इस अवसर पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह जब भी यहां आते हैं, काठमांडू के लोगों के प्रेम एवं स्नेह को महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत के प्रति अपनापन की यह भावना नेपाल में स्पष्ट है। उन्होंने पशुपतिनाथ एवं नेपाल में अन्य मंदिरों की अपनी पूर्व की यात्राओं का स्मरण किया।
उन्होंने कहा कि भारत और नेपाल के बीच आध्यात्मिक संबंध समय और दूरी से आगे निकल चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में वह इस धर्मशाला का उद्घाटन कर के प्रसन्न हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पशुपतिनाथ, मुक्तिनाथ एवं जानकी धाम के मंदिर भारत के साथ संबंधों को सुदृढ़ करने के अतिरिक्त विविधता में एकता को प्रदर्शित करते हैं। उन्होंने हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म की समृद्ध परंपराओं की चर्चा की। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि किस प्रकार बौद्ध धर्म भारत और नेपाल के बीच एक महत्वपूर्ण संपर्क है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को अपनी गौरवशाली विरासत के प्रति गर्व है।
प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से समाज के निर्बल एवं सीमांत वर्गों के लोगों के लिए विकास की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत आर्थिक विकास में नई ऊँचाईयां छू रहा है और ‘सबका साथ सबका विकास’ के विजन में नेपाल के लोग भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि भारत नेपाल में राजनीतिक स्थिरता को देख कर प्रसन्न है उन्होंने कहा कि नेपाल को हमेशा भारत की सद्भावन और सहयोग का लाभ मिलेगा।