मुम्बई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मुम्बई में एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक की तीसरी वार्षिक बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘एक ‘नया भारत’ उभर रहा है। यह एक ऐसा भारत है जो सभी के लिए आर्थिक अवसर, ज्ञान अर्थव्यवस्था, समग्र विकास और अत्याधुनिक, सुदृढ़ एवं डिजिटल बुनियादी ढांचे के स्तम्भों पर टिका हुआ है’’
‘सरकार ने निवेश बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं, हमने कारोबारियों के लिए नियमों को सरल बना दिया है और साहसिक सुधारों को लागू किया है’ ‘हमने निवेशक को ऐसा माहौल प्रदान किया है जो प्रभावशाली, पारदर्शी, विश्वसनीय और अपेक्षित है, भारत दुनिया की सर्वाधिक निवेशक अनुकूल अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, निवेशक विकास एवं वृहद आर्थिक स्थिरता की उम्मीद कर रहे हैं’ ‘भारतीय अर्थव्यवस्था में वैश्विक विश्वास बढ़ता जा रहा है, विदेशी निवेशकों के दृष्टिकोण से भारत को अत्यंत कम जोखिम वाली राजनीतिक अर्थव्यवस्था माना जाता है’ ‘कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा है, हम गोदामों एवं शीत भंडारण श्रृंखला, खाद्य प्रसंस्करण, फसल बीमा और संबद्ध गतिविधियों में निवेश को बढ़ावा दे रहे हैं’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘एक ‘नया भारत’ उभर रहा है। यह एक ऐसा भारत है जो सभी के लिए आर्थिक अवसर, ज्ञान अर्थव्यवस्था, समग्र विकास और अत्याधुनिक, सुदृढ़ एवं डिजिटल बुनियादी ढांचे के स्तम्भों पर टिका हुआ है।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक और इसके सदस्यों के साथ अपनी सहभागिता बढ़ाने का यह अवसर पाकर हमें काफी खुशी हो रही है। एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) ने जनवरी 2016 में वित्त पोषण से संबंधित अपना परिचालन शुरू किया था। तीन वर्षों से भी कम अवधि में इसके कुल मिलाकर 87 सदस्य हो गए हैं।
नरेन्द्र मोदी ने यह भी कहा, ‘100 अरब डॉलर की प्रतिबद्ध पूंजी और सदस्य देशों में बुनियादी ढांचे की अत्यधिक जरूरत को ध्यान में रखते हुए मैं इस अवसर पर एआईआईबी से 4 अरब डॉलर के वित्त पोषण को वर्ष 2020 तक बढ़ाकर 40 अरब डॉलर और वर्ष 2025 तक बढ़ाकर 100 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंचाने का आह्वान करता हूं।’
आज मुम्बई में एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) की तीसरी वार्षिक बैठक के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा,
हमारी सरकार ने निवेश बढ़ाने के लिए अनेक कदम उठाए हैं। हमने कारोबारियों के लिए नियमों एवं नियमनों को सरल बना दिया है और साहसिक सुधारों को लागू किया है।
हमने निवेशक को ऐसा माहौल प्रदान किया है जो प्रभावशाली, पारदर्शी, विश्वसनीय और अपेक्षित है। भारत दुनिया की सर्वाधिक निवेशक अनुकूल अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। निवेशक विकास एवं वृहद आर्थिक स्थिरता की उम्मीद कर रहे हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था में वैश्विक विश्वास बढ़ता जा रहा है। विदेशी निवेशकों के दृष्टिकोण से भारत को अत्यंत कम जोखिम वाली राजनीतिक अर्थव्यवस्था माना जाता है।
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा है। हम गोदामों एवं शीत भंडारण श्रृंखला, खाद्य प्रसंस्करण, फसल बीमा और संबद्ध गतिविधियों इत्यादि में निवेश को बढ़ावा दे रहे हैं।
एआईआईबी के प्रयासों की सराहना करते हुए श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, ‘भारत और एआईआईबी दोनों ही आर्थिक विकास को और ज्यादा समावेशी एवं टिकाऊ बनाने के लिए अत्यंत प्रतिबद्ध हैं। भारत में हम बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के वित्त पोषण के लिए अनूठे पीपीपी (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) मॉडल, इन्फ्रास्ट्रक्चर डेट फंड और इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट को अपना रहे हैं।’
इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत बुनियादी ढांचागत क्षेत्र में निवेश के लिए मौजूदा (ब्राउनफील्ड) परिसम्पत्तियों को एक अलग परिसम्पत्ति वर्ग के रूप में विकसित करने की कोशिश कर रहा है। भूमि अधिग्रहण और पर्यावरण एवं वन मंजूरियों के चरण को पार कर चुकी इस तरह की परिसम्पत्तियां अपेक्षाकृत जोखिम मुक्त होती हैं। अत: इस तरह की परिसम्पत्तियों के लिए पेंशन, बीमा और सॉवरेन वेल्थ फंडों की ओर से संस्थागत निवेश आने की प्रबल संभावना है।
एआईआईबी ने लगभग दो वर्षों की अल्प अवधि में ही 4 अरब अमेरिकी डॉलर से भी अधिक राशि के कुल वित्त पोषण के साथ एक दर्जन देशों में 25 परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया की सर्वाधिक निवेशक अनुकूल अर्थव्यवस्थाओं में शुमार किए जाने वाला भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक चमकीले देश के रूप में उभर कर सामने आया है। उन्होंने कहा कि 2.8 लाख करोड़ (ट्रिलियन) अमेरिकी डॉलर के आकार के साथ भारत दुनिया की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। भारत क्रय क्षमता समतुल्यता (पीपीपी) की दृष्टि से तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में भारत की आर्थिक विकास दर 7.7 प्रतिशत रही है। वित्त वर्ष 2018-19 में भारत की आर्थिक विकास दर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्थिर कीमतों, मजबूत बाह्य क्षेत्र और नियंत्रित राजकोषीय स्थिति की बदौलत भारतीय अर्थव्यवस्था के बुनियादी तत्व अत्यंत मजबूत हैं। कच्चे तेल की कीमतें बढ़ने के बावजूद महंगाई दर निर्धारित दायरे में ही हैं। सरकार राजकोषीय सुदृढ़ता के मार्ग पर चलने के लिए दृढ़तापूर्वक प्रतिबद्ध है। जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के प्रतिशत के रूप में सरकारी ऋण बोझ निरंतर कम होता जा रही है।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, ‘वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) हमारे देश द्वारा लागू किए गए सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रणालीगत सुधारों में से एक है। यह ‘एक राष्ट्र-एक कर’ के सिद्धांत पर काम करता है। इसके फलस्वरूप टैक्स पर टैक्स लगाने की गुंजाइश कम हो गई है, पारदर्शिता बढ़ गई है और लॉजिस्टिक्स दक्षता भी बढ़ गई है। इन सभी की बदौलत निवेशक के लिए भारत में बिजनेस करना आसान हो गया है।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारतीय बाजार के विशाल आकार एवं विकास में अपार संभावनाएं हैं। पिछले 10 वर्षों में भारत की प्रति व्यक्ति आय दोगुनी हो गई है। भारत में 300 मिलियन से भी अधिक मध्यमवर्गीय उपभोक्ता हैं। अगले 10 वर्षों में यह संख्या दोगुनी हो जाने की आशा है।’
इससे पहले प्रधानमंत्री का स्वागत करते हुए केन्द्रीय रेल, कोयला, वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री पीयूष गोयल ने अपने आरंभिक भाषण में कहा कि नए उभरते संस्थानों में बहुपक्षीय वित्त पोषण की रूपरेखा को फिर से परिभाषित करने और सहभागिता के नए नियम तय करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि हमें जलवायु परिवर्तन, दुनिया के कुछ हिस्सों में कायम आर्थिक सुस्ती और बढ़ते संरक्षणवाद जैसी चुनौतियों से निपटने में मदद के लिए बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करने की जरूरत है।
समावेशी विकास को काफी अहम बताते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि ऋण वितरण की त्वरित प्रक्रियाएं विकसित करने की जरूरत है क्योंकि भारत एक प्रमुख उभरता देश और सर्वाधिक पसंदीदा निवेश गंतव्य है।
श्री गोयल ने यह भी कहा कि वर्ष 2017 से लेकर वर्ष 2022 तक के पांच वर्षों की अवधि में भारत को ऊर्जा, परिवहन एवं शहरी विकास के क्षेत्र में 750 अरब अमेरिकी डॉलर की जरूरत पड़ेगी और हमने वर्ष 2018-19 में 90 अरब अमेरिकी डॉलर के बुनियादी ढांचागत व्यय का बजट रखा है। उन्होंने कहा कि एआईआईबी इस आवश्यकता की पूर्ति में एक महत्वपूर्ण स्तंभ होगा।
इससे पहले अपने संबोधन में एआईआईबी के प्रेसीडेंट जिन लिक्यून ने कहा कि अभी से लेकर वर्ष 2030 तक की अवधि में बुनियादी ढांचागत क्षेत्र में एशियाई निवेश को बढ़कर दो ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर वार्षिक अथवा विगत आंकड़ों के मुकाबले लगभग तीन गुना अवश्य ही हो जाना चाहिए।