सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सबसे पहले पाकिस्तान को सूचिता किया : मोदी

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रेलवे स्टेशन से रॉयल पैलेस की यात्रा सवा सौ करोड़ लोगों का प्रतिनिधित्व 

सुभाष चौधरी/प्रधान संपादक 

सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सबसे पहले पाकिस्तान को सूचिता किया : मोदी 2नई दिल्ली /लंदन । “भारत की बात सबके साथ” कार्यक्रम में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिटेन में रहने वाले भारतीयों को संबोधित करते हुए खुलासा किया किया की सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सबसे पहले पाकिस्तान को सूचिता किया गया था. इसके बाद ही मिडिया और दुनिया को बताया गया था. उन्होंने कहा कि अब तक देश में कुछ परिवारों का राजनीति पर कब्ज़ा था लेकिन लोकतंत्र में जनता के समर्थन से उन्हें प्रधान मंत्री बनने का मौका मिला. वह एक सामान्य व्यक्ति के रूप में हैं और न ही इतिहास में अमर होना चाहते हैं हैं.  इससे पूर्व लंदन के सेंट्रल हॉल वेस्टमिनिस्टर में आयोजित इस खास कार्यक्रम में लंदन में रहने वाले भारतीय कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई. भारतीय समय के अनुसार लगभग 9 . 30 बजे शुरू हुए इस कार्यक्रम में सेंट्रल हॉल वेस्टमिनिस्टर अनिवासी भारतीयों से खचाखच भरा था जिसमें सवाल जवाब का सिलसिला रात्रि 11. 45 बजे तक चलता रहा । मशहूर कवि व बॉलीवुड के लेखक प्रसून जोशी पीएम मोदी से सवाल कर रहे थे । इस दौरान कई लोगों ने भारत से तो कई सवाल उक्त आयोजन स्थल से भी पूछे गए.  

सवाल जवाब के क्रम में प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा की रेलवे स्टेशन से रॉयल पैलेस तक की यात्रा बहुत कठिन है। रेलवे स्टेशन ने उन्हें संघर्ष करना सिखाया, जीना सिखाया . रेलवे की पटरी ने उन्हें बचपन से ही जीवन के प्रति संघर्ष करना सिखाया।
रॉयल पैलेस तक पहुंचना यह नरेंद्र मोदी की कहानी नहीं बल्कि यह सवा सौ करोड़ हिंदुस्तान के लोगों का प्रतिबिम्ब है।

पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री में इतना दम होना चाहिए कि जब उसे इजरायल जाना हो तो बेधड़क जाए और जब फिलिस्‍तीन जाना तो वहां भी अपनी मर्जी से जाए। उनकी यह प्रतिक्रिया इन अटकलों के बीच आई है कि आर्थिक और रक्षात्‍मक हितों के मद्देनजर भारत का झुकाव इजरायल की ओर हो रहा है। उन्‍होंने सऊदी अरब और इजरायल से भारत के संबंधों पर भी अपनी बात रखी।

नरेंद्र मोदी से विविध विषयों पर सवाल किए गए और उन्होंने बेबाकी से जवाब दिया .

उन्होंने कहा कि : 

 
रेल पटरी की कहानी नरेंद्र मोदी की कहानी है। लेकिन रॉयल पैलेस तक पहुंचने की कहानी भारत के सवा सौ करोड़ लोगों का प्रतिनिधित्व उनकी सेवा करने वाला है।

जो पद कभी केवल कुछ परिवारों तक सीमित रहता था लेकिन लोकतंत्र में जनता जनार्दन का समर्थन अगर मिल जाए तो वह रॉयल पैलेस में भी हाथ मिलाता हुआ दिखता है।

मैं आदि शंकर के अर्थवेद के सिद्धांतों को जानता हूं कि जहां मैं नहीं तू ही तू है वहां कोई द्वंद नहीं जहां द्वैत नहीं । इसलिए मैं नरेंद्र मोदी के भीतर के उस शख्स को लेकर अगर चलता हूं तो देश के साथ अन्याय होगा। देश के निर्माण के लिए स्वयं को छुपाना पड़ता है तब जाकर उसका निर्माण होता है।

एक समय था जब देश निराशा के माहौल में था लेकिन हमने लोगों में आशा और उम्मीद का संचार किया है ।

आज से 15 साल पहले गांव के लोग सरकारी दफ्तर में जाकर मे मोरेंडम देते थे और वह मांगते थे कि अगर इस बार अकाल पड़ जाए तो हमारे गांव में मिट्टी खोदने का काम जरूर दीजिए।

देश में विकास के लिए बेसब्री पैदा होना मैं बुरा नहीं मानता, अगर लोग पुरानी चीजों में ही सिमट कर रह जाएंगे तो फिर हमारा विकास भी अवरुद्ध हो जाएगा।

आज अगर देश मुझ में भरोसा करता है तो यह अच्छी बात है कि लोग उम्मीद करता है . लोग मानते हैं कि उसके सामने मांग रख दो और आज नहीं तो कल वह पूरा करेग।

पहले कितना काम होता था . आज हमने उसे 3 गुना कर दिया . सड़क हो या बिजली पहुंचाने का काम हो, पानी पहुंचाने का काम हो या कोई और विकास का काम हम लगातार उसमें और तेज गति लाने की कोशिश कर रहे हैं।

मैं मानता हूं कि जिस दिन मेरी भीतर की बेसब्री समाप्त हो जाएगी मैं इस देश के काम के लायक नहीं रहूंगा . मैं चाहता हूं कि काम को तेज गति से करने के प्रति मेरी बेसब्री बरकरार रहे ।

जहां तक निराशा का सवाल है मैं समझता हूं कि जब खुद के लिए लेना पाना या करना हो तब वह आशा और निराशा में डूब जाता है .लेकिन जब आप सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय के दर्शन पर चलना चाहते हैं तो मैं समझता हूं कि निराश कभी होने का कारण आपको नहीं मिलेगा। कुछ लोगों को कभी लगता है कि छोड़ो यार सरकार बेकार है नियम बेकार है कानून बेकार है ब्यूरोक्रेसी बेकार है मैं लेकिन मैं दूसरी प्रकार का इंसान हूं ।

अब आप देखिए वही सरकार, वही कानून, वही तौर-तरीके, वही ब्यूरोक्रेट्स, अगर 4 साल का लेखा-जोखा लेंगे तो आपको दिखेगा कि अलग तरीके से काम हो रहा है.

कंपेरेटिव स्टडी के लिए आवश्यक होता है कि आप पिछली सरकार और वर्तमान के बीच में तुलना करें । आप को ध्यान में आएगा कि अबकी निर्णय प्रक्रिया है तब की निर्णय प्रक्रिया में आसमान जमीन का फर्क दिखेगा। अगर आपके पास निर्णय लेने की क्षमता हो, तत्परता हो, जज्बा हो तो आप उन्हीं परिस्थितियों में नए तरीके से काम करने में सक्षम होते है।

नरेंद्र मोदी ने कहा की 1857 से लेकर 1947 तक कोई भी साल उठा लीजिए हिंदुस्तान का कोई भी कोना उठा लीजिए कोई न कोई देश की आजादी के लिए शहीद हुआ है . आजादी के लिए कुछ ना कुछ किया है. किसी ने जेल में बिता दिया अपना पूरा जीवन.

आजादी का संघर्ष किसी भी कोने में किसी भी समय रुका नहीं था .लोग शहादत मोल लेते थे और आजादी की बात चलती रहती थी लेकिन महात्मा गांधी ने इस पूरी भावना को एक नया रूप दे दिया . उन्होंने सामान्य से सामान्य व्यक्ति को आजादी की लड़ाई से जोड़ा।
महात्मा गांधी ने जन सामान्य को आजादी की लड़ाई से जोड़ा. उन्होंने समाज के हर एक वर्ग और व्यक्ति को उनकी क्षमता उनकी योग्यता के अनुसार उन्हें जिम्मेदारी दी।

महात्मा गांधी ने आजादी की लड़ाई को जन आंदोलन में बदल दिया इसी प्रकार देश में छोटे से छोटे स्तर पर हर काम के लिए लोगों की उम्मीद सरकार से होती होती थी जबकि उसमें समाज की भूमिका की बड़ी आवश्यकता होती है। मैं देश के विकास के काम को जनांदोलन में बदलना चाहता हूँ. 

मैं चाहता हूं विदेश में यह भाव प्रबल हो कि सभी सरकारी जिम्मेदारियों या संपत्तियों को वह सरकार के साथ-साथ अपना समझे. सरकार से ज्यादा समाज की शक्ति लग जाती है तो हम देखते हैं कि कुछ ही पलों में वह समस्या हल हो जाती है .लोकतंत्र में जनता पर जितना भरोसा करेंगे जनता को जितना ज्यादा जोड़ेंगे परिणाम उतनी तीव्र गति से आएगा । अब लोगों का समर्थन हमें मिला रहा है.

मेरे आह्वान पर देश के 4000000 सीनियर सिटीजन ने रेलवे टिकट में सब्सिडी लेने से मना कर दिया उन्होंने स्वयं ही एफिडेविट देखकर सब्सिडी से स्वयं को अलग कर लिया और अब फुल टिकट लेकर ट्रैवल करते हैं ।

इसी प्रकार LPG के मामले में भी देश के करोड़ों लोगों ने मेरे आह्वान पर गरीब परिवारों के लिए सिलेंडर में मिलने वाली सब्सिडी को छोड़ दी जिससे हम लाखों लोगों को LPG देने में सक्षम हुए. इसलिए मेरी कोशिश है कि मैं देश के सामर्थ को सरकार के साथ जोड़ें और जनता जनार्दन की शक्ति को पहचाने ,उनको लेकर चलें।

दर्शक दीर्घा में मौजूद दिव्यांग बुजुर्ग मयूरेश भोजानी ने सवाल पूछा कि जब आप ने भारत की ओर से पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक करने का फैसला लिया था तब आपके मन में क्या चल रहा था ? 

नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत का हजारों वर्ष का इतिहास है कि भारत ने किसी भी युग में किसी भी देश की जमीन हड़पने का कभी प्रयास नहीं किया है. बहुत लोगों को याद होगा कि प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में  हमें हमारे लिए नहीं लड़ना था लेकिन हिंदुस्तान के डेढ़ लाख सिपाहियों ने प्रथम विश्वयुद्ध में शहादत मौल ली. यह बहुत बड़ा बलिदान है ।

आज भी यूएन का जो पीसकीपिंग फोर्स है उसमें सबसे अधिक कंट्रीब्यूशन करने वाला अगर कोई देश है तो वह गौरव पूर्ण रूप से हिंदुस्तान का नाम लिया जाता है. हमारे सैनिक दुनिया के अलग-अलग देशों में जाकर अपनी सेवाएं देते हैं ।

हमारा लक्ष्य अजेय रहने का है विजयी रहने का है लेकिन हम कभी भी किसी की सीमा पर कब्जा करने की कोशिश की इच्छा नहीं रखते . जब राम और रावण की लड़ाई थी तब भी हमने उस सिद्धांत को देखा है ।

जब कोई देश टेररिज्म एक्सपोर्ट करने का उद्योग बना कर बैठा हो. उसमें युद्ध लड़ने की ताकत नहीं है लेकिन छद्म युद्ध का प्रयास होता है तो यह मोदी है उसी भाषा में जवाब देना जानता है । आतंकी हमारे जवानों को टेंट में सोए हुए जला देता है . घुसपैठ कर उन्हें जलाकर मौत के घाट उतार देता है. क्या आप लोग चाहते हैं कि उनको ईट का जवाब पत्थर से देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए।

मुझे मेरी सेना पर मेरी जवानों पर गर्व है . जो योजना बनी थी उसको शत-प्रतिशत  गलती किए बिना इम्प्लीमेंट किया और सुबह होने से पहले वापस लौट गए।

मैंने अपने अधिकारियों से कहा कि जब तक मीडिया वहां पहुंचे उससे पहले पाकिस्तान की फौज को फोन करके बता दो आज रात हमने यह किया है. उन्हें बता दें कि वहां से अपने लोगों के शव ले जाओ. हम सुबह 11:00 बजे से उनको फोन लगाने की कोशिश कर रहे थे मैंने पत्रकारों को बुलाकर रखा हुआ था। पत्रकारों को लग रहा था कि क्या बात है ? मैंने कहा कि पत्रकार नाराज हो जाए थोड़ी देर बिठाएं लेकिन सबसे पहले पाकिस्तान को बताएं. लेकिन लगभग 12:00 बजे पाकिस्तान से फोन आया था।

उनसे बात हुई और हमने उनको बता दिया क्या कार्रवाई की.  उसके बाद हम ने मीडिया को और दुनिया को बताया.  यह हमारा अधिकार था न्याय को प्राप्त करने का . भारत के वीरों का पराक्रम था लेकिन आतंकी एक्सपोर्ट करने वालों को पता होना चाहिए हिंदुस्तान बदल चुका है।

पीएम मोदी ने एक सवाल के जवाब में कहा मैंने हेल्थ के लिए होलिस्टिक एप्रोच के रूप में एक हेल्थ योजना लेकर लाया. इसके अलावा डेढ़ लाख से अधिक  डिस्पेंसरी की स्थापना योजना है । भारत में 1000 से अधिक नए हॉस्पिटल बनने की संभावना है इस क्षेत्र में काम करने वाले निवेश कर सकते हैं। देश में 3000 जन औषधालय खोले गए हैं इसकी संख्या और बढ़ाई जाएगी।

नरेंद्र मोदी ने कहा कि वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट है कि अगर स्वच्छता पर ठीक से ध्यान दिया जाए तो एक परिवार का हेल्थ पर कम से कम 5 से 12000 बच सकते हैं।

उन्होंने कहा कि 12वीं शताब्दी के महान संत व समाज सुधारक भगवान्जो वाश्वेश्वर कर्नाटक के लिंगायत समुदाय से हैं, उनकी नीति व उनका दर्शन आज भी दुनिया के लिए प्रासंगिक ।

नरेंद्र मोदी ने कहा कि कोई भी सरकार आती है तो वह विफल होने के लिए आती नहीं. लेकिन सरकार के तौर-तरीके लोगों को अपाहिज बना देती। अगर हम गरीबी हटाना चाहते हैं तो गरीबों को सशक्त बनाकर ही हम यह कर सकते हैं ना कि उन्हें केवल खाना खिलाकर ।

इसलिए मेरा मूल प्रयास रहा है कि समाज में जो भी शक्ति है उसे हम और किस प्रकार शक्ति दे और उन्हें आगे बढ़ने में मदद करें। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना इसी का एक प्रयास है। अब तक 11 करोड़ लोगों ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का लाभ उठाया है इसमें 74% महिलाएं हैं जिन्होंने यह ऋण लेकर अपना स्वरोजगार शुरू किया है ।आज वे दूसरों को रोजगार देने की स्थिति में है।

 

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