का संबोधन शुरू हुआ।

उन्होंने अपनी बात न्याय योजना से शुरू की। लोगों को बड़े आसान शब्दों में यह समझाने की कोशिश की कि ₹12000 प्रति माह से कम आय वालों को उनकी सरकार आने के बाद ₹6000 प्रति माह दिए जाएंगे और यह आगे भी जारी रहेंगे । फिर उनका रफेल वाला राग शुरू हुआ। अनिल अंबानी की जेब में लाखों करोड़ रुपए पीएम मोदी द्वारा पहुंचाने की बात की गई। उन्होंने आवेश में आकर यह भी कह डाला की वे जीवन भर अनिल अंबानी के साथ कभी हाथ नहीं मिलाएंगे और न कभी फोटो खिचवाएँगे। फ्रंट ब्लॉक में बैठे मेवात के युवाओं ने कई बार चौकीदार चोर है के नारे लगाकर अपनी और उनका ध्यान खींचने की कोशिश की लेकिन लगभग 7 मिनट के भाषण के बाद फ्रंट के दो ब्लॉक को छोड़ कर पीछे के सभी ब्लॉक से लोग धीरे-धीरे जनसभा स्थल से बाहर निकलने लगे।

राहुल गांधी का भाषण जारी रहा और लोगों का सभा स्थल से भी निकल कर अपने वाहनों की ओर जाने की रफ्तार भी तेज हो गयी। जनसभा स्थल के दोनों तरफ की सड़कों पर लोग चाट पकौड़े, शीतल पेय आदि का स्वाद लेते देखे गए । लोगों का झुंड वहां से राहुल गांधी के भाषण के दौरान अपने वाहनों की ओर रुख करते देखे गए। यहां तक कि लोग सभा स्थल से बाहर रुक कर भी उनके भाषण समाप्त होने का इंतजार नहीं कर रहे थे। उनका गुरुग्राम के उद्योग को दोबारा उठाने के दावे वाले शब्दों को पीछे के ब्लॉक में बैठे लोगों का समर्थन अपेक्षित तौर पर नहीं मिल पा रहा था । यह अलग बात थी कि मंच के सामने वाले ब्लॉक में बैठे मेवात के युवाओं की ओर से उन्हें तालियां छिटपुट ही सही मिल रही थी । लगता है लोगों को उनके भाषण की शैली धारदार नहीं लगी और ना ही उनकी ओर से उठाए गए मुद्दों में लोगों की कोई रुचि दिखी । इक्के दुक्के बार चौकीदार चोर है के नारे लगते रहे।

हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक तंवर और पार्टी के मीडिया सेल के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला भी पहुंच गए थे। तंवर को पहले आने के कारण सबोधित करने का मौका मिला लेकिन सुरजेवाला को देरी से आने के कारण बोलने का मौका नहीं मिला।

सभा स्थल से निकलने वाले लोगों के कारण उत्पन्न व्यवधान से पीछे के ब्लॉक में बैठे लोगों तक भी उनकी अपील ठीक से नहीं पहुंच पा रही थी लिहाज लोग वहां बैठने की औपचारिकता भर निभा रहे थे। हालांकि कुछ लोगों को वहां बैठना इसलिए भी मजबूरी थी क्योंकि वह जिन नेता के साथ आए थे उनकी ओर से उन्हें इशारा मिलने का इंतजार था। बहरहाल जनता मैदान से बाहर जाती रही और राहुल गांधी अपना भाषण देते रहे । इस सिलसिले में उनके उठाए मुद्दों का जनता पर किस प्रकार का असर पड़ा होगा इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।

राहुल गांधी का भाषण समाप्त होते-होते सभा स्थल पर केवल एक चौथाई भीड़ ही रह गई थी। इन हालात में कांग्रेस पार्टी के कोई भी नेता कम से कम राहुल गांधी के भाषण समाप्त होने तक अपने समर्थकों को वहां डटे रहने के लिए न तो अपील करते देखे गए और न हीं किसी की ऐसी मंशा दिखी। सभी औपचारिकताओं में केबल पार्टी के बड़े नेताओं के सामने अपना चेहरा दिखा कर इतिश्री कर लेना चाह रहे थे जिससे कि उन्हें आगे किसी भी प्रकार के संदेहास्पद सवाल का सामना ना करना पड़े। उनकी दावेदारी इस बात को लेकर थी कि उन्होंने भी कैप्टन अजय यादव के चुनाव प्रचार में अपना पूरा योगदान दिया था। अधिकतर कांग्रेसी नेताओं के दिलों दिमाग में बस यही विचार चल रहा था कि अगर जीत गए तो वाहवाही लेंगे और अगर हार गए तो फिर अपना फेस बचाने में कामयाब रहेंगे। वह समय भी आया जब राहुल गांधी ने अपना भाषण समाप्त किया और जनता का लगभग 6 घंटे का इंतजार समाप्त हुआ।

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