अनुभवजन्य शिक्षा – गांधी जी की ‘नई तालीम’ – का पाठ्यक्रम जारी

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मानव संसाधन विकास मंत्री ने प्रकाश जावरेकड ने जारी किया

नई दिल्ली। मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने आज यहां अनुभवजन्य शिक्षा – गांधी जी की ‘नई तालीम’ – का पाठ्यक्रम जारी किया। इस पाठ्यक्रम को एक साथ 13 भाषाओं में जारी किया गया, जिनमें असमी, तमिल, बांग्ला, उड़िया, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, मराठी, तेलगू, गुजराती, उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी शामिल हैं। इसके लिए देश के विश्वविद्यालयों सहित राज्य शिक्षण अनुसंधान एवं परिषदों के साथ परामर्श किया गया था।

इस अवसर पर मंत्री महोदय ने कहा कि हम अनुभवजन्य शिक्षा को शिक्षा के सभी स्तरों तक पहुंचाना चाहते हैं और इसमें राज्यों तथा समस्त हितधारकों को सम्मिलित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गांधी जी की नई तालीम या बुनियादी शिक्षा वास्तव में शरीर, मन और आत्मा के विकास का माध्यम है। गांधी जी ने कहा था, ‘शिक्षा से मेरा तात्पर्य बालक और व्यक्ति के शरीर, मन और आत्मा से सर्वोत्तम क्षमता विकसित करना है।’

श्री जावड़ेकर ने अनुभवजन्य शिक्षा के पाठ्यक्रम को आकार देने में सभी हितधारकों को शामिल करने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय शिक्षा परिषद को बधाई दी। अनुभवजन्य शिक्षा गांधी जी की ‘नई तालीम’ पर आधारित है।

महात्मा गांधी की आगामी 150वें जयंती समारोहों के अवसर पर देशभर में नई तालीम और अनुभवजन्य शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए शिक्षा संस्थानों में आंदोलन की शुरूआत की जा रही है।

शिक्षक दिवस के मद्देनजर आज ‘एक्सपीरियंशल लर्निंग-गांधी जी नई तालीम’ को जारी किया गया। आशा की जाती है कि इस पुस्तक से देश के विभिन्न शिक्षा संस्थानों में पढ़ने वाले 25 करोड़ छात्रों को प्रेरणा मिलेगी। इसके अलावा 80 लाख प्राथमिक स्कूल शिक्षक और 20 लाख माध्यमिक स्कूल शिक्षक भी इसके दायरे में आएंगे। ये सभी देशभर के 17.5 लाख प्राथमिक स्कूलों और 2.5 लाख माध्यमिक स्कूलों से संबंधित हैं। मंत्री महोदय ने कहा कि हम चाहते हैं कि इस पुस्तक को देश के 29 राज्यों और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में 5 सितंबर, 2018 को एक साथ जारी किया जाये।

इस पुस्तक में गांधी जी की नई तालीम के बुनियादी सिद्धांत प्रस्तुत किये गये हैं जिसके साथ स्कूलों, डी-एड, बी-एड और अध्यापकों के विकास कार्यक्रमों से संबंधित पाठ्यक्रम भी दिया गया है।

पुस्तक और इस परियोजना के लिए राज्यों के विश्व विद्यालयों, राज्य शिक्षण अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषदों और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा परिषद ने संयुक्त प्रयास किया है। उल्लेखनीय है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण शिक्षा परिषद, मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग का अंग है, जो पाठ्यक्रम के विकास, शिक्षकों के प्रशिक्षण तथा विश्वविद्यालयों और देश की स्वायत्तशासी संस्थाओं के उच्च शिक्षा कार्यक्रमों का दायित्व निभाता है।

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