वलसाड। पीएम मोदी ने वलसाड में जनता का अभिवादन स्वीकार करते हुए उन्हें गुजराती भाषा में, गुजराती तरीके से नमस्कार किया. उन्होंने कहा कि मैं आज सालों बाद यहां आया हूं और ऐसा लग रहा है कि कल ही की तो बात है. आज तकनीक की मदद से पूरे गुजरात की यात्रा यहीं मंच पर बैठे—बैठे कर ली. मैं रक्षाबंधन के पहले बहनों को उनके घर में प्रवेश करते देखा, उनके चेहरे की खुशी देखी. उनसे बात करने का मौका मिला. उनसे बात करने से मुझे आत्मविश्वास मिला. मकान चार दिवारों से बना हुआ नहीं है, मकान बनता है सपनों से वहां के रहने वालों से. आज मुझे कई और परियोजनाओं के शुभारंभ का मौका मिला है. पांच लोकापर्ण, 6 शिलान्यास. यानि 500 करोड रुपए की अलग अलग योजनाएं आज से शुरू हो रही हैं. देश बदल रहा है यह उसका जीता जागता उदाहरण है.
पीएम ने कहा कि आदिवासी इलाके में योजना की शुरूआत का मौका मिला है. जब मैं मुख्यमंत्री था तब 10 ऐसी ही योजनाएं अपने राज्य में शुरू की थी. मुझे गिरनार जंगल की याद आ रही थी. एक मतदाता के लिए एक पोलिंग बूथ बनाया गया था. इसकी चर्चा पूरी दुनिया में हुई थी. आज उसी आदिवासी गांव के अंदर एक छोटे से गांव में पीने का पानी पहुंचाने के लिए परियोजना का शुभारंभ किया. पानी जमीन से 200 मंजिला मकान की उंचाई के बराबर ले जाया जा रहा है. यह हमारा मकसद है, जुनून है देश की जनता के प्रति. आज यहां मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का लोकापर्ण हो रहा है. जूनागढ जीवन में यह अस्पताल एक केन्द्र बिंदु बनेगा. गुजरात के हर जिले में मेडिकल कॉलेज हो यह मेरा सपना था, जिसे आज पूरा होते देख रहा हूं. पिछले सालों में 8 मेडिकल कॉलेज बने हैं. गुजरात में डॉक्टरों के लिए अवसर पैदा किए जा रहे हैं. स्वस्थ गुजरात का यह सपना सच होने जा रहा है. इसका श्रेय भारत सरकार को जाता है.
उन्होंने कहा कि केवल मेरे सोचने से कुछ नहीं होता आप लोगों का विश्वास और सरकार का साथ ही मुझे यह सब कर पाने के लिए प्रेरित करती है.
आयुष्मान योजना का शुभारंभ भी जल्दी होने वाला है. हर घर में एक न एक ऐसा व्यक्ति होता है जो बीमार बना रहता है और उस एक व्यकित के कारण पूरा परिवार आर्थिक संकट से जूझता है. औषधि केन्द्र के जरिए जो दवा 500 रुपए की थी वह पांच रूपए में मिल रही है. यानि परिवार के लिए बीमार व्यक्ति कोई बोझ नहीं है. बल्कि सरकार इस मुश्किल समय में उनके साथ है. लोग तो पहले भी बीमार होते थे, दवा की जरूरत तो पहले भी होती थी पर सरकार को चिंता नहीं थी. आज देशभर में हर ब्लॉक में जन औषधि केन्द्र खोले जा रहे हैं. जिन लोगों को दवा के बारे में पता चल रहा है वे निजी दुकानों को छोडकर वहां पहुंच रहे हैं. डब्लूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार 3 लाख बच्चों की मौत होने से बच गई, वह भी केवल स्वच्छता अभियान के कारण. जब में स्वच्छता की बात करता था तो लोग मेरा मजाक बनाते थे. कहते थे कि प्रधानमंत्री होकर शौचालय और झाडू लगाने की बात करते हैं पर इस रिपोर्ट ने सबकी बोलती बंद कर दी है. गांधी जयंती तक मैं स्वच्छ भारत के सपने को सच करके दिखाउंगा.
भारत के अंदर स्वच्छ रहने के साधानों का निर्माण किया जा रहा है. विदेशों में तो यह गति पहले ही तेज थी. वे तकनीक की मदद ले रहे थे पर हमने गरीबों से मदद मांगी, देश की आम जनता से मांगी और उन्होंने हमारा साथ दिया. देश साफ हो रहा है, कोना कोना चमक रहा है यह मेरी नहीं आपकी जीत है. 15 अगस्त से आयुष्मान योजनाआ का ट्रायल चालू हो चुका है. 25 सितंबर को यह योजना पूरे देश में लागू हो जाएगी. अब हर परिवार को बीमारी से डरने की जरूरत नहीं होगी. सरकार उन्हें 5 लाख रुपए तक की आर्थिक सहायता देगी. इस काम को सही दिशा देने में वूमेन हेल्प सेंटर काम कर रहे हैं. डेढ लाख सेंटर्स पर काम चल रहा है. भारत के 6 लाख बच्चों के लिए डेढ लाख सेंटर बन रहे हैं. यानि हर 10 किमी पर एक सेंटर होगा. परिवार के लोगों को अपने सदस्यों को तकलीफ में नहीं देखना होगा. अपनी जमीन नहीं बेचनी होगी. पिता बेटे से यह नहीं कहेगा कि मेरा वक्त आ गया है, पैसे बर्बाद न कर. अब बेटे और बेटी अपने पिता को जीवन दे सकते हैं. हालात बदल रहे हैं, भारत बदल रहा है.