चंडीगढ़। हरियाणा रोडवेज की प्रति किलोमीटर की योजना के तहत रोडवेज बेड़े में प्राइवेट बसों के शामिल करने के फैसले पर हरियाणा सरकार के कदम ठिठक गए हैं। इस मामले में सरकार को हाईकोर्ट की कड़ी फटकार लगी है। खबर है कि हाइकोर्ट में दायर याचिका के आलोक में जारी निर्देश के बाद अब रोडवेज विभाग ने 190 निजी बसों के टेंडर वापस ले लिए हैं।
उल्लेखनीय है कि हरियाणा सरकार की तरफ से परिवहन बेडे़ में निजी बसों को किलोमीटर योजना के आधार पर शामिल किया जा रहा है। बताया जाता है कि रोडवेज कर्मियों के प्रबल विरोध व हड़ताल के बावजूद अब तक सरकार ने इसके तहत रोडवेज बेडे में 510 बसों को शामिल भी कर लिया है । इसके बाद 190 बसों को शामिल करने के लिए टेंडर जारी किया था। इसके खिलाफ पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में मनीष कुमार व अन्य ने याचिका दाखिल की थी, जिसके बाद इस योजना में बरती गई खामियों व मनमानी के लिए कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई ।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि सरकार ने इस बार टेंडर प्रक्रिया में मनमाने तरीके से बदलवा कर दिया है। इसमें शामिल होने के लिए धरोहर राशि जमा करवाने के लिए आरटीजीएस या नेफ्ट के बजाय ड्राफ्ट जमा करवाने की शर्त रख दी गयी है। तर्क यह दिया है कि इसके कारण इस टेंडर में काफी लोग शामिल नहीं हो पाएंगे। इससे एक तरफ सभी लोगों को समान अवसर नहीं मिला पायेगा जबकि दूसरी तरफ कम प्रतिस्पर्धियों के आने से राज्य सरकार के खजाने को काफी नुकसान होगा। इस योजना का दृष्टिकोण सही से लागू नहीं हों पायेगा जिससे स्वस्थ प्रतियोगिता भी नहीं हो पाएगी।
याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया है कि सरकार ने पहले भी निजी बसों के लिए टेंडर निकाले थे उसमें इस बार बदलाव कर दिया है। इससे सरकार को वित्तिय नुकसान होगा और कई लोग इस प्रक्रिया से वंचित रह जाएंगे