सार्वजनिक स्थलों एवं स्ट्रॉम वाटर ड्रेनेज में सीवरेज डालने वालों के खिलाफ निगम हुआ सख्त

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–    सीवरेज टैंकरों को 31 मई तक नगर निगम में पंजीकरण करवाना अनिवार्य

–    पंजीकरण उपरान्त सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट पर डाला जा सकेगा सीवरेज वेस्ट

–    गैर-पंजीकृत टैंकर पर किया जाएगा भारी जुर्माना

गुरूग्राम, 24 अप्रैल। नगर निगम आयुक्त यशपाल यादव ने कहा कि अधिकांश शहर सीवरेज लाईनों से जुड़ा हुआ है और इन्हें सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांटों (एसटीपी) से जोड़ा गया है। एसटीपी से सीवरेज वेस्ट को उपचार करने उपरान्त स्ट्रॉम वाटर ड्रेनेज में छोड़ा जाता है तथा यह जल संसाधनों को सुरक्षित करने में मदद करता है।

    मंगलवार को यहां जारी आदेशों में निगमायुक्त ने कहा कि हालांकि कुछ कॉलोनियों, विशेषकर गैर अधिकृत कॉलोनियों में लोगों द्वारा सेप्टिक टैंक बनाए गए हैं और इन्हें टैंकरों के माध्यम से साफ किया जाता है। ये टैंकर खुले स्थानों या स्ट्रॉम वाटर ड्रेनेज में सीवरेज को डाल देते हैं। इससे ना केवल जल संसाधन दूषित होते हैं, बल्कि बीमारियां भी फैल सकती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए हरियाणा नगर निगम अधिनियम 1994 की धारा 292 के तहत निगमायुक्त द्वारा सभी टैंकर मालिकों को नगर निगम में पंजीकृत करवाने के निर्देश जारी किए हैं। निर्देशों में कहा गया है कि टैंकर पर बैंगनी रंग में नगर निगम का लोगो तथा पंजीकरण संख्या लिखी होगी। नगर निगम द्वारा नामित अधिकारी टैंकर पंजीकरण आदि के दस्तावेज प्राप्त करने के बाद टैंकर मालिक को प्रमाण-पत्र जारी करेगा। केवल पंजीकृत टैंकर ही नगर निगम द्वारा निर्धारित स्थानों पर सीवरेज वेस्ट को डाल पाएगा अन्यथा उस पर एनजीटी आदेशों के अनुसार 5000 रूपए जुर्माना किया जाएगा। दूसरी बार पकड़े जाने पर जुर्माना राशि में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाएगी। सीवरेज वेस्ट डालने के लिए नगर निगम द्वारा वार्डों के हिसाब से स्थान निर्धारित किए गए हैं। इनमें वार्ड नंबर 1 से 20 तक के लिए धनवापुर, वार्ड नंबर 21 से 24 के लिए सैक्टर-37 डिस्पोजल यूनिट तथा वार्ड नंबर 25 से 35 के लिए बहरामपुर सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट निर्धारित किए गए हैं।

    निगमायुक्त ने कहा कि इस मॉडल को टिकाऊ और आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रत्येक वार्ड से एसटीपी तक की परिवहन दरें नगर निगम द्वारा टैंकर मालिकों से परामर्श उपरान्त 5 प्रतिशत शुल्क के साथ तय की जाएंगी। चालान राशि के साथ यह पैसा एक अलग खाते में रखा जाएगा और इस प्रणाली के लिए मैनपावर और अन्य आवश्यकताओं के भुगतान के लिए उपयोग किया जाएगा। यदि इसके लिए अतिरिक्त राशि की आवश्यकता होगी, तो जनहित के स्वास्थ्य के महत्व को ध्यान में रखते हुए नगर निगम द्वारा वहन की जाएगी। उन्होंने बताया कि टैंकर मालिक द्वारा प्रति यात्रा नगर निगम को 5 प्रतिशत का भुगतान किया जाएगा। नगर निगम के नामित कर्मचारी इसके लिए एसटीपी में एक रिकार्ड तैयार करेंगे। यह भुगतान मासिक आधार पर होगा। इस कार्य की निगरानी एसटीपी की देखभाल करने वाले संबंधित सहायक अभियंता द्वारा की जाएगी। 

    निगमायुक्त ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गए हैं तथा अगर कोई व्यक्ति आदेशों का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 188 के तहत दंडनीय अपराध माना जाएगा। इसमें 6 माह का कारावास तथा जुर्माने का भी प्रावधान है। उन्होंने कहा कि किसी भी कीमत पर पर्यावरण प्रदूषण नहीं करने दिया जाएगा तथा उल्लंघन करने वालों पर जल(रोकथाम और प्रदूषण नियंत्रण) अधिनियम 1974 तथा पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के तहत मुकदमा चलाया जाएगा।
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Suvash Chandra Choudhary

Editor-in-Chief

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