नई दिल्ली : भारत व रूस के राष्ट्राध्यक्षों की मुलाकात से पूर्व भारत ने पाकिस्तान व रूस के संयुक्त अभ्यास का विरोध किया है. भारत का मानना है कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले देश के साथ संयुक्त सैनिक अभ्यास से क्षेत्र में समस्याएं और बढ़ेंगी। मॉस्को स्थित भारतीय राजदूत पंकज सरन ने रूसी समाचार एजेंसी रिया नोवोस्ती को दिए साक्षात्कार में कहा कि भारत ने रूसी पक्ष को इस बात से अवगत करा दिया है कि आतंकवाद को सरकारी नीति के तौर पर अपनाने वाले पाकिस्तान के साथ सैन्य सहयोग एक गलत रुख है.
उल्लेखनीय है कि आगामी शनिवार को गोवा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन की द्विपक्षीय बैठक होने वाली है. इस बैठक से पूर्व सरन का यह बयान बेहद अहम् मन जा रहा है. पुतिन आगामी 14 अक्तूबर को भारत पहुंचेंगे। वह 16 अक्तूबर को ब्रिक्स के सम्मेलन में भी शामिल होंगे।
गौरतलब है कि पाकिस्तान व रूस का संयुक्त सैन्य अभ्यास तब शुरू हुआ जब भारत में जम्मू कश्मीर के उरी सेक्टर में अताकियों के जघन्य हमले से 19 सैनिक शहीद हो गए थे. उसी वक्ता यह अभ्यास शुरू होना भारत को असहज करने वाला रहा. दूसरी तरफ रूसी अधिकारियों ने भारत कि इस चिंता पर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया. रूस कि ओर से कहा गया है क्षेत्र के अन्य देशों के साथ भी इस तरह के सैन्याभ्यास होते रहे हैं.
सरन ने स्पष्ट किया है कि दुनिया आज आतंकवाद से झुलस रही है . उन्होंने उम्मीद जताई है कि ब्रिक्स देश निश्चित रूप से इस पर ध्यान देंगे. यह ब्रिक्स सम्मलेन में प्रमुख मुद्दा होगा.