डिविजनल कमिशनर ने 65 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा मामले में रिकॉर्ड जांच करने के आदेश दिए

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गैरतपुर बास व रायसीना की 65 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा करने व बेचने का मामला : फिर हो सकती है डिमार्केशन 

दिल्ली टावर्स कंपनी पर पंचायती जमीन बेचने का आरोप, खरीदी 900-1000 एकड़ और बेच दी 1100 एकड़ से भी ज्यादा  

कमिशनर डी सुरेश ने डीआरओ गुरुग्राम, एसडीएम् सोहना, डीडीपीओ गुरुग्राम, तहसीलदार सोहना को किया था तलब 

कई फार्म हाउस मालिकों की नींद उड़ी, कमिश्नर के दरबार में पहुंचे थे अपना पक्ष रखने 

शिकायतकर्ता आर एल नरूला ने उठाये कई सवाल : गैरतपुर बास की 40 एकड़ जमीन कहाँ गयी 

कई फार्म हाउस की सेलडीड में खसरा नंबर नहीं होने के बावजूद हुई रजिस्ट्री  : अमित राठी ,मेम्बर पंचायत, गैरतपुर बास 

 

सुभाष चौधरी/प्रधान सम्पादक

डिविजनल कमिशनर ने 65 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा मामले में रिकॉर्ड जांच करने के आदेश दिए 2गुरुग्राम : डिविजनल कमिश्नर डॉ डी सुरेश ने गुरुग्राम जिला के गांव गैरतपुर बास और गाँव रायसीना की लगभग 65 एकड़ जमीन पर बिल्डरों द्वारा अवैध कब्जा करने और इसे बेचने के मामले की सुनवाई करते हुए एस डी एम् सोहना को दोनों पक्षों के रिकॉर्ड की जांच करने और अवैध कब्जे की वास्तविक रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया. इस बैठक के लिए शुक्रवार को जिले के अधिकारियों की टीम डिविजनल कमिश्नर के दरबार में हाजिर हुए. इस सम्बन्ध में लगभग एक सप्ताह पूर्व गुरुग्राम निवासी 75 वर्षीय आर एल नरूला ने कमिशनर से मिल कर शिकायत की थी. कमिशनर ने 15 जून की तारीख इस मामले की सुनवाई और तहकीकात के लिए निर्धारित की थी. आज की बैठक में संबंधित अधिकारियों में डीआरओ गुरुग्राम, एसडीएम् सोहना, डीडीपीओ गुरुग्राम, तहसीलदार सोहना और संबंधित गांव की जमीन की देखरेख करने वाले पटवारी भी तलब किये गए थे जबकि शिकायतकर्ता राम लाल नरूला भी मौजूद थे. कई फार्म हाउस मालिक एवं जमीन मालिक भी अपना पक्ष रखने के लिए पहुंचे थे.

लगभग 100 करोड़ की कीमत की जमीन पर अवैध कब्जे के मामले के लिए आयोजित इस महत्वपूर्ण बैठक में डिविजनल कमिश्नर ने मौजूद अधिकारियों से पूछा कि दिल्ली टावर्स एंड आदर्श कंपनी जो अंसल बंधुओं की है की कुल कितनी जमीन थी ? उन्होंने कुल कितनी जमीन बेची ? क्या उक्त कंपनी द्वारा बेचीं गयी जमीन रायसीना गाँव की सीमा में हैं या फिर गाँव गैरतपुर बॉस की सीमा में भी अतिक्रमण किया है ? सवाल यह भी उठा कि अगर पंचायती जमीन है तो इस पर अवैध कब्जा और अवैध  निर्माण को अभी क्यों नहीं रोका गया ? उन्होंने अधिकारियों से इन सवालों के जवाब मांगे और निर्देश दिया कि दोनों गांवों की जमीनों के रिकॉर्ड एवं उक्त कंपनी के रिकॉर्ड को खंगालकर इसकी रिपोर्ट अगली बैठक में प्रस्तुत करें.

बताया जाता है कि बैठक के दौरान मौजूद एक पटवारी ने फार्म हाउस के मालिकों का बचाव यह कहते हुए किया कि दिल्ली टावर एंड आदर्श कंपनी ने अपनी खरीदी हुई जमीन ही बेची है. गांव की पंचायती जमीन या दो गांव के बीच के गैप एरिया में कोई भी अवैध कब्जा नहीं है. लेकिन सवाल किया गया कि अगर दिल्ली टावर्स ने अपने हिस्से से अधिक जमीन नहीं भेजी है तो फिर अब तक कई अधिकारियों ने अपने डिमार्केशन और फिजिकल वेरिफिकेशन रिपोर्ट में पंचायती जमीन पर अवैध कब्जे की बात कैसे कही  ? डिविजनल कमिश्नर डॉ डी सुरेश ने कहा कि इन तथ्यों का तुलनात्मक अध्ययन करना जरूरी है . दोनों के रिकॉर्ड को देखने की जरूरत है तभी यह पता चल पाएगा कि गांव की पंचायती जमीन या गैप एरिया पर दिल्ली टावर्स का अवैध कब्जा है या नहीं या  उनके द्वारा अपनी सीमा से अधिक जमीन बेची गई है या नहीं.

बैठक में कई फार्म हाउसों के मालिक भी मौजूद थे. उन्होंने तर्क दिया कि इसमें उनकी कोई गलती नहीं है क्योंकि उन्होंने तो दिल्ली टावर्स एंड आदर्श कंपनी से जमीन खरीदी है और इतने वर्षों बाद अब यह मामला उठ रहा है तो इसमें उनका भी पक्ष सुना जाना चाहिए. इस पर डिविजनल कमिश्नर ने एस डी एम्  सोहना और तहसीलदार सोहना को आदेश दिया कि आगामी 19 जून को इस मामले के वी सी एल केस की सुनवाई के दौरान सभी संबंधित पक्षों के रिकार्ड्स मंगाए जाएँ और इसकी जांच की जाए.  सभी पक्षों को अपनी बात रखने का बराबर मौका दिया जाए.डिविजनल कमिशनर ने 65 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा मामले में रिकॉर्ड जांच करने के आदेश दिए 3

कमिश्नर ने अधिकारियों से कहा कि किसी भी पक्ष के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए. इसलिए जमीन के रिकॉर्ड की जांच सघनता से होनी चाहिए. साथ ही फिजिकल वेरिफिकेशन या डिमार्केशन भी सही तरीके से किया जाए जिससे यह पता चल पाएगा कि वास्तव में शिकायतकर्ता द्वारा लगभग 65 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे सम्बन्धी  की गयी शिकायत का मामला कितना गंभीर है. उन्होंने पूछा कि अगर यह जमीन पंचायत की है और दो गांव के बीच का गैप एरिया है तो फिर इस पर अवैध कब्जा कैसे हुआ ? पंचायतों ने इसका विरोध क्यों नहीं किया ? जब इन जमीनों पर फार्म हाउस बन रहे थे तब पंचायत के लोगों ने विरोध क्यों नहीं किया ?

उल्लेखनीय है कि इस मामले में की गई शिकायत पर पिछले वर्षों में आई रिपोर्ट के आधार पर संबंधित गांव के सरपंच को 46 फार्म हाउस मालिकों के खिलाफ वीसीएल का मामला दायर करने का आदेश दिया गया था. लेकिन इसमें भी घालमेल किया गया. पता चला है कि वी सी एल  का मामला दायर करने में भी मनमाना कदम उठाया गया है. इनमें से केवल 24 फार्म हाउस मालिकों के खिलाफ ही एस डी एम् सोहना की कोर्ट में मामला दायर किया गया. इसको लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर गैरतपुर बॉस पंचायत की ओर से सभी 46 फार्म हाउस मालिकों के खिलाफ मामला क्यों नहीं दायर किया गया. इसके पीछे आशय यह है कि अगर यह सिद्ध हो गया कि 46 फार्म हाउस मालिकों ने अवैध रूप से जमींन पर कब्जा जमाया तो इनके खिलाफ आपराधिक मुकदमा भी दर्ज हो सकता है. यहाँ भी कुछ लोगों को बचाने का खेल खेला गया.डिविजनल कमिशनर ने 65 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा मामले में रिकॉर्ड जांच करने के आदेश दिए 4

गाँव गैरतपुर बॉस की 40 एकड़ पंचायती जमीन पर अवैध कब्जे की शिकायत गैरतपुर बॉस के मेंबर पंचायत अमित राठी ने भी की है. उन्होंने CM विंडो पर इस संबंध में शिकायत करते हुए तत्काल डिमार्केशन कराने और पंचायती जमीन को अवैध कब्जे से छुड़वाने की मांग की है. अमित राठी ने इस संबंध में अतिरिक्त मुख्य सचिव से भी शिकायत की है और उनसे भी इस मामले में व्यक्तिगत हस्तक्षेप कर पंचायती जमीन से अवैध कब्जे हटवाने की मांग की है. साथ ही उन्होंने अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग भी रखी है. लेकिन उन्हें अबतक आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला है. उनके द्वारा लगातार मामले को उठाये जाने के बावजूद जिला प्रशासन ने अब तक  गौर नहीं किया. दूसरी तरफ वी सी एल  के केस में तारीख पर तारीख डलती जा रही है. कहा जा रहा है कि कभी एक पक्ष हाजिर होता है तो दूसरा नहीं, इस प्रकार का तालमेल लगातार लंबे अर्से से चल रहा है जिससे मामले को अंतिम निर्णय तक पहुंचाने में देरी हो रही है.

अमित राठी कहते हैं कि शुक्रवार को डिविजनल कमिश्नर डॉ डी सुरेश की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद अब यह उम्मीद जगी है कि सोहना एस डी एम् के समक्ष वी सी एल के केस की सुनवाई त्वरित गति से होगी और इस मामले का निर्णय शीघ्र ही आएगा.

अमित राठी का कहना है कि दिल्ली टावर्स कंपनी ने गैरतपुर बॉस और रायसीना गांव के दायरे में लगभग 1100 एकड़ से भी अधिक जमीन बेच दी है. जाहिर है सीमा से अधिक जमीन पंचायती लैंड ही है. इस इलाके में एक बड़ा निजी स्कूल भी चल रहा है जबकि अन्य जमीनों पर बड़े-बड़े फार्म हाउस का निर्माण किया गया है. कुछ फार्म हाउस तो विकसित किए गए हैं जबकि कुछ फार्म हाउस ऐसे भी हैं जिनकी केवल चार दिवारी की गई है. उक्त पहाड़ी के बीचो-बीच 20 फुट चौड़ी आर सी सी  सड़क का निर्माण भी निजी पैसे से एक संस्था द्वारा करवाया जा रहा है.

इस संबंध में कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है कि आखिर इस सड़क के निर्माण की मंजूरी किस स्तर पर मिली ?  दूसरा बड़ा सवाल यह भी है कि आर सी सी  सड़क निर्माण के लिए क्या पर्यावरण विभाग और वन विभाग से आवश्यक क्लीयरेंस ली गई या नहीं ? क्या इस इलाके में जो पर्यावरण के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण और संरक्षित क्षेत्र है में आरसीसी सड़क का निर्माण करना पर्यावरण के अनुकूल है भी या नहीं इस दिशा में भी संभवतया गंभीरता से विचार नहीं किया गया. आसपास के लोगों का कहना है कि इस सड़क का निर्माण एक निजी स्कूल द्वारा करवाया जा रहा है जिन्हें इस इलाके के फार्म हाउस को सुविधाजनक बनाने की चिंता है. लेकिन उन्हें इलाके के पर्यावरण को बर्बाद कर असंतुलन पैदा करना करने में कोई हानि नहीं दिख रही है.

सूत्रों का कहना है कि शिकायतकर्ता आर एल नरूला और गैरतपुर बास पंचायत के मेंबर पंचायत, अमित राठी की शिकायतों ने इस इलाके में जमीन बेचने वाली कंपनी दिल्ली टावर्स और बड़े-बड़े फार्म हाउस खरीदने व बनाने वाले दर्जनों रिटायर्ड आईएएस, रिटायर्ड आई पी एस,  सेना के वरिष्ठ अधिकारियों और बड़े व्यवसायियों की नींद उड़ा दी है. यही कारण है कि डिविजनल कमिश्नर गुरुग्राम डॉ डी सुरेश के दरबार में आज कई फार्म हाउसों के मालिक भी अपने वकीलों के साथ अपना पक्ष रखने को पहुंचे थे. उन्हें आज थोड़ी राहत अवश्य मिली है क्योंकि डिविजनल कमिश्नर ने सीधे-सीधे उन क्षेत्रों में पिछले वर्षों में अलग-अलग अधिकारियों द्वारा एवं एक समिति द्वारा किए गए डिमार्केशन के आधार पर अवैध कब्जे हटाने के आदेश नहीं दिए. हालाँकि कमिश्नर ने SDM सोहना को सभी पक्षों के तथ्यों और सबूतों पर गौर करने को अवश्य कहा. साथ ही तहसीलदार सोहना एवं डीडीपीओ गुड़गांव और डीआरओ गुरुग्राम को उक्त जमीनों के रिकॉर्ड की गंभीरता से तफ्तीश कर इसकी रिपोर्ट सौंपने को कहा है.

माना जा रहा है कि आगामी 19 जून को निर्धारित सुनवाई के दौरान SDM सोहना भी सभी पक्षों से रिकॉर्ड तलब करेंगे और उसकी जांच पड़ताल शुरू होगी. संकेत मिले हैं कि इस माह के अंतिम सप्ताह तक संबंधित रिपोर्ट आने के बाद एक बार फिर डिविजनल कमिश्नर स्वयं अधिकारियों की रिपोर्ट की समीक्षा करेंगे और इस मामले की तहकीकात करेंगे . इसकी तह तक जाने की कोशिश करेंगे. उनका यह प्रयास है कि इस विवाद में किसी भी पक्ष का अनावश्यक नुकसान नहीं हो और वस्तु स्थिति के आधार पर अंतिम निर्णय किया जाए. इसलिए सावधानी बरती जा रही है. 

दूसरी तरफ शिकायतकर्ता आर एल नरूला और मेंबर पंचायत गैरतपुर बॉस अमित राठी का यह मानना है कि दिल्ली टावर एंड आदर्श कंपनी जो अंसल बंधुओं की है ने जितनी जमीन रायसीना गांव से खरीदी उससे कहीं अधिक बेच दी. इस बात का खुलासा कई फार्म हाउसों की सेल डीड से होती है. उनका कहना है कि कई सेल डीड में खाता खसरा नंबर भी नहीं डाला गया है केवल जमीन का रकबा लम्बाई चौड़ाई मेंशन कर रजिस्ट्री करा दी गई है. वास्तव में यह आश्चर्यजनक तथ्य है कि आखिर किस खसरा नंबर से कितनी जमीन खरीददार को दी जा रही है इसका खुलासा किए बिना सेल डीड कैसे हो सकती है ? लेकिन गाँव गैरतपुर बास और रायसीना की जमीन विवाद के मामले में ऐसे कई उदाहरण देखने को मिलते हैं. मेंबर पंचायत अमित राठी ने दावा किया कि गैरतपुर बास पंचायत की लगभग 40 एकड़ पंचायती जमीन पर दर्जनों फार्म हाउस मालिकों का अवैध कब्जा है जो दावा करते हैं कि उन्होंने यह जमीन दिल्ली टावर्स कंपनी से खरीदी है. यह पिछले कई बार हुए डिमार्केशन से स्पष्ट हो चुका है. दोनों शिकायतकर्ताओं की मांग है कि अब अगर कार्रवाई  हो तो केवल 40 एकड़ पंचायती जमीन और गैप एरिया की 25 एकड़ जमीन को अवैध कब्जे से छुड़ाने की होनी चाहिए ना कि बारंबार रिकॉर्ड खंगालकर मामले को लटकाने की कोशिश हो.

शिकायतकर्ता आर एल नरूला का कहना है कि डिविजनल कमिश्नर डॉक्टर डी सुरेश ने जो निर्देश दिए हैं उसके अनुसार जमीनों के कागजातों की सघनता से जांच करने पर उनकी शिकायत की पुष्टि अवश्य होगी. उन्हें विश्वास है कि इस मामले में गैरतपुर बास पंचायत को न्याय मिलने की आस है. उनके अनुसार यह मामला अब तक निबट जाना चाहिए था लेकिन कुछ अधिकारियों के गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण लंबित रहा. उनका आरोप है कि इसे कुछ अधिकारियों ने जानबूझकर लटकाया अन्यथा फार्म हाउस बनने से पहले ही अवैध कब्जे की गतिविधि को रोका जा सकता था. कानूनन यह जिम्मेदारी डीडीपीओ गुरुग्राम, सम्बंधित क्षेत्र के तहसीलदार, डी आर ओ गुरुग्राम और संबंधित पंचायत की थी. लेकिन ऐसा लगता है कि इसमें इन सभी पक्षों की निष्क्रियता रही और पंचायती जमीन पर अवैध रूप से फार्म हाउस बनते रहे.

उनका कहना है कि रायसीना और गैरतपुर बास के क्षेत्र में आने वाली अरावली की पहाड़ी दिल्ली-एनसीआर के पर्यावरण की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है और इसमें वन क्षेत्र भी हैं जो अपने आप में कानूनन संरक्षित क्षेत्र घोषित है. लेकिन इसमें हो रहे निर्माण और इस के दौरान हुई पेड़ों की कटाई के कारण इलाके की स्थिति गंभीर हो गई है. जिस क्षेत्र की देखरेख संबंधित अधिकारियों को करनी चाहिए थी वही इसके प्रति बेरुख रहे हैं.

उल्लेखनीय है कि यह मामला गांव गैरतपुर बास की 40 एकड़ पंचायती जमीन एवं गैरत पुर व रायसीना गांव के बीच के गैप एरिया 25 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जे का मामला है. इस सम्बन्ध में 75 वर्षीय आर एल नरूला ने सीएम विंडो पर भेजी अपनी शिकायत में कहा है कि दिल्ली टावर्स एंड आदर्श नामक कंपनी जो प्रसिद्ध बिल्डर  अंसल बंधुओं की है ने अवैध रूप से कब्जा जमा कर बेच दी. पिछले 20 वर्षों से भी अधिक समय में इन पर सैकड़ों फार्म हाउस बना लिए गए हैं.

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