आप नेता का दावा ,महिला आयोग की चेयरमैन की अनशन के आगे झुकी केंद्र सरकार
आम आदमी पार्टी के आन्दोलन के कारन बलात्कार पीड़ित बच्चियों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी
हरियाणा सरकार पर नावालिग़ के साथ हो रहे अन्याय के मामले में संवेदनहीन होने का लगाया आरोप
गुरुग्राम : आम आदमी पार्टी के जिलाध्यक्ष सूर्य देव यादव नखरौला ने बताया की मासूम बच्चियों को अपनी दरिंदगी का शिकार बनाने वाले लोगों के खिलाफ सख्त प्रावधान के लिए केंद्र सरकार के अध्यादेश लाने का निर्णय स्वाति मालीवाल के लम्बे संघर्ष का परिणाम है. उनकी मांग थी कि 6 महीने के अंदर – अन्दर ऐसे अपराधियों के लिए फांसी/ आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान ह. इसके लिए दिल्ली महिला आयोग की चेयरमैन स्वाति मालीवाल ने करीब 11 दिन तक लगातार राजघाट दिल्ली पर आमरण अनशन किया. उनके दबाव के बाद ही भाजपा सरकार ने अध्यादेश लाकर 12 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों के साथ रेप करने वालों को फांसी देने का प्रावधान करने का ऐलान किया है। आम आदमी पार्टी के आन्दोलन के कारन ही अब बलात्कार पीड़ित बच्चियों को न्याय मिलने की उम्मीद जगी है.
उन्होंने कहा कि भाजपा शासित प्रदेशो में भी महिला आयोग बने हुए है पर उन्होंने बलात्कार के खिलाफ कड़े कानून बनाने के लिए कोई भी सिफारिश नहीं की। जिला अध्यक्ष सूर्य देव यादव ने आगे कहा कि सरकार ने कानून को लागू करने में बहुत देरी की है और यदि यह कानून पहले लागू कर दिया जाता तो कई मासूस बच्चियों के साथ हुई दरिंदगी की घटनाओं को टाला जा सकता था। निर्भया के बाद ही यह कदम उठा लेना चाहिए था।
आप नेता सूर्य देव ने कहा कि दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल द्वारा कानून बनाने की मांग को लेकर दिए गए धरने में आम आदमी पार्टी गुरूग्राम का भी पूरी तरह सहयोग रहा है. उनके धरने के समर्थन में गुरूग्राम में कैंडल मार्च द्वारा, राष्ट्रपति के नाम लोगों से लैटर साईन करा कर व फेसबुक लाईव द्वारा भी लोगो को जागरूक किया है . उनका कहना है कि स्वाति द्वारा किए गए संघर्ष को समाज कभी भूला नहीं पाएगा और इस नेक कार्य के लिए हम सदैव उनके ऋणी रहेगें।
गुरुग्राम आप जिला अध्यक्ष ने हरियाणा सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि हरियाणा ने बच्चियों के साथ हो रहे इस अन्याय को कभी गंभीरता से नहीं लिया. यही कारण था कि लगातार कानून बनाने की मांग को हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर लंबे समय से नजरअंदाज करते रहे. लेकिन स्वाति का संघर्ष रंग लाया और बच्चियों की सुरक्षा के लिए कानून और कड़ा बनाने की दिशा में केंद्र सरकार को पोक्सो एक्ट में संशोधन के लिए अध्यादेश लाना पडा।