नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को टेरी के पूर्व प्रमुख पर उनके एक पूर्व सहयोगी द्वारा दर्ज कराए गए कथित यौन उत्पीड़न मामले में आरोप तय कर दिया।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट चारु गुप्ता ने भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (किसी महिला की गरिमा भंग करना), 354 ए (शारीरिक संपर्क बनाना, अवांछनीय और यौन रंजित टिप्पणियां करना) तथा 509 (छेड़छाड़ और अश्लील हरकतें या भाव-भंगिमा प्रदर्शित करना) के तहत दंडनीय अपराधों के लिए पचौरी पर मुकदमा चलाने का आदेश दिया है।
अदालत कक्ष में मौजूद पचौरी के खुद को निर्दोष बताने एवं मुकदमा चलाने के लिए कहने के बाद ये आरोप तय किए गए।
आरोपी की ओर से पेश हुए वकील आशीष दीक्षित ने मामले की तेज सुनवाई की मांग की जिसके बाद अदालत ने मामले में अगली सुनवाई के लिए चार जनवरी,2019 की तारीख तय की।
पचौरी के खिलाफ 13 फरवरी 2015 को एक प्राथमिकी दर्ज की गई और उन्हें इस मामले में 21 मार्च 2015 को अग्रिम जमानत मिल गई।
टेरी के पूर्व प्रमुख ने इससे पहले अतिरिक्त जिला न्यायाधीश से एक अंतरिम आदेश प्राप्त कर लिया था जिसमें मामले की कवरेज को प्रकाशित एवं प्रसारित करना मीडिया के लिए अनिवार्य कर दिया गया । इसके साथ एक शीर्षक लगाने को कहा गया था कि किसी भी अदालत में आरोप साबित नहीं हुए हैं और वे सही नहीं भी हो सकते हैं।
इस आदेश में यह भी कहा गया, “जब भी इस तरह की सूचना किसी भी पत्रिका या खबर में प्रकाशित हो तो पृष्ठ के बीच में मोटे अक्षरों में यह लिखा होना चाहिए तथा प्रकाशित लेख के फॉन्ट से पांच गुणा ज्यादा बड़े फॉन्ट में लिखा होना चाहिए।’’
दिल्ली पुलिस द्वारा एक मार्च 2016 को दाखिल 1400 पन्नों के आरोप-पत्र में कहा गया कि पचौरी के खिलाफ “पर्याप्त साक्ष्य” हैं कि उन्होंने शिकायतकर्ता का पीछा किया, डराया-धमकाया एवं यौन उत्पीड़न किया।
अंतिम रिपोर्ट में कहा गया कि फोन, कंप्यूटर हार्ड डिस्क एवं अन्य उपकरणों से पुन: हासिल किए गए वाट्सएप चैट, संदेश “जाली नहीं” हैं।