हुडा कार्यालय रेवाड़ी, मॉडल टाउन थाना पुलिस के लिए कामधेनु गाय तो नहीं ?

Font Size

हुडा कार्यालय में फर्जिबाड़े के मामले की जांच, पांच साल में भी पूरी नहीं कर पाई हरियाणा पुलिस

हुडा कार्यालय रेवाड़ी के अधिकारी/कर्मी ने हुडा प्लाट का फर्जी आवंटन लेटर जारी कर दिया

6 मई 2013 को रेवाड़ी के मॉडल टाउन थाना में मामला दर्ज करवाया गया 

धारा 420, 467, 468, 471 और 120 बी के तहत दर्ज ऍफ़आईआर न.176 की जांच पांच साल बाद भी जारी 

मुख्य सूचना आयुक्त यशपाल सिंघल ने आई जी पी रेवाड़ी से तीन माह में जांच पूरी करने को कहा 

जब रक्षक ही भक्षक को अनैतिक संरक्षण देने लगे तो जनहित के साथ खिलवाड़ होता रहेगा : हरेन्द्र ढींगरा

 

सुभाष चौधरी /प्रधान सम्पादक 

गुरुग्राम : हुडा कार्यलय रेवाड़ी में भ्रष्टाचार के एक गंभीर मामले की जांच हरियाणा पुलिस पांच साल में भी पूरी नहीं कर पाई है. ऐसे में यह समझना बड़ा आसान है कि तिलों में से धीरे धीरे तेल निकालने की आदत रखने वाले  हरियाणा पुलिस के उन अधिकारियों में या तो जांच करने की दक्षता नहीं है या फिर जानबूझ कर मामले को दबाये रखने की मंशा इनके सिर चढ़ कर बोल रही है. हुडा प्लाट के फर्जिबाड़े की ऍफ़आईआर वर्ष 2013 में दर्ज कराई गयी और उसकी जांच अब तक पूरी नहीं होने का दावा रेवाड़ी पुलिस द्वारा किया जाना गंभीर सवाल खड़ा करता है. इससे आरोपी हुडा अधिकारी/कर्मी और पुलिस जांच अधिकारी के बीच अनैतिक गठबंधन होने की तीव्र बू आती है. आर टी आई एक्टिविस्ट हरेन्द्र ढींगरा के आरटीआई एप्लीकेशन पर रेवाड़ी पुलिस के चौकाने वाले जवाब से इसकी पुष्टि होती है. हरियाणा के चीफ इनफार्मेशन कमिश्नर यशपाल सिंघल ने आई जी ,साउथ रेंज, रेवाड़ी को प्रशासनिक उत्तरदायित्व एवं पारदर्शिता स्थापित करने की नसीहत देते हए मामले की त्वरित जांच कर तीन माह के अन्दर रिपोर्ट कमीशन के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया.

हुडा कार्यालय रेवाड़ी, मॉडल टाउन थाना पुलिस के लिए कामधेनु गाय तो नहीं ? 2आर टी आई एक्टिविस्ट हरेन्द्र ढींगरा ने हरियाणा आर टी आई कमीशन के समक्ष एक शिकायत दायर कर बताया कि उन्होंने डीजीपी हरियाणा के कार्यालय में 26 अक्तूबर 2017 को आरटीआई के मध्यम से हुडा कार्यालय रेवाड़ी में कार्यरत डाटा ओपेरटर नवीन कुमार के खिलाफ दर्ज ऍफ़ आई आर मामले में कोई कार्रवाई नहीं करने की शिकायत करते हुए छह जानकारियाँ मांगी. लेकिन डीजीपी कार्यालय के एसपीआईओ ने उनके पांच सवालों के जवाब दिये जबकि छठे सवाल का जावब नहीं दिया. उन्होंने कहा कि यह अपूर्ण जवाब है और कमीशन से आग्रह किया कि वे डीजीपी हरियाणा को इस सम्बन्ध में आदेश जारी कर उन्हें अपेक्षित जानकारी देने को कहें .

इस मामले की सुनवाई के दौरान डीजीपी कार्यालय के एसपीआईओ ने बताया कि पुलिस मुख्यालय ने डीएसपी हेडक्वार्टर रेवाड़ी को 10 नवम्बर 2017 को इस आवेदन सबंधी सूचना मुहैया कराने को कहा. 21 नवम्बर 2017 को बिन्दुवार सूचना मुहैया कराने का दावा किया.

आरटीआई कमीशन के सामने डीएसपी हेडक्वार्टर रेवाड़ी की ओर से दावा किया गया कि श्री ढींगरा का आवेदन 13 नवम्बर 2017 को मिला और उन्हें 13 दिसंबर 2017 एवं 31 जनवरी 2018 को बताया गया कि 6 मई 2013 को धारा 420, 467, 468, 471 और 120 बी के तहत दर्ज ऍफ़आईआर न.176 के सम्बन्ध में एसएचओ पुलिस स्टेशन मॉडल टाउन की ओर से बताया गया है कि मामले की जांच जारी है इसलिए इसकी जानकारी देना कानूनन संभव नहीं है.

सुनवाई के दौरान आर टी आई एक्टिविस्ट की ओर से कमीशन के समक्ष यह जानकारी रखी गयी कि जिस  ऍफ़ आई आर के बारे में जानकारी मांगी गयी है वह गत 6 जून 2013 को दर्ज कराई गयी है और अभी तक उसकी जांच पूरी नहीं होने की बात की जा रही है. इस पर मुख्य सूचना आयुक्त श्री सिंघल ने आरटीआईएक्ट की धारा 25 की उप धारा 5 के तहत प्रदत्त अधिकार का उपयोग करते हुए साउथ रेंज रेवाड़ी के आई जी पी को इस मामले की जाँच अगले तीन माह के अन्दर पूरी करने और इसकी रिपोर्ट कमिशन के समक्ष प्रस्तुत करने का आदेश दिया. कमीशन ने आईजीपी से आवेदक श्री धींगरा को भी जांच रिपोर्ट की प्रति मुहैया कराने को कहा है. कमीशन ने अपने आर्डर में आई जी पी रेवाड़ी से पुलिस की कार्यशैली को उत्तरदायी और पारदर्शी बनाने की नसीहत देते हुए संसद से पारित आरटीआई 2005 की मूल भावना का भी उल्लेख किया है.    

इस मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट हरेन्द्र ढींगरा का कहना है कि मई 2013 में दर्ज मुकदमा की जांच पांच साल में भी पूरी नहीं होने की बात किसी के गले नहीं उतर सकती. जाहिर है इसके पीछे जांच अधिकारी की मामले को दबाने की अनैतिक मंशा दिखती है. पुलिस की यह कार्यशैली जनहित के अनुसार नहीं हो सकती. इससे हरियाणा पुलिस की छवि दागदार हुई है.

उन्होंने बताया कि हुडा कार्यालय रेवाड़ी के अधिकारी/कर्मी द्वारा हुडा प्लाट का एक फर्जी आवंटन लेटर जारी कर दिया गया. इसका खुलासा होने पर हुडा की ओर से उक्त अधिकारी/कर्मी के खिलाफ 6 मई 2013 को रेवाड़ी के मॉडल टाउन थाना में मामला दर्ज करवाया गया. आश्चर्यजनक रूप से सम्बंधित थाना पुलिस ने इस मामले की सघनता से जांच करने के बजाय हुडा के अधिकारियों से ही उक्त मामले की जांच कर यह बताने को कहा कि इसमें कौन दोषी है. लेकिन हुडा के अधिकारियों ने आज तक इस फर्जीवाड़े की तह तक जाने की जहमत नहीं उठाई. उन्होंने इस सम्बन्ध में सीएम और हुडा के वरिष्ठ अधिकारियों से भी शिकायत की लेकिन ढाक के तीन पात वाली स्थिति बनी रही. अंततः लगभग एक माह बाद आर टी आई आवेदन के माध्यम से जानकारी मांगी तो बताया गया कि मामले की जांच चल रही है. हरियाणा पुलिस के इस रवैये से प्रदेश का आम आदमी न्याय की उम्मीद नहीं कर सकता. जब रक्षक ही भक्षक को अनैतिक तरीके से संरक्षण देने लगे तो जनहित के साथ खिलवाड़ होता रहेगा.

चौकाने वाली बात यह है कि इस मामले में रेवाड़ी की मॉडल टाउन थाना पुलिस एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी है. जिन्होंने फर्जीबाड़ा किया उन्हीं से चोर पकड़ने को कह दिया. सुनने में बड़ा अजीब लगता है लेकिन यह सच है. और तो और पिछले पांच साल में हुडा के अधिकारियों ने भी मामले को फाइलों में दबाये रखा. जिन धाराओं 420, 467, 468, 471 और 120 बी के तहत मामला दर्ज किया गया है वह आई पी सी की नजर में तो संगीन है लेकिन मॉडल टाउन पुलिस को इसमें अब तक कुछ भी गंभीर नहीं दिखा. लोग अब सवाल करने लगे हैं कि हुडा कार्यालय रेवाड़ी के कर्मी ,मॉडल टाउन थाना पुलिस के लिए कामधेनु गाय तो नहीं बन गए हैं ? अन्यथा पांच साल तक फर्जी काम करने वाले जेल से बाहर कैसे रह सकते हैं. 

हालाँकि अब मुख्य सूचना आयुक्त के तीन माह में जांच पूरी करने के सख्त और टाइम बाउंड वाले आदेश से आशा की किरण दिखी है.  

You cannot copy content of this page