नई दिल्ली : आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को सरकारी नौकरियों और शैक्षिक संस्थानों में 10% आरक्षण के मुद्दे पर लोकसभा में करीब पांच घंटे तक जोरदार बहस चली और दो तिहाई बहुमत से इसे पास कर दिया गया। रात्रि लगभग 9 बजकर 50 मिनट तक चली बहस के बाद सदन में 323 सांसदों ने बिल के समर्थन में मतदान किया जबकि 3 वोट विरोध में पड़े।
चर्चा में भाग लेते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संविधान में आरक्षण के विभिन्न प्रावधानों को विस्तार से रखा। उन्होंने संविधान की 14 विन, 15 वी और 16 वी अनुसूची के महत्व को भी रेखांकित किया और संविधान संशोधन विधेयक 2019 की आवश्यकता और विपक्ष खास कर कांग्रेस के सांसदों की कुछ आशंकाओं का भी प्रमुखता से जवाब दिया। उन्होंने कांग्रेस पार्टी की इलेक्शन मेनिफेस्टो को उधृत करते हुए चुनावी वायदे की याद दिलाई। वामपंथी नेताओं पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि दुनिया में यह पहली बार है कि आर्थिक आधार पर गरीबों को कुछ देने की बात हो रही है और वामपंथी लोग विरोध कर रहे हैं।
केंद्रीय सामाजिक कल्याण मंत्री थावरचंद गहलोत ने चर्चा के जवाब में कहा कि इस विषय पर ऐतिहासिक कदम उठाने की जरूरत थी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि एससी-एसटी और ओबीसी आरक्षण के साथ भेदभाव का कोई इरादा नहीं है।
उल्लेखनीय है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने मंगलवार को आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग की जातियों के लोगों को 10% आरक्षण देने के लिए संविधान संशोधन बिल लोकसभा में पेश किया जिसे एक दिन में ही बहस के बाद वोटिंग डिवीज़न के माध्यम से पारित करा दिया गया।
कैबिनेट ने ईसाइयों और मुस्लिमों समेत अनरिजर्वड कटैगरी के लोगों को नौकरियों और शिक्षा में 10% आरक्षण देने का फैसला लिया। इसका फायदा 8 लाख रुपए सालाना आय सीमा और करीब 5 एकड़ से कम भूमि की जोत वाले गरीब सवर्णो को मिलेगा।
इससे पुर्व लोकसभा में महासचिव ने मतदान से पहले मतदान की प्रक्रिया समझाई ।
केंद्रीय मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि इस बिल में ठाकुर, ब्राह्मण, ईसाई, मुस्लिम सभी का ध्यान रखा गया है। उन्होंने जोर दिया कि सामान्य वर्ग को 10 फीसद आरक्षण मिलना ही चाहिए।
उन्होंने कहा कि बिल देर से लाए लेकिन सही नीयत से लाए। सवर्ण आरक्षण पर फैसला जल्दबाजी में नहीं लिया गया। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से किसी तरह की अड़चन न आए इसलिए संविधान संशोधन विधेयक लाया गया है। विपक्षी दलों के पास कोई वजह नहीं है कि वो सरकार की नीयत पर शक करें।
खास बात यह रही कि सवर्ण आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी भी मौजूद रहे।
सवर्ण आरक्षण बिल पर एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ये संविधान का अपमान है। ये बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के साथ धोखा है। तेलंगाना में मुस्लिमों को आरक्षण देने के मुद्दे पर बीजेपी की राय अलग थी। लेकिन अब उनके सुर बदल चुके हैं।
सवर्ण आरक्षण बिल को आईएनएलडी सांसद दुष्यंत चौटाला ने लॉलीपॉप बताया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार महज सियासी लाभ के लिए इस बिल आनन फानन में लाई और इस बिल को पारित कराने की कोशिश कर रही है।
केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बहस में शिरकत करते हुए कहा कि सामान्य वर्ग के गरीब को पहली बार फायदा मिलेगा। उन्होंने कहा कि अंत भला तो सब भला। इसके साथ ही उन्होंने सवाल भी किया कि क्या अगर कोई गरीब शख्स अमीर बनेगा तो आरक्षण हट जाएगा।
सवर्ण आरक्षण बिल पर कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि उनकी पार्टी बिल का समर्थन करती हैं। लेकिन सरकार की नीति और नीयत पर भरोसा नहीं है। सत्र के आखिरी दिन बिल लाए जाने का औचित्य समझ के बाहर है। सच ये है कि सरकार की नीयत पर कांग्रेस को भरोसा नहीं है।
सवर्ण आरक्षण बिल पर आरएलएसपी नेता उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि उनके क्षेत्र के सवर्ण युवक उन्हें आरक्षण वाला मंत्री कहते थे। उन्होंने कहा कि आरक्षण से समृद्धि नहीं आती है। सच बात तो ये है कि आरक्षण उन्हें मिलना चाहिए जो सरकारी स्कूल में पढ़ें हों। बिल में इस प्रावधान को जोड़ा जाना चाहिए।
सवर्ण आरक्षण बिल पर समाजवादी पार्टी ने केंद्र सरकार की नीयत पर सवाल उठाए। एसपी सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा कि सरकार को सभी पदों पर असमानता दूर करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आबादी के हिसाब से समाज के सभी वर्गों को आरक्षण की जरूरत है।
सवर्ण आरक्षण बिल पर लोकसभा में जारी बहस को बीजेपी ने ट्वीट किया है। बीजेपी का कहना है कि आखिर वो कौन लोग हैं जो इस बिल को अगले सेशन तक ले जाना चाहते हैं। बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे पर जानबूझकर अड़ंगा लगा रही है।